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पञ्चनखः
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पञ्चशून्याक्षर
जीवोऽप्यजीवश्चस्तथापदार्थः स्यात् पञ्चधा। जीवइयानिहार्थः।
(समु०८/२) पञ्चनखः (पुं०) पंच नखों से युक्त जानवर।
०हस्ति, ०कछुवा, सिंह, ०व्याघ्र। पञ्चनदः (पुं०) पांच नदिया। पञ्चनवति (स्त्री०) पिंचानवें। पञ्चनीराजनं (नपुं०) पांच पूजा की सामग्री-दीपक, कमल,
वस्त्र, आम और पान। पञ्च पात्र। पञ्चपंचास (वि०) पचपनवां। पञ्चपंचाशत् (वि०) पचपन। पञ्चपदी (स्त्री०) पांच पद। पञ्चपात्रं (नपुं०) पांच पात्रों का समूह। युधिष्ठिरो भीम इतीह
मान्यः शुभैर्गुणैरर्जुन एव नान्यः। स्याद्वाच्यता वा नकुलस्य
यस्य ख्यातश्च सद्भिः सहदेव शस्य।। (जयो० १/१८) पञ्चपाण्डवः (पुं०) पांच पाण्डुपुत्र। अर्जुन, भीम, नकुल,
सहदेव और युधिष्ठिर। (जयो० १/१८) पञ्चप्राणाः (प्र०बहु०) पांच प्राण प्राण अपान, व्यान, उदान,
और समान। पञ्चप्रासादः (पुं०) विशिष्ट आकृति का देवालय। पञ्चमहल। पञ्चवाणः (पुं०) कामदेव। पञ्चबाणयुक्त (वि०) पांच बाणों से युक्त। पञ्चभुज (वि०) पांचकोण वाला। पञ्चभूतं (नपुं०) पांच भूततत्व। पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और
आकाश। (सम्य० ५१) पञ्चभर्तका (स्त्री०) पांच भर्तारवाली द्रोपदी। (सुद०८७) पञ्चम (वि०) [पञ्चन्+मट्] पांचवां। पञ्चमः (पुं०) संगीत का स्वर। (जयो० ११/४७) कोयल स्वर। पञ्चम-अणुव्रतं (नपुं०) पांचवां अणुव्रत, परिग्रहपरिमाणाणुव्रत। पञ्चमगुणस्थानवर्ती (वि०) पांचवें गुणस्थान वाला। (सम्य०१००) पञ्चममहाव्रतं (नपुं०) पांचवां महाव्रत, परिग्रहत्याग महाव्रत। पञ्चमपुद्गलः (पुं०) पांचवां पुद्गल द्रव्य। (समु०८/२) पञ्चममूलगुणः (पुं०) प्राणातिपात आदि मूलगुणों में परिग्रह
परित्याग महाव्रत। पञ्चमलम्बः (पुं०) पांचवां लम्ब, दयोदय के अध्याय का नाम
लम्ब है, यह चम्पूकाव्य है। पञ्चमहापातकं (नपुं०) पांच पाप। हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील
और परिग्रह। पञ्चमुष्टिः (स्त्री०) पांच मुष्टि, श्रमणचर्या के साधु के गुणों
में एक गुण पञ्चमुष्टि का लुञ्चन भी है।
पञ्चमुष्टि स्फुरद्दिष्टिः प्रवृत्तोऽखिलसंयमे।
उच्चसान महाभागे वृजिनान् वृजिनोपमान्।। (जयो० २८/७) पञ्चमुष्टिलोचनं (नपुं०) पञ्च मुष्टियों से केशों का लुञ्चन
(जयो०वृ० २८/७) पञ्चमेरु (पुं०) पांच पर्वतराजावक्षार, मेरु, विजयार्ध, गजदन्त,
इष्कार और मानुषोत्तर ये पांच मेरु नाम वाले पर्वत हैं-वक्षार-रौप्याद्रिषु हस्तिदन्ते ष्विपूक्तशैलेषु नृभूभृदन्ते। वनेषु मेरुदित पर्वतानां चैत्यानि वन्दे जिनपुङ्गवानाम्।।
(भक्ति० ३६) पञ्चयामः (पुं०) पांच दिन। पञ्चयोजनं (नपुं०) पांच योजन। पञ्चरत्नं (नपुं०) पांच रत्न-नील, वज्रक, पद्मराग, मौक्तिक
और प्रवाल। पञ्चरात्रं (नपुं०) पांच रात्रि का समय। पञ्चराशिकं (नपुं०) पांचवी राशि, गणितीय विभाजन। पञ्चलक्षणं (नपुं०) पांच लक्षणों वाला। पञ्चवर्णः (पुं०) पांच वर्ण। पञ्चवर्णात्मकः (पुं०) पांच वर्ण वाला। पांचवां वर्ण, वर्ग का
पञ्चमवर्ग पवर्ग। (जयो०वृ० १/२४) पञ्चवर्षः (पुं०) पांच वर्ष। पञ्चवर्षीय (वि०) पांच वर्ष सम्बन्धी। पञ्चवल्कलं (नपुं०) पांच प्रकार के वृक्षों की छाल- बड़,
पीपर, ऊमर, प्लक्ष और वेतस की छाल। पञ्चविंश (वि०) पच्चीसवां। पञ्चविंशतिः (वि०) पच्चीस। पञ्चविंशतिका (स्त्री०) पच्चीस का संग्रह। पञ्चविध (वि०) पांच प्रकार का, (वीरो० १३/५) छेत्तुं जना
जन्मनगं कलित्रं नमामि तत्पञ्चविधं चरित्रम्।। (भक्ति०७) पञ्चशत (वि०) पांच सौ। (वीरो० १५/२७) पञ्चशतीद्वयं (नपुं०) पांच-पांच सौ-सहस्त्र। न हि पञ्चशतीद्वयं
दृशां क्षममित्यत्र किलेति विस्मयात्। (वीरो० ७/४) पञ्चशरी (स्त्री०) पांच बाण। 'कामदेवस्य पञ्चशरी' (जयो०७०
११/४६) पञ्चशाखः (पुं०) ०हस्त, हाथ।
०हस्ति, हाथी। पञ्चशिखः (पुं०) सिंह। पञ्चशून्याक्षरं (नपुं०) पांच शून्य अक्षर-हाँ ह्रीं हूँ है ह्रः
(जयो०वृ० १९/५५)
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