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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नेम ५८४ नैमित्तिकः नेम (वि०) [नी+मन] आधा। नैगमः (पुं०)जानपद सम्बंधी। नय विशेष, सात नयों में प्रथम नेमः (पुं०) भाग, समय, काला नैगमनय, जो पदार्थ के संकल्प मात्र का ग्रहण करता है। ऋतु, हद, सीमा। (त०सू० २६) 'अर्थसंकल्पमात्रग्राही नैगमः' ०घेरा, बाड़ा, खाई। निगम में कुशल-निगच्छन्ति तस्मिन्निति निगमनमात्रं वा परिखा। निगमः, निगमे कुश लो भवो वा नैगमः। (जैन ल० नेमिः (स्त्री०) [नी+मि] परिधि, घेरा। पृ०६४१) पहिए का घेरा, वृत्त। नैगमनयः (पुं०) एक नय, जो अर्थ संकल्प मात्र का ग्राहक वज्र, पृथ्वी। होता है। अर्थसंकल्पमात्र ग्राहको नैगमः नयः। ०हस्तघर्घरी, गरारी। नैगमाभासः (पुं०) अत्यन्त भेद का प्रतिपादन, गुण-गुणी और रथ के चक्र का अन्तभाग/परिधि। धर्म-धर्मी आदि में अत्यन्त्र भेद का प्रतिपादन करना। लोहे का घेरा/हाल। 'सर्वथाऽभेदवादस्तदाभासः'। (प्रमेयरत्नमाला० ६/७४) नेमिः (पुं०) बाइसवें तीर्थंकर का नाम। जिन्हें अरिष्टनेमि भी नैघुटुकं (नपुं०) [निघंटु ठक्] जिसमें निरुक्त शब्द हैं। कहते हैं। (भक्ति० १९) नैचिकं (नपुं०) [नीचा+ठक्] बैल का सिर। नेमिकुमारः (पुं०) बाइसवें तीर्थंकर। नैचिकी (स्त्री०) श्रेष्ठ गाय। नेमिचन्दः (पुं०) नेमिचन्द नामक आचार्य, जिन्हें सिद्धान्त नैतलं (नपुं०) [नितल+अण्] पाताल, नरक, पृथ्वी का अधोभाग। चक्रवर्ती की उपाधि प्राप्त थी। आप गणित, भूगोल एवं नैत्यं (नित्यं+अण) नित्यता, ध्रुवता। कर्मग्रन्थ के ज्ञाता थे। जिनके गोम्मटसार, त्रिलोकसार नैत्यक (वि०) नियमित, रूप से घटने वाला, अपरिहार्य, आदि ग्रन्थ प्रसिद्ध हैं। (जयो० १९/३१) (वीरो० १५/४०) अनवरत, अवश्यकरणीय। नेमिनाथ: (पुं०) बाइसवें, तीर्थंकर का नाम। 'नेमिनाथ: नैदाघः (पुं०) [निदाघ+अण्] ग्रीष्म ऋतु, गर्मी का समय। शिवोऽथैवं नाम चन्द्रस्य वामन' (दयो० २६) नैदानः (पुं०) [निदान+अण] निरुक्त वेत्ता। नेमीशः (पुं०) नेमिनाथ बाइसवें तीर्थंकर। नमि नेमीशन वश नैदानिक (वि.) [निदान+ठक्] व्याधिज्ञाता, रोग-विशेषज्ञ। हो पाए जो जिन राजमती सती के। (भक्ति०२०) नैदेशिक (वि.) [निदेश+ठक] सेवक आदेश पालका नेष्टः (पुं०) [नेष्+तृच्] ०सोमयाग के प्रधान। नैपातिक (वि.) [निपात+ठक्] आकस्मिक संयोग वाला, नेष्टुः (स्त्री०) [निश्+तुन्] मिट्टी का लोंदा। दैवयोग से होने वाला कारण। नेहरु (पुं०) जवाहरलाल नेहरु, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री | नैपुण्यं (नपुं०) [निपुण+अण] कुशलता, चतुराई। (जयो० १८४८४) नेहरुचयश्च उग्रवादी बभूव, अन्ते नेहरु (वीरो० ४/२१) रापिशन्तिप्रियो बभूव (जयो० १८/३४) प्रवीणता, चतुराई, दक्षता। नैक (वि०) [न+एक] जो अकेला न हो। ०समग्रता, पूर्णता, एक रूपता। नैकटिक (वि०) [निकट+ठक्] पार्श्ववर्ती, निकटस्थ। नैभृत्य (वि०) [निभृत्+ष्यञ्] लज्जाशीलता, विनम्रता। नैकट्यम् (नपुं०) [निकट+ष्यञ्] सामीप्य, पड़ौस। गोपनीयता। नैकषेयः (पुं०) [निकषा+ढक्] राक्षस, पिशाच। नैमन्त्रणक (वि०) [निमन्त्रण+अण्+कन्] भोज, दावत। नैकृतिक (वि.) [निकृत्या परापकारेण जीवति-निकृति ढक्] नैमष (वि०) [नियम+अण] सौदागर, व्यापारी, व्यवसायी। झूठा, बेईमान। नैमित्तिक (वि०) [निमित्त+उक] लक्ष्यवेधी, दैवज्ञ, निमित्तज्ञाता, नीच, दुष्टात्मा। _ ज्योतिषी। (दयो० ४८) सदाचारी नागरिक। नैमित्तिकः (पुं०) वस्तु का विकार निमित्त है, जिसमें विकारपना नैगमः (पुं०) वेदव्याख्याता उपनिषद, उपाय। या अन्यथापना है वह नैमित्तिक है। यत्स्यान्निमित्तं विकरोति ०व्यापारी, सौदागर। वस्तु नैमित्तिकं विक्रियते तदस्तु। वह्रिघृतं द्रावयतीत्यनेन सदाचारी नागरिका घृतं पुनः संद्रवतीश्रियेनः।। (सम्य०७) For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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