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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नृपावतंसः ५८३ नेपालिका नृपावतंसः (पुं०) राजाओं का मुखिया, नृप प्रधान, नृप-अध्यक्ष, | नेत्रजं (नपुं०) आंसू। राजाओं का शिरमोर। चक्रायुधः प्राप्य पितुः पदं स, नेत्रजलं (नपुं०) असु, आंसू। भूमण्डलाशेषनृपावतंसः। (समु० ६/३७) नेत्रता (स्त्री०) नयनभाव। (जयो०० ५/४९) नेत्रतामुपगतौ नृपासनं (नपुं०) राज्य सिंहासन। (जयो० १०/५) 'संसदीह नयनभावं प्राप्तौ' (जयो०१० ५/४८) नियतो नृपासने' नेत्रदानं (नपुं०) अक्षिदान, दृष्टिदान। नुभवयोग्यः (पुं०) नरजन्म के योग्य। (जयो० २३/४८) नेत्रदोषः (पुं०) नेत्ररोग। नृभूभृदन्तः (पुं०) मानुषोत्तरपर्वत। (भक्ति० ३६) नेत्रधारा (स्त्री०) आंसू। नृमिथुनं (नपुं०) मिथुनराशि। नेत्रपर्यन्तः (पुं०) अक्षि का किनारा, आंख का बाहरी भाग। नमेधः (पुं०) नरमेध यज्ञ। नेत्रपिण्डः (पुं०) अक्षि गोलक। (२१/३१) नृयज्ञः (पुं०) आतित्थ सत्कार। नेत्रबिन्दु (स्त्री०) नयनतारक (जयो० १५/४९) नृलोकः (पुं०) मर्त्यलोक, मनुष्य लोक। नेत्रमलं (नपुं०) आंख का मैल, अक्षि कीचड़, ढीढ। नृरत्नः (पुं०) राजा, अधिपति। (समु० ६/२९) नेत्रयुग (वि०) दोनों नेत्र। (वीरो० ६/४) नृराट् (पुं०) अधिपति, राजा। (सुद० ७८) सज्जनपुरुष नेत्रयोनिः (स्त्री०) नयनस्थल। (जयो०२/५९) नेत्ररंजनं (नपुं०) सुरमा, अंजन। नवरः (पुं०) मनुष्योत्तम। (जयो० ९/६०) नेत्ररोमन् (पुं०) अक्षिपलक, आंख का पर्दा। नेत्रवती (वि०) नेत्र वाली। राजा (जयो० ८/२७) नेत्रवस्त्रं (नपुं०) आंख की झिल्ली, अक्षि आवरण, नेत्रफलक। नृवर्य (वि०) महापुरुष, सज्जन। (वीरो० ५/६) नेत्रवालः (पुं०) नेत्र की औषधि, नयन टिमकार। (जयो० नृवाहनः (पुं०) कुबेर। २८/२९) नृवेष्टनः (पुं०) महादेव, शिव। नेत्रविकारः (पुं०) अक्षिदोष, विभ्रम। (जयो० १६/२०) नृवातः (पुं०) समस्त जन समूह। (जयो० ६/१३२) नेत्रान्तप्रदेशः (पुं०) कटाक्ष। (जयो० २४/४८) नृशंसव (वि०) [नृ+शस्+अण्] दुष्ट, क्रूर, निर्दय। नेत्रिकं (नपुं०) ०नली, चम्मच। नृशंसता (वि०) आखेट, शिकार। (जयो० १६/२७) दुष्टता, नेत्रिन् (वि०) नेत्रधारक। (समु० ३/९) क्रूरता (दयो० ३५) नेत्री (स्त्री०) [नेत्र+ङीप्] नदी, ०धमनी, लक्ष्मी, नायिक, नृशंसाङ्गिन् (वि०) मारना, हनन करना। अभिनेत्री। नृशार्दूलवरः (पुं०) नर श्रेष्ठ। (जयो० १७/१०) नेत्रोदरः (पुं०) नेत्रभाग, अक्षिप्रान्त। (जयो० ३/९३) नेक (वि०) अच्छा, श्रेष्ठ। 'इ' एव इक कामः खेदो वा स न नैदिष्ट (वि०) निकटतम, अत्यन्त निकट। विद्यते यस्य स नेकः। नेदीयस् (वि०) निकटतर, अत्यधिक समीप। नेत (वि०) नेता, नायक। (जयो० ८/८७) महापुरुष नेपः (पुं०) कुल पुरोहित। __ (जयो० २/१२७) (वीरो० १/५) नेपथ्यं (नपुं०) [नी+विच, ने: नेता तस्य पथ्यम्] ०परिधान, नेत्रं (नपुं०) [नयति नीयते वा अनेन] ०नेतृत्व करना, संचालन। पोशाक, वेशभूषा। अक्षि, आंख, नयन, दृष्टि। आभूषण, सजावट। नेता, नायक। रंगमंच का पृष्ठ भाग। न नेपथ्यं पथ्यं बहुतरमनतारा, नक्षत्र, पुंज। (भक्ति० ४) ङ्गोत्सवविधौ इति प्रसिद्धः (जयो०वृ० १७/८२) दृष्टि। (जयो०वृ० १०/६४) नेपथ्यकक्षः (पुं०) परदे के पीछे का भाग। नेत्रकनीनिका (स्त्री०) नेत्र की पुतली। (जयो०वृ० १५/४९) नेपथ्यकथा (स्त्री०) वेशभूषा की प्रंशसा। नेत्रकोषः (पुं०) नयनमण्डल, नेत्र तारक। नेपालः (पुं०) नेपालदेश। नेत्रगोचरः (पुं०) दृश्य, प्रत्यक्ष दृष्टिगत। नेपालिका (स्त्री०) [नेपाल+ङीष् कन्+टाप्] मैनसिल। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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