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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नीलपुष्पिका ५८१ नीलपुष्पिका (स्त्री०) नील का पौधा। अलसी। नीविः (स्त्री०) [निव्ययति निवीयते वा-नि+व्ये इन्] नीलभः (पुं०) चन्द्र, मेघ। ०मधुमक्खी। नीवीतु स्त्रीकटीवस्त्रग्रन्थौ मूलधने स्त्रियाम्। इति नीलमणिप्रभा (स्त्री०) नीलमणि का कान्ति। (वीरो० २/२९) विश्वलोचनः। (जयो०वृ० १७/८६) नीलमणिरत्नं (नपुं०) नीलमणिरत्न। नीव्यामन्तरीयबन्धनस्थाने मूलधने च करं कुर्वति। नीलमलिकः (पुं०) जुगनू। (जयो० १७/६७) नीलमृत्तिका (स्त्री०) लोहमाक्षिक, काली मिट्टी। ०अधोवस्त्र। (जयो० १७/६२) नीलराजिः (स्त्री०) घोर अंधकार। ०नाड़ा, गाठ, कमरवन्द। नीललेश्या (स्त्री०) छह लेश्याओं में दूसरी लेश्या। पूंजी, मूलधन। आय-व्यय-विशुद्ध-द्रव्यम्। नीललोहितः (पुं०) शंकर, महादेव। ०दांव, शर्त। नीला (स्त्री०) काला रंग। नीविबन्धः (पुं०) अधोवस्त्र ग्रन्थि, धोती का गांठ। (जयो० नीलांग: (पुं०) सारस पक्षी। १७/६२) नीलांजनं (नपुं०) सुरमा, काजल। नीविस्थानं (नपुं०) कमरबन्द का स्थान, नाड़ा। (जयो० नीलांजना (स्त्री०) एक नृत्यांगना, जो ऋषभ के राजदरबार में | १२/११७) नृत्य करती थी। उसी की असमय में मृत्यु का कारण नीवृत् (पुं०) [नि+वृ+क्विप्] राज्य, राजधानी। ऋषभ वैराग्य को प्राप्त हुए वे ही तीर्थंकर ऋषभदेव ___समृद्धदेश, घनी आबादी वाला देश। कहलाए। नीशार (पुं०) [नि+7+घञ्] गरमवस्त्र। मसहरी, मच्छरदानी। ०बिजली, विद्युत। ०कनात। नीलाब्ज (नपुं०) नीलकमल। ०मलमूत्र त्याग। नीलाम्बरं (नपुं०) नीलगगन, नील वस्त्र। (जयो०वृ० २४/७९) | नीहारः (पुं०) [नि+हृ+घञ्] कुहरा, धुंध, तुषार, पाला नीलाम्बरता (वि०) बलभद्रता। ओस। आकाश को नीला, करने वाली धूप। नीहार-विहारः (पुं०) तुषार प्रसारण बर्फ प्रसार। (जयो० नीलाम्बरता धूमेन कृतौ नीलाम्बरामाकाशं येन तत्ता तथा। २४/२४) नीलाम्बरता नीलमम्बरं वस्त्र। (जयो०वृ० २४/२९) नीहारचारणं (नपुं०) हिम का आश्रय लेकर चलना, जीव नीलाम्बुजं (नपुं०) नीलोत्पल, नीलकमल, ०इन्दीवर, विराधना न करते हुए गमन करना। अरविंद, ०पभ। नीहारप्रायोपगमनं (नपुं०) अन्यत्र मृत्यु को प्राप्त होना। नीलाम्बुजन्मन् (नपुं०) नीलकमल, अरविंद। उपसर्ग के द्वारा अपहृत होकर जो अन्यत्र मृत्यु को प्राप्त नीलाम्बुरुहं (नपुं०) नीलोत्पल, नीलकमल, इन्दीवर। । होता है। (वीरो०२/१६) नु (अव्य०) ०संभावना सूचक अव्यय, विस्तार। (जयो० नीलाभ्रः (पुं०) काले मेघ। १/६३) ०संदेहवाचक अव्यय, आश्चर्य है,०प्रश्नवाचकता नीलारुणः (पुं०) प्रभातकाल, प्रात:काल, पौ फटना। का द्योतक अव्यय। वितर्क (जयो० २५/८४) ०नु इति नीलोत्पलं (नपुं०) नीलकमल। (जयो० १/५३) वितर्णे (जयो०१२/७८) नीलिका (स्त्री०) नील का पौधा। नु (अक०) स्तुति करना, प्रशंसा करना। नीलिमन् (पुं०) [नील+इमनिच्] नीलारंग, कालापन, नीलापन। नु किम् (अव्य०) क्या संभव? (सुद० ८४) नीली (स्त्री०) [नील+अच्+ङीप्] नील का पौधा। नुतिः (स्त्री०) [नु+क्तिन्] प्रशंसा, स्तुति, प्रशस्ति। ०पूजा, नीवरः (पुं०) [नी+ष्वरक्] व्यापार, व्यवसाय। समादार, सम्मान। कीचड़। नतिप्रिय (स्त्री०) भक्तिप्रिया। (वीरो० २२/४०) नीवाकः (पुं०) [नि+व+घञ्] दुर्भिक्ष, अकाल। नुद् (सक०) ०ठेलना, हांकना, ०धकेलना, ०प्रोत्साहित नीवारः (पुं०) [नि+वृ+घञ्] धान्य, जंगली धान्य। करना, उकसाना, भगाना, ०हटाना, अस्वीकार करना। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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