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नीति-सत्समयः
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नीलपिच्छः
नीति-सत्समयः (पुं०) उचित समय। 'सुभगे शुभगेहि
नीतिसत्समयः शेषमयः स्वयं निशः।' (सुद० १०४) नीतिसेतु (पुं०) नीति का आधार, मर्यादा का आधारभूत __कारण, मर्यादा पुरुषोत्तम। (जयो० २०/२९) नीध्र (नपुं०) [नितरां ध्रियते धृ मूलवि क] *अरण्य, जंगल।
०परिधि, घेरा। नीपः (पुं०) [नी-प] तलहटी, पर्वत के नीचे का स्थान।
अशोक जाति का तरु। नीपं (नपुं०) कदंब वृक्ष का पुष्प। (जयो० १/८५) नीयत (वि०) संग्राहक। (जयो० १/९४) नीरं (नपुं०) [नी+रक्] जल, अम्बु, पानी वारि। तथास्तु
प्रीतये नृणां नद्या नीरघटेभृतम्। (दयो० १/७)
रस, आसव। नीरज (नपुं०) ०कमल, पद्म। (जयो० १३/५८) मुक्ता,
मोती। नीरजस् (वि०) पाप रहित, विरज, रज रहित। 'नीरजसे रजसा
पापेन रहिताय।' नीरजस्क (वि०) श्रेष्ठ कर्म रहित। (जयो० १३/५८) नीरदः (पुं०) मेघ, बादल। (वीरो० ४/१४) नीरद (वि०) दंत रहित। (वीरो०वृ० ४/१४) नीरदभावः (पुं०) दन्त रहित भाव, जलदानल। (जयो०२०/२) नीरधि (पुं०) समुद्र, उदधि। (सुद० १/१३) नीरधि चीरवत् (वि०) समुद्र रूपी वस्त्र की तरह। 'भालं
भवेन्नीरधिचीर वत्या' नीरनिधिः (पुं०) समुद्र, सागर, उदधि। नीरपूरः (पुं०) जल प्रवाह। (जयो० ७/५६) नीरपूर इव
संचरन् स वा छिद्र पूरणविधौ विचारवान्। (जयो०७/५६) नीरप्रदायिनी (स्त्री०) जल पिलाने वाली स्त्री। नीरभावः (पुं०) आसव भाव, रसभाव। नीरसंगत (वि०) जल सहित-नीरेण जलेन सङ्गतं समन्वितम्।
(जयो० १९/८९) नीरस (वि०) रस रहित, रस विहीन।
सूखा हुआ-'नीरस-वत्कलतः विस्तृतः' (सम्य० १४९) नीरसत्व (वि०) स्त्रीरसता, उदासीनता। (जयो० १२/१२५)
रसाभाव, रसपरित्याग करने वाला तपस्वी। (जयो०
२८/१३) नीरस-परिणामः (पु०) तपश्चरण योग्य समय।
(जयो०वृ०६/८६) नीरसवस्तु (नपुं०) रसहीन पदार्थ। (वीरो० १२/३१)
नीरागः (पुं०) वीतराग अवस्था। (भक्ति०६) (जयो०वृ०२८/८) नीराग (वि०) उबटन, अभ्यङ्ग लेप। (जयो०वृ० २८८) नीराजनं (नपुं०) [निर्+राज ल्युट्] ०आरार्तिक, आरती, ०देव
के प्रति अर्चना हेतु दीपक लगाना। (जयो० १०३)
०शस्त्र चमकाना। नीराजनं-भाजनं (नपुं०) आरती के पात्र। नीराजनस्य
आरार्तिकावतरणस्य श्वश्रुद्वारा भाजनमेव प्रणौ।
(जयो०वृ०१२/१०५) नीरुज (वि०) रोग रहित। (समु० २/२५) स्वस्थ (जयो०७/८४)
'नीरुजा रोगरहितेन गुणेन स्वास्थ्येन हेतुना'
(जयो०वृ०७/८४) नील (वि०) [नील+अच्] नीला, गहरा नीला, नील रंग का।
(जयो०१० ३/८०) नीलः (पुं०) नीलपर्वत। (जयो० २४/९)
काला-दीधोऽहिनीलः किल केशपाश:। (सुद०व २।८) नीलमणि। गूलर का पेड़, वट वृक्ष।
नील नामक वानर। नीलं (नपुं०) काला नमक।
नीला थोथा, तूतिया।
सुरमा, विष। नीलंयशा (स्त्री०) अलकापुरी के राजा मयूर को रानी।
विशाखनन्दी समभृद् भ्रमित्वा नीलंयशामात्रुदरं स इत्वा। मयूरराज्ञस्तनयोऽश्वपूर्व-ग्रीवोऽलकायां धृतजन्मपूर्वः।।
(वीरो० ११/१८) नीलकंठः (पुं०) ०मयूर, ०शिव। नीलकण्ठ, मधुमक्खी।
जलकुक्कुट, मधुमक्खी। नीलक (नपुं०) [नील+कन्] काला नमक।
नीला इस्पात, तूतिया, नीला थोथा। नीलकः (पुं०) काले रंग का अश्व। नीलकमलं (नपुं०) नीलोत्पल। (जयो० १/३३) नीलग्रीवः (पुं०) ०शिव, शंकर। ०छुहारे का वृक्ष। गरुड। नीलतरुः (पुं०) नारिकेल वृक्षा नीलगिरि का वृक्ष, सफेदी। नीलतालः (पुं०) तमाल तरु। नीलपंकः (पुं०) अन्धकार। नीलपादपः (पुं०) नीलगिरि का वृक्ष। नीलपटलं (नपुं०) पाला आवरण। नीलपिच्छः (पुं०) बाज पक्षी। १. मयूर।
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