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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नीचजन्मन् ५७९ नीतिशास्त्रं नीचजन्मन् (नपुं०) तुच्छजन्म। नीतिचतुष्क (वि०) साम, दाम, दण्ड और भेद इन चार नीचजातिः (स्त्री०) अधम उत्पत्ति। नीतियों से युक्त। (वीरो० ३/१४) नीचत्व (वि०) नीचता, निम्नता, हीनता। (हित० २६) एकाऽस्य विद्या श्रवसोश्च तत्त्वं, सम्प्रात्य लेभेऽथ नीचदानं (नपुं०) स्वल्पदान, निष्कृष्ट दान। चतुर्दशत्वम्। नीचयोनिन् (वि०) नीच कुलोत्पन्न। शक्तिस्तथा नीतिचतुष्कसारमुपागताऽहो नवतां बभार। नीचपथः (पुं०) निम्न मार्ग। (वीरो० ३/११४) नीचवृत्तिः (स्त्री०) न्यगवृत्ति, अवनति। नीचवृत्ते परित्यागस्ते | नीतिचतुष्टय (वि०) चार नीतियों वाला आन्वीक्षिकी, त्रयी, स्युः शूद्राश्च संस्कृताः। (हि० २८) वार्ता और दण्डनीति। 'निजनीतिचतुष्टयान्वयं गहननीड:/नीडकः (पुं०) घोंसला, पक्षी आवास। (मुनि० १८) १. व्याजवशेन धारयन्। (वीरो० ७/२१) कुलायस्थान। (जयो० १५/१२) 'द्विजा वलभ्यामधुना लसन्ति | नीतिचेष्टित (वि०) नीतिपथ की चेष्टा करने वाला। (जयो० नीडानि निष्पन्दतया श्रयन्ति। (वीरो० १२/१२) २१/५१) 'भूरिशोभि-नवनीतिचेष्टिताद्'। नीत (भू०क०कृ०) [नी+क्त] ०संचालित, नेतृत्व किया नीतिदोषः (पुं०) आचारदोष। गया, ०ले जाया गया। ०शब्दच्छल (जयो०वृ० १/१५) नीतिनिपुणः (पुं०) नीतिकुशल। (जयो० ३/७१) ०व्यतीत, समाप्ति, व्यवहत, संघटित। (जयो० ११/८६) नीतिपथ: (पुं०) आचारमार्ग, सदाचरण पथ। नीतं (नपुं०) धन, धान्य। नीतिफलं (नपुं०) योग्यफल, उचित परिणाम। नीतिः (स्त्री०) [नी+क्तिन्] प्रवृत्ति, शिक्षा। नीतिबलः (पुं०) आचारशक्ति, न्यायबल। (जयो० २३/२) निमीलिताम्भोजदृगाब्जिनीति, नीतिभावः (पुं०) आचरण का स्वभाव। जाता समारब्ध-विलासनीतिः। नीतिमार्गः (पुं०) नयवम॑न्। (जयो० २/१३७) नीति:-प्रवृतिः शिक्षा वा। (जयो०वृ० १५/८) ०लोकमार्ग, लौकिकमार्ग। (जयो०वृ० २/६९) विचार, कथन-'नीतिरैहिकसुखाप्तये' (जयो० २/४) सद्धर्मभावना (जयो०२३/९०) वार्ता, निर्देशन, दिग्दर्शन, प्रबन्ध धर्मार्थकामुषे जनाननीति समीचीन धर्म की भावना। नेतुं नृपस्यास्तु सदैव नीतिः। (जयो० २/१२०) नीतिमार्गश्रयिन् (वि०) नीतिपथ का आश्रय लेने वाला। विनय, शिष्टाचार। (जयो० ७/७६) विनयो नयवत्येवाऽतिनये तु गुरावपि। नीतिमान् (वि०) वि०) न्यायमार्गानुयायी। (जयो० ३/१०८) प्रपापणं जनः पश्येन्नीतिरेव गुरुः सताम्।। (जयो०७/४७) नयपथ के अनुगामी, आचारवान्, सद् विचारक। विनयः शिष्टाचारस्तु नयवत्येव नीतिमति जन एव, विधीयत (जयो०४/१) इति। यतो यस्मान्नीतिरेव सतां गुरुरुपदेष्ट्री विद्यत इत्यर्थः। | नीतिरहित (वि०) नयोज्झित। (जयो०वृ० २/११३) (जयो०वृ० ७/४७) नीतिविचारवान् (वि०) नयपथ का विचारज्ञ, न्यायमार्ग का आचरण, सद्व्यवहार, शीलीनता, औचित्य। विशेषज्ञ। (जयो० १२/१०७) नीतिविदता, नीतिज्ञता, बुद्धिमत्ता, व्यहारकुशलता। नीतिवाक्यामृतं (नपुं०) एक ग्रन्थ विशेष, ऋक्सुधा-ऋग्वेद नीति नीतिविदो विदुः कुरुपतेः स्फीतिं तु शूरा नरा। पर आधारित वचनामृत। (जयो०वृ० ७/७६) (जयो०८८५) नीतिविद्या (स्त्री०) न्यायशास्त्र का ज्ञान। (जयो० ७/३१) आचारशास्त्र, नीतिशास्त्र, आचारदर्शन। (जयो० ७/४६) नीतिविद् (वि०) नीतिभाव। (दयो० ७६, जयो०वृ० १/२०) नीतिकुशलः (पुं०) विचारवान्, आचारकुशल, नीतिज्ञ, तत्त्वज्ञ, नीतिविषय (पुं०) नीतिसम्बंधी आधार। विचारज्ञ, तत्त्ववेत्ता। नीतिव्यतिक्रमः (पुं०) आचारशास्त्र के नियमों का उल्लंघन। नीतिघोषः (पुं०) बृहस्पति का यान। नीतिशास्त्र (नपुं०) निर्णयशास्त्र, नयशास्त्र, आचारशास्त्र, नीतिगत (वि०) आचरण गत। नियमसार। (जयो०वृ० ३/१२) नीतिज्ञ (वि०) नीतिवान्। (वीरो०७७/४६) ०तन्त्रशासन, राज्यसत्ता के नियम का प्रतिपादक शास्त्र। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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