SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 163
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निस्तहणं ५७८ नीचचर मरणान्तर को प्राप्त होना। 'भवान्तरप्रापणं निस्तरो मरणान्तप्रापणम्' (भ० आ० २) निस्तहणं (नपुं०) [निसृ+तृह ल्युट्] ०वध, घात, हनन। निस्तारः (पुं०) [निसृ+तृ+घञ्] ०पार करना, छुटकारा पाना, उद्धार। मुक्ति, मोक्षा निस्तुद (वि०) ०दोष रहित। ०अकलङ्क, विशुद्ध। ०इष्ट, पवित्र। (जयो० ६/२७) निस्तोदः (पुं०) [निस्+तुद्+घञ्] चुभना, ढंक मारना। निस्पंदः (पुं०) कंपन। निस्पदः (पुं०) [नि+स्पन्द्+घञ्] बहना, रिसना, टपकना, गिरना, झरना। ०क्षरण, स्राव, प्रस्रवण। निस्यंदिन (वि०) [नि स्यन्द्+णिनि] टपकने वाला, बहने वाला। निस्रवः (पुं०) [नि+सृ+ अप्] सरिता, प्रवाहिनी, प्रसारिणी। ०धारा, प्रवाह, झरना। चावलों का मांड। निस्वनः (पुं०) [नि+स्वन्+अप्] शब्द, कोलाहल, ध्वनि। निस्वापः (पुं०) देवलोक। (जयो० १०/१२) निस्सरंती (वि०) निकलने वाली, स्वच्छदगामिनी। (जयो० १/२०) निस्सार (वि०) सार रहित, अनिष्ट। निस्सारता (वि०) असारता, अनिष्टता। (जयो० ११/२०, जयो०१० २/१४) निहत (भू०क०कृ०) ०वध किया गया, ०मारा गया, ०प्रहार किया गया। ०अनुरक्त, भक्त। निहन् (सक०) मारना। (वीरो० १६/३०) ०हनन करना। निहननं (नपुं०) [नि+ह्र ल्युट्] वध, घात। निहारः (पुं०) [नि+ह+घञ्] कुहरा, धुंध। निहिंसनं (नपुं०) [नि+हिंस्+ल्युट्] वध, घात। त्यक्तं क्रतौ पशुबले: करणं परेण निहिंसनैकसमये सुसमादरेण। (वीरो० २२/१७) निहितः (वि०) [नि+धा+क्त] प्रदत्त, दिया, रक्खा गया, प्रयुक्त, समर्पित, अर्पित। निहीन (वि०) [निरतां हीन:] अधम, नीच। निहीनः (पुं०) निम्न पुरुष, अधमकुलजात व्यक्ति। निह्नवः (पुं०) [नि+हु+अप्] छिपाना, अदृश करना, भेंट जाना, मुकरना। गोपनीयता, रहस्य। ०अविश्वास, सन्देह, शंका। 'यतोऽस्तु गुर्वादिकनिह्ववादि' (भक्ति० ४३) ०दुष्टता। प्रायश्चित्त, परिशोधन। ज्ञानापलाप करना। गुरु के कथन का अपलाप। 'अन्यतः श्रुतमधीत्यान्यस्य गुरोः कथनं गुरोरपलापः।' भ०आ० ११३) कुलादि की महानता का अपलाप। नी (सक०) ले जाना, नेतृत्व करना, लाना, पहुंचाना, संचालन करना। निर्देश करना, शासन करना। (प्राप्त होना, (वीरो०५/१३) व्यय करना, बिताना। ०पता लगाना, खोज निकालना। प्रार्थना करना, निवेदना करना। प्रवृत्त करना, संलग्न करना, बहलाना। ०बचाना, प्रवर्तित करना। धर्मार्थ-कामेषु जानननीति नेतुं नृपस्यास्तु सदैव नीतिः। (जयो० २/१२०) देना, प्रदान-'आश्विनसमये वयं मरुद्भिरिव नीताश्च कृतार्थतां भवद्भिः । (जयो० १२/१३९) नी (पुं०) [नी+क्विप्] नेता, नायक, पथ प्रदर्शक, अग्रणी, प्रधान। नीका (स्त्री०) कुल्या, नहर। नीकाश (वि०) [नि+का+अच्] निकाश, बहाव। नीच (वि.) [निष्कृष्टतमी शोभां चिनोति] नीचे की ओर, भो भद्र। नीचै व्रजे: (मुनि० ४) गर्हित, निन्दित। हीन, अधम, पतित, निम्न। ०छोटा, तुच्छ, थोड़ा, स्वल्प। दुष्ट। अनार्य। नीचकुलः (पुं०) निम्नकुल, शूद्र। नीचकर्मन् (नपुं०) निम्नकर्म। नीचकैः (अव्य०) नीचा, अधम, नीचे, तले। नीचगतिः (स्त्री०) क्षुद्र, अवस्था। निम्न पर्याय। नीचगोत्रं (नपुं०) लोकनिन्दित कुल। 'गर्हितेषु यत्कृतं तन्नीचैर्गोत्रम्' (त०वा० ८/१२) नीचचर (वि०) निम्न आचरण करने वाला। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy