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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निष्प्रत्यूह ५७७ निस्तरणं निष्प्रत्यूह (वि०) निर्विघ्न, अबाध! निसर्गज (वि०) स्वभावगत, स्वाभाविक सम्यग्दर्शन, अपूर्वकरण निष्प्रपंच (वि०) विस्तार हीन। ०छल रहित। के अनन्तर तत्त्वश्रद्धा का कारण उत्पन्न होना। निष्प्रभ (वि०) कान्तिविहीन। प्रभा रहित। निसर्गतः (अव्य०) स्वभावतः, सहज रूप से। निसर्गतस्तस्य शक्तिविहीन, निस्तेज, द्युतिहीन। तथैवजातिः, रोषाय कः कोऽत्र च तोषतातिः। (समु०१/२४) निष्प्रमाणक (वि०) प्रमाण रहित, अधिकार विहीन। निसर्गतल्पः (पुं०) स्वभावगत, स्वाभाविक समुत्पत्ति। निष्प्रयास (वि०) बिना श्रम, उद्देश्य से अनभिज्ञ। (वीरो०५/३९) 'लसच्चतुर्वर्गनिसर्गतल्प:' (सुद० १/१२) निष्प्रयोजन (वि०) निरुद्देश्य। निसर्गभावः (पुं०) सहज स्वभाव, प्रकृति जन्य भाव। निष्कारण, निराधार। (जयो० १२/१४६) प्रयत्नवानादशमस्थलन्तु, यतोऽयमात्मा व्यवहारतन्तुः। ०अनुपयोगी, व्यर्थ, अनावश्यक। निसर्गभावेन निजात्मगूढस्ततः पुनर्निश्चय-मार्गरुढः।। निष्प्राण (वि०) असु रहित, प्राणरहित, चैतन्य शून्य। (सम्य०१२६) (जयो०वृ० १९/९०) निसर्गरुचिः (स्त्री०) नैसर्गिक सम्यग्दर्शन की प्रतीति 'निसर्गः निष्पृह (वि०) इच्छा रहित, आकांक्षा विहीन। (दयो० २।८) स्वभावस्तेन रुचिः जिनप्रणीत-तत्त्वाभिलाषारूपा यस्य स निष्पृहत्व (वि०) इच्छा शून्यता। (समु० ९/४) निसर्गरुचिः । (जैन०ल० ६३५) निष्फल (वि०) असफल, फलहीन। (सुद०१/६) 'नलमखिलं निसर्गरूपः (पुं०) सहज सौन्दर्य। निष्फलं च' (सुद०७०) निसर्गवासः (पुं०) रचना सद्भाव, सहज रूप। (समु० १/३०) निष्फलता (वि०) व्यर्थीभावता, अनुपयोगिता। (जयो० ५/८८) निसर्गसम्यग्दर्शनं (नपुं०) स्वभाव से उत्पन्न सम्यग्दर्शन। (सुद० १/५) 'साफल्यं चक्षुषोरस्ति महतामेव दर्शने इति यथार्थ रूप से जाने गए तत्त्व के प्रति रुचि। 'यत्सम्यग्दर्शनं सूक्ते। (जयो० ३/३२) बाह्योपदेशं बिना उत्पद्यते तत्सम्यग्दर्शनं निसर्गजमुच्यते। निष्फेन (वि०) बिना झाग का। (त०वृ० १/३) निस् (अव्य०) [निस्+क्विप्] धातुओं के पूर्व लगने वाला निसर्गसिद्धः (पुं०) स्वभाव से प्रसिद्ध। उपसर्ग-जिससे कई प्रकार का अर्थ व्यक्त होता है-निश्चित, निसर्गोत्थित (वि०) सहज रूप से उत्पन्न हुआ। आविष्कृतानिश्चय, पूर्णता, उपभोग, पार करना। ऽन्यैरपि पौरवगैस्तथानिसर्गोत्थितहर्षसर्गः। (समु०६/१५) निसर्मः (पुं०) [नि सृज्+घञ्] स्वभाव, प्रकृति, सहज। (जयो० ५/१७) (समु० ३/२०) निसारः (पुं०) [नि+सृ+घञ्] समूह, समुदाय, समुच्चय। निर्गमन। (जयो०वृ० ११/३३) निसिध् (सक०) रोकना, हटाना। निषेधयास (समु० ४/७) प्रदान करना, अनुदान देना, पुरस्कार देना, उपहार देना। निषेधयन् (सुद० ९४) मलोत्सर्ग, मलत्याग। निसूदन (वि०) [नि सूद्-ल्युट] मारने वाला, नष्ट करने वाला। तिलाञ्जलि, छूटना। निसूदनं (नपुं०) वध, घात। सृष्टि । निसेव् (सक०) सेवन करना, उपयोग करना, प्रयोग करना। १. निसृज्यत इति निसर्गः प्रवर्तनम्'। (स०सि० ६/९)। निषेयते (वीरो० ९/१०) २. 'निसर्जनं निसर्ग: स्वभाव इत्यर्थः'। निसृष्ट (भू०क०कृ०) [नि+सृज् क्त] अर्पित, समर्पित, सौंपा ३. निसृष्टिनिसर्गः। (त०वा० १/३, ६/९) गया, प्रदान किया गया। तत्त्वश्रद्धा का कारण। त्यक्त, परित्यक्त, विसर्जित। ०सम्यग्दर्शन का कारण। अनुजात, अनुमत। निसर्गक्रिया (स्त्री०) प्रवृत्ति विशेषकी अनुमोदना। | निस्तरणं (नपुं०) [निस्+तृ ल्युट्] बाहर जाना, गमन करना। चिरकाल प्रवृत्ति। पार करना, बचाना। ०परानुमतदान। पार। (भक्ति० १) निसर्गचयनं (नपुं०) सहजपुष्टि। (सम्य० १२६) ०भवान्तर को प्राप्त कराना। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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