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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निष्कषाय ५७५ निष्ठा निष्कषाय (वि०) कषाय रहित, शुक्लध्यान में लीन। (जयो०३/११४) निष्काङ्क्षा (स्त्री०) कांक्षा का अभाव, भोगाभिलाषा की इच्छा नहीं करना। निष्कांक्षित (वि०) देश कांक्षा और सर्वकांक्षा से रहित सम्यग्दृष्टि जीव। निष्कादर्य (वि०) कृपा रहित, उदारता से शून्य। (जयो० २/१००) निष्कामिन् (वि०) काम रहित, इच्छा शून्य। निष्कालनं (नपुं०) [निस्+कल्+णिच् ल्युट्] हांकना, दूर करना। वध, हत्या। निष्कारणं (वि०) सद्य, तत्काल, बिना प्रयोजन। (जयो०१७/६३) निष्काशयति (वर्त०) निकालना। (जयो० १५/१८) निष्काशित (वि०) निकाला जाने वाला, निर्वासित। निष्काशितोऽतः प्रविताड्यलोकैः विक्षिप्त एवेत्युपलब्धरोकैः। (समु० ३/३२) निष्कासः (पुं०) [निस्+काश्+घञ्] निर्गम, निकास। (सुद० १०४) ०बाहर निकालना, अलग, पृथक्। ०अन्तर्धानाद्वारमण्डप। निक्कासिनी (स्त्री०) [निस्+कस+णिनि ङीप] निकाली गई, बाहर की गई स्त्री। निष्कासित (भू०क०कृ०) निर्वासित, बाहर निकाला गया। ०खोला गया, खिला हुआ। निष्कुटः (पुं०) [निस्+कुट+क] क्रीडोद्यान, क्षेत्रीय उद्यान, आवासीय स्थान का क्रीड़ा क्षेत्र। ०रनवास, अन्तःपुर। ०दरवाजा, द्वार। वृक्ष का कोटर। निष्कुटिः (स्त्री०) बड़ी इलायची। निष्कुषित (वि०) [निस्+कुष्+क्त] विदीर्ण, विखण्डित, विदारित। निर्वासित, निकाला गया। निष्कुहः (पुं०) [निस्+कुह्+अच्] वृक्ष का कोटर, खोह। निष्कृत (भू०क०कृ०) [निस्+कृ+क्त] निष्काशित, निकाला गया, बहिष्कृत किया गया। निष्कृतं (नपुं०) प्रायश्चित्त। निष्कृतिः (स्त्री०) [निस्+कृ+क्तिन्] प्रायश्चित्त, परिशोधन, शुद्धिकरण। ०हटाना, दूर करना। ०आरोग्यलाभ, चिकित्सा। ०प्रतीकार, बचना, टालना। अपेक्षा करना। निष्कृष्ट (भू०क०कृ०) [निस् कृष+क्त] खींचा गया, निकाला गया। (जयो० ८/३३) निष्कोषः (पुं०) [निस्+कृष्+क्त] फाड़ना, विदीर्ण करना, उखाड़ना, उन्मूलन करना। निष्कोषणं (नपुं०) उन्मूलन, उखाड़ना, विदीर्ण करना। निष्कोषणकं (नपुं०) [निष्कोषण+कन्] दांत खुरचनी। निष्क्रमः (पुं०) [निसृ-क्रम्+घञ्] निकलना, बाहर जाना, निर्गमन होना, विदा होना। निष्क्रमणं (नपुं०) गमन, प्रव्रज्या हेतु अभिनिष्क्रमण। ___०संस्कार हेतु ले जाना, निकाला जाना। निष्क्रमणिका (स्त्री०) [निष्क्रमण कन्+टाप्] निकलना, गमन होना, जाना बाहर होना। निष्क्रयः (पुं०) [निस्+की+अच्] निस्तार, छुटकारा, उद्धार। ०पुरस्कार, पारितोषिक। ०भुगतान, अदाएगी। विनिमय। निष्क्रयणं (नपुं०) [निस्+की+ल्युट] विस्तार, छुटकारा, उद्धार। निकिष्क्रय (वि०) क्रियाहीन, कार्य करने की शक्ति रहित, असमर्थ्य। (सुद० ९७) निष्क्रियता (वि०) अकर्मण्यता। (सुद० ९७) निष्क्वाथः (पुं०) [निस्+क्वथ्+घञ्] ०काड़ा, रस। निष्टपनं (नपुं०) [निस्+तप्ल्यु ट्] जलन, तपन। निष्टानकः (पुं०) [निस्तानक:] कलकलध्वनि, मेघ गर्जना, मरमरध्वनि। निष्ठ (वि०) [नितरां तिष्ठति-नि+स्था+क] स्थिति, उपस्थिति, ० आश्रित, निर्भर, इंगित। ०अनुरक्त, तल्लीन। स्थैर्य, दृढ़ता। कुशल। युक्त। 'नीरमुज्ज्वलजलोदभवनिष्ठम्। (जयो० ४/५९) निष्ठा (स्त्री०) अवस्था, दशा। ०दृढ़ता, धैर्यता, कुशलता। ० श्रद्धा, विश्वास, दृढ़प्रतीति भक्ति। 'आश्विनोपलपनेन हि निष्ठा' (जयो० ४/६५) For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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