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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निषादित ५७४ निष्कलङ्क निषादित (वि०) [नि+सद्+णिच+क्त] बैठाया हुआ, स्थित। | निषेधः (पुं०) [नि+सिध्+घञ्] प्रतिरोध, निरोध, रोक। कष्टयुक्त, दु:खी। उच्चरित, प्रस्फुटित। दूर रखना, हटाना, रोकना। निषादिन् (वि०) [निषाद+इनि] विश्राम करने वाला, बैठने ०प्रत्याख्यात। वाला। ०अपवाद नियम से व्यतिक्रम करना। निषादिन् (पुं०) महावत, हस्ति पर आरूढ़ होकर उसको निषधयित्री (वि०) अपवर्तिनी (जयो०वृ० ३/१८) संचालन करने वाला। हस्तिपक। (जयो० १३/९५, जयो० निषेधिका (स्त्री०) निषिद्धिका, साधु की सामाचारी क्रिया। १३/१०४) निषेधिनी (वि०) विरोधिनी। (सुद० ११२) निषिद्ध (वि०) [नि+सिध्+क्त] रोका गया, हटाया गया, मना | निषेवक (वि०) [नि+से+ण्वुल्] ०अभ्यास करने वाला, किया गया। (जयो० २/१२८) अनुगमन करने वाला। भक्त, अनुरक्त, सेवाभावी। निषिद्धिका (स्त्री०) ०अंग बाह्य आगम की एक प्ररूपणा, निषेवणं (नपुं०) [नि+से+ल्युट्] ०पूजा, आराधना, भक्ति, प्रायश्चित्त विधान सम्बंधी अधिकार। निषिद्ध स्थान, अर्चना। कन्दरा, गुफादि में प्रवेश करते समय व्यन्तरादि से आसक्ति, अनुरक्ति, लगाव। पूछकर प्रवेश करना। ०रहना, बसना, ठहरना। निषिक्त (भू०क०कृ०) [नि+सिध्+क्तिन्] ०प्रतिषेध, दूर रखना। ०सेवा करना, उपस्थित रहना। प्रतिरक्षा, सुरक्षा करना। निषेवमाण (वि०) सेवन करने वाले। निषिसिंच (पुं०) सींचा गया। (जयो० १०/६१) निषेव्य (वि०) सेवनीय, आचरणीय, पालन योग्य। (जयो० निषीथः (पुं०) आचारांग सूत्र की द्वितीय चूलिका। ३/३६) (सुद० १/७) ___०आचारांग एक जैनगम है, जिस पर निषीथ लिखा गया। निष्क् (सक०) तोलना, मापना। निषीधिका (स्त्री०) प्रासुक स्थान पर आसन, आराधक का निष्कः (पुं०) [निष्क्+अच्] ०स्वर्णमुद्रा, रेशमी, बहुमूल्य। निर्जीव स्थान पर दृढ़ होना। निष्कर्षः (पुं०) [निस्+कृष्+घञ्] ०सत्, सारभूत, तत्त्व, निषूदनं (नपुं०) [नि+सूद्। णिच्+ ल्युट्] वध करना, हत्या सारांश, उपसंहार। करना। नाशक, बुद्धि चातुर्य। (जयो० ९/५५) निश्चय, ध्रुव, स्थिर, दृढ़। निषेकः (पुं०) [नि+सिच्+घञ्] निचोड़ना, बाहर निकालना। बुद्धि कौशल। (जयो० १२/९) निष्कर्षणं (नपुं०) [निस्+कृष्+ ल्युट्] निचोड़ना, निकालना। ०समय प्रमाण, विवक्षित कर्म की स्थिति में से उसके रहस्य खोलना। अबाधाकाल को घटा देने पर जो शेष रहे, वह प्रमाण उपसंहार करना, समेटना। निषेक है। निष्कण्टक (वि०) कंटक रहित, शान्त, धैर्ययुक्त। (जयो० छिड़कना, तर करना। ३/११५) ०बूंद। निष्कपट (वि०) कपट रहित, छल रहित, आर्जवपरिणामी। ०टपकना, रिसना, झरना, बहना। (समु० ९/३) मृदुता। स्राव, प्रस्राव। निष्क-पट (नपुं०) रेशमीवस्त्र, बहुमूल्यपरिधान, जरी-सितारे ०वीर्यपात, वीर्यसिंचन। आदि से अलंकृत वस्त्र। (जयो० ७/१११) सिंचाई। निष्करदशा (स्त्री०) किरणरहितावस्था, प्रभा रहित स्थिति। ०प्रक्षालन का जल। ०म्लान, खिन्नदशा। ०वीर्य की अपवित्रता। निष्कल (वि०) अनंतदु:ख युक्त आत्मा। गंदा जल, प्रदूषित नीर। निष्कलङ्क (वि०) कलङ्क रहित, पाप रहित, अकलंक। निषेकक्षदभवग्रहणं (नपुं०) जघन्य आयुध का बन्ध। (जयो० १२/२६) For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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