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निवेशयन्
५७२
निशि
०तम्बू, शिविर, आस्थान मण्डप।
निशाधरः (पुं०) चन्द्र। oशिला-लेखन, लेखबद्ध करना।
निशानं (नपुं०) [नि+शो+ल्युट्] चिह्न, लक्षण। (समु० ७/२) घोंसला, खोह।
बहुगदाधिकृतेह तदग्रतः शुचिनिशानमुदेति अदो वत। (समु० निवेशयन् (पुं०) रखा, ठहरा। (जयो० १२/११७) अनुनी
७/२) विनिवेशयन्स्वहस्तं चक्रे तत्समुदश्चितं ततस्तम्। निवेशयन्
०पहनाना, शान पर चढ़ाना, तेज करना। सन्दधानः। (जयो०वृ० १२/११७)
निशानिशम् (अव्य०) सदैव, रातभर। निवेशरूपिणी (स्त्री०) स्थिरीभूत, दृढ़। मूर्तिमती। तम्बू, निशानिशाना (नपुं०) चन्द्रमा, शशि। 'परामृशन् भाति आस्थानशलिनी।
निशानिशान:' (जयो० १५/७२) निवेष्टः (पुं०) [नि+वेष्ट+घञ्] ०आवरण, परदा, आच्छादन। निशान्तः (पुं०) अन्तःपुर प्रदेश। (जयो० २१४८०) निवेष्टनं (नपुं०) लपेटना, बन्द करना।
निशापुष्पं (नपुं०) कुमुदिनी, सफेद कमलिनी, रात में खिलने निश् (स्त्री०) ०रात्रि, रजनी। हल्दी।
वाली कुमुदिनी। निशमनं (नपुं०) [नि+शम्+णि+ल्युट] ०लोचन करना,
०पाला, ओस, कुहरा। अवलोकन करना, देखना।
निशाभृत (वि०) रजनी की व्याप्ति, रात्रि का विस्तार। दर्शन, दृष्टि।
निशामः (पुं०) [नि+शम्+घञ्] निरीक्षण करना, प्रत्यक्ष ०सुनना, ध्यान लगाना।
करना, देखना, अवलोकन करना। ०समझना, पर्यालोचन करना, अनुचितंन करना।
निशामनं (नपुं०) [नि+शम् णिच् ल्युट्] ०दृष्टि, दर्शन, निशम्य (सं०कृ०) सुनकर। (सुद० ८४/ , ४/१६)
अवलोकन। निशरणं (नपुं०) [नि+ष+णिच्+ ल्युट्] वध, हत्या।
निरीक्षण। निशा (स्त्री०) [नितरां श्यति तनूकरोति व्यापारान्] निशा नाम स्त्री (जयो०वृ० १५/३७) का गतिर्निशि हि दीपकं बिना
०छाया, प्रतिबिम्ब। (जयो० २/९७)
०सुनना, श्रवण करना।
निशामुखं (नपुं०) रात्रि का आरम्भ। रजनी, रात्रि। (सुद० २/१३, ९४, ८६) ०अन्धकार। (सुद० ७२)
निशामृगः (पुं०) गीदड़। ०हल्दी। (समु० ८/५) निशा सुधा कुकुमतां प्रयातः (समु०
निशावनः (पुं०) क्षण। ८/५)
निशावसानं (नपुं०) रजनी की समाप्ति, रात व्यतीत करना। निशाकरः (पुं०) चन्द्र। मुर्गा, कपूर।
'दृष्टा निशावसाने विशदाङ्का स्वप्नषोडशी सहसा। (वीरो० निशाक्रमः (पुं०) रात बिताना, रात्रि व्यतीत करना।
४/३५) निशागृहं (नपुं०) शयनकक्ष, विश्राम स्थल।
० अवसान काल-लक्ष्मीरिवासौ तु निशावसाने ददर्श निशाचर (वि०) रात्रि में विचरण करने वाला। १. राक्षस।
हर्षप्रतिपद्विधाने। (सुद० २/११) ०को नाम वाञ्छेच्च निशाचरत्वम्। (वीरो० १८/३६) 'निशायां निशाविहारः (पुं०) पिशाच, राक्षस, निशाचर। चरतीति निशाचर:' पिशाच, राक्षस। (जयो० १५/२४) ।
निशावेदिन् (पुं०) मुर्गा, कुक्कुट। रक्तंचर। (सुद० १३१)
निशा-शशाङ्कः (पुं०) चन्द्रमा। निशाशशाङ्क इवायमिहाऽऽसीत् निशाचरत्व (वि०) राक्षसपना। निशाचरत्वं न कदापि मायादेनाशनो परिकलितः किल यशसां राशिः। (सुद० १/४४)
वा दिवसेऽपि भायात्। मद्यं च मांसं मधुकं न भक्षेत् स निशाशोषसूचकः (पुं०) कुक्कुट, मुर्गा। (जयो०वृ० १/७८) ब्राह्मणो योऽङ्गभृतं सुरक्षेत्।। (वीरो० १४/४२)
निशाहसः (पुं०) कुमुदिनी, कमलिनी, रात्रि में विकसित होने निशाचर्मन् (पुं०) अन्धकार।
वाला कुमुद। निशाजलं (नपुं०) ओस, कोहरा, कुहरा।
निशि (स्त्री०) हल्दी। यवत्सुधासु निशयोर्जगतां हिताय (वीरो० निशादर्शिन् (पुं०) उल्लू, घुघ्घु।
२२/१५)
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