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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निविद् ५७१ निवेशनं निविद् (सक०) निवेदन करना, कहना, बतलाना, समाचार देना। (दयो० ८८, जयो० २३/८३) निविशेष (वि०) [निवृत्तो विशेषो] ०अभिन्न, समान, सदृश। ०पारस्परिक मिला हुआ। निविशेषः (पुं०) अन्तर का अभाव। निविष्ट (भू०क०कृ०) [नि+विश्+क्त] प्रविष्ट, स्थित, बैठा हुआ। नियंत्रित, दमित, केंद्रित। ०दीक्षिता व्यवस्थित। निवीतं (नपुं०) [नि+व्ये+क्त] यज्ञोपवीत धारण करना। निवीतः (पुं०) परदा, अवगुंठन, आवरण, दुपट्टा। निवृत (भू०क०कृ०) [नि वृ+क्त] घिरा हुआ, लपेटा हुआ। निवृतं (नपुं०) अवगुंठन, चूंघट, परदा, आवरण। निवृतिः (स्त्री०) [नि+वृ+क्तिन्] ०आवरण, घेरा, प्रावरण। निवृत्त (भू०क०कृ०) [नि वृत्त+क्त] ०सम्वारित, दूर। (जयो०वृ० १३/२३) लौटना, वापिस आना। (जयो०वृ० १७/१८) गया हुआ, विदा हुआ। रुका हुआ, टहरा हुआ, विरत, विराम युक्त। ०सांसारिक कार्यों से उदासीन। ०पश्चात्ताप लेने वाला। निवृत्तं (नपुं०) लौटना, वापिस आना। निवृत्तकारण (वि०) बिना कारण। निवृत्तकारणः (पुं०) धार्मिक पुरुष, सांसारिक क्रियाओं से उदासीन व्यक्ति। त्यागी पुरुष। निवृत्तगृहं (नपुं०) घर त्याग। निवृत्तचारित्रं (नपुं०) चारित्र से शून्य। निवृत्तमांस (वि०) मांस छोड़ने वाला। निवृत्तराग (वि०) राग रहित, जितेन्द्रिय। निवृत्तवृत्ति (वि०) व्यवसाय से विरत। निवृत्तसंसार (वि०) संसार से उपरत। निवृत्तहृदय (वि०) पश्चात्ताप करने वाला। निवृत्तिः (स्त्री०) [नि+वृत्+क्तिन्] ०लौटना, वापिस आना। ०अन्तर्धान, विराम, उपरति, विरति। निष्क्रियता, कार्य से उदासीन। अरुचि। वैराग्य, विराग, शान्ति। उन्मूलन, प्रतिरोध, प्रतिबन्ध। ०अस्वीकार। निवृत्ति-गृहं (नपुं०) गृहमुक्त। निवृत्तिगृहस्थ (वि०) आजीविका विहीन। गृहस्थ (समु०२/३३) निवृत्तिपथः (पुं०) मुक्ति मार्ग। (जयो० २८/११) निवेदनं (नपुं०) निवेदन, कथन, प्ररूपण। ०कहना, बतलाना, समझाना। (समु० ४/२०) समाचार, उद्घोषणा। समर्पण, प्रतिनिधान, आहूति। निवेदनार्थ (वि०) निवेदन के लिए, कहने के लिए, प्रकट करने के लिए। (जयो०वृ० १२/११४) निवेदित (वि०) कथित, प्रतिभाषित। (समु० २/२३) प्ररूपित, प्रतिपादित। (दयो०८६) 'एवं समागत्य निवेदितोऽभूदेकेन भूप सुतरां रूषोभूः।' (सुद० १०८) 'निवेदितो गारुडिनाऽपि' (समु० ४/१४) निवेदयितुं (हे०कृ०) निवेदन करने के लिए, कहने के लिए (दयो० ८८) 'जगाम धाम किश्चासौ निवेदयितुमङ्गनाम्। (सुद० ११२) निवेद्य (वि०) सम्यक् व्यावर्ण्य, वर्णन करने योग्या(जयो०२३/८३) ___निवेदन करने योग्य। (जयो० ४/२) निवेद्यं (नपुं०) नैवेद्य, पकवान्। पूजन में चढ़ाया जाने वाला द्रव्य। निवेद्यमानं (नपुं०) नैवेद्य, पकवान, पूजन में चढ़ाया वाला द्रव्य। निवेद्यमान (वि०) कहने वाला। 'भूतं तथा भावि खपुष्पवद्वा निवेद्यमानोऽपि जनोऽस्त्वसद्वाक्। तमग्रयेत्विन्धनमासमत्य जलायितत्त्वं करकेषु पश्यम्।। (वीरो० २०/६) निवेशः (पुं०) [नि+विश्+घञ्]०प्रवेश, प्रविष्ट। पूंजी लगाना, जमा करना, अर्पण करना। ठहरना, स्थित होना। तम्बू, आस्थान। (जयो० विचार-'निवेशाविचारा स्ते' (जयोवृ० १२/९७) विवाह करना, जीवन स्थिर करना। सैन्य व्यवस्था। ०सजावट, आभूषण। ०छाप, नकल। निवेशनं (नपुं०) [नि+विश्+णि+ल्युट] ०प्रवेश, प्रविष्टि। ०ठहरना, रुकना, स्थिर होना। आवास, निवास, घर स्थान। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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