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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निलयगतः ५७० निविड स्थान-'शून्यागार-गुहा-श्मशान-निलयप्राये प्रतीतो मुदा।' निवहत (वि०) धारण करले। (जयो० १२/८०) (मुनि०२९) (जयो०९/६५) क्व निलयोऽनिलयोग्यविहारिणः' निवात (वि०) [निवृत्तः वातो यस्मिन्] सुरक्षित, शान्त, वायु घोंसला, मांद, जानवरों के छिपने का स्थान। से रहित, सुसज्जित, दृढ़, कवच युक्त। अस्त होना, छिपना दिखाई नहीं देना। निवातः (पुं०) निवासस्थान, शरणस्थल, आश्रयस्थान, आगार, निलयगतः (वि०) स्थान को प्राप्त। आश्रम। निलयनं (नपुं०) [नि+ली+ल्युट] बसना, रहना, स्थान बनाना निवातं (नपुं०) वायु से सुरक्षित स्थान शान्त, निस्तब्धता। ___ शरण लेना, आश्रय, स्थान, गृह, आवास। निवापः (पुं०) [नि+वप्+घञ्] बीज, अनाज, धान्य। निलयप्राप्त (वि०) आवास को प्राप्त हुआ। जलतर्पण। निलयभूता (वि०) वासिनी, निवासिनी। (जयोवृ० १३/५८) ०भेंट, उपहार, प्राभृत। निलिंपः (पुं०) देव, अमर। निवारः (पुं०) [नि+वृ+णिच्+अच्] १. दूर रखना, रोकना, निलिपा (स्त्री०) गाया हटाना। २. प्रतिषेध, बाधा। निलिम्प (अक०) लिप्त होना, आसक्त होना। निवारक (स्त्री०) रोका गया। (जयो० २/१३) निलिम्पित (वि०) लिप्त होने वाला। (जयो० १/१०४) निवारणं (नपुं०) बचना, रोकना प्रहाणद्य। (दयो० ७७) निलीन (भू०क०कृ०) [नि+ली+क्त] ०परिवर्तित, रूपान्तरित, निवारित (वि०) हत, रोका गया। (जयो० ५/१०५, ६/२७) ०ध्वस्त, नष्ट, नाश। निवासः (पुं०) [नि वस्। घञ्] ०आवास, गृह, घर, स्थान पिघला हुआ, गला हुआ। स्थल, रहना, बसना। परिवलयित। विश्रामस्थल। ०बन्द, गुप्त, आच्छादित, लिपटा हुआ। ०वस्त्र, परिधान। निवचने (अव्य०) बोलना बन्द करके, नहीं बोलना। निवपनं (नपुं०) [नि+व+ल्युट] ०बोना, बीज बोना। निवासगृहं (नपुं०) निलय, आवास, घर रहने का स्थान, उड़ेलना, बिखेरना, नीचे फेंकना। अपना निवास स्थान। (जयो० १२/६२) निवरा (वि०) [नि+व+अप+टाप] ०अविवाहित कन्या। निवासनं (नपुं०) [नि+वस्+णिच् ल्युट्] निकेतन, निलय, अक्षत योनि। घर, आवास। निवर्तक (वि०) [नि+वृत्+ण्वुल] उन्मूल, निष्काशित करने पड़ाव, डेरा, तम्बू, शरणस्थल। वाला, मिटाने वाला। ०समय बिताना। ०वापिस लाने वाला। निवासनिष्ठ (वि०) आवास युक्त। (भक्ति० १६) निवर्तनं (नपुं०) [नि+वृत्+ल्युट] लौटना, वापिस अपना, निवासयुक्त (वि०) आवास सहित। पीछे मुड़ना। निवासस्थानं (नपुं०) निकेतन, घर, आवास, निलय। (जयो० निवर्तिन् (वि०) पराङ्मुख। (जयो० २/६८) १३/१०९) निवर्ष (वि०) वर्षा रहित। (जयो० ३/९२) निवासिन् (वि०) [नि+वस्+णिनि] निवासी, निवास करने निवस् (अक०) रहना, ठहरना। (समु० ५/११) वाला रहने वाला। (तस्मिन्निवासीसमभून्मुदा) (सुद० २/१) निवसं (नपुं०) स्थान, गृह। (जयोवृ० १/१०९) आवास युक्त। निवसतिः (स्त्री०) स्थान, घर, आवास, निवास स्थान। निवासिन् (पुं०) निवासी, प्रवासी, गृही, गृहस्थ। (सुद० निवसथः (पुं०) [नि+वस्+अथच्] ग्राम, गांव। ४/१७) निवसनं (नपुं०) [नि+वस्+ल्युट्] स्थान, वास, निवास, गृह, | निविड (वि०) [नि+विड+क] ०दृढ़, कसा हुआ, पक्का, घर आवास। सघन। निवसनशील (वि०) रहने वाला, आवास युक्त। (वीरो० २/२२) मोटा, घना, अभेद्य, स्थूल। निवडू (सक०) धारण करना, ग्रहण करना, लेना, उठाना। टेढ़ी नाक वाला। शिरोधार्य करना। (जयो० १४/१४३) (जयो० १३/५१) ०सदा हुआ, निरन्तराल। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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