SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 151
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निर्माणकथा ५६६ निर्रक्तं २. नियतमाप-, माप, जाति, लिंग, व्यवस्था, परिनिष्पत्ति, अन्तर्धान, तल्लीनता। परिनिर्माण। मरण, मृत्यु। निर्माणकथा (स्त्री०) नियामक कथा। ०पशुबन्धन की रस्सी। निर्माणकार्यः (पुं०) कृतिकर्म, रचनाधर्मिता। ०हस्ति की आंख का बाहरी कोना। निर्माणयुक्तं (वि०) बनाने योग्य, रचने योग्य। निर्याणकथा (स्त्री०) निकलने की कथा, निष्क्रमण कथा। निर्माणकाल (पुं०) संघटनकाल। (जयो० ११/३५) निर्यातनं (नपुं०) [निर्+यत्+णिच्+ ल्युट्] ०प्रत्यर्पण, उपहार, निर्माणस्थानं (नपुं०) रचना स्थल। दान। ०अर्पण करना, लौटाना निर्माय (सक०) रचना, बनाना। (सुद० ९४) निर्याति (स्त्री०) [निर्+या+क्तिन्] निकलना, बाहर जाना, निर्मायक (वि०) शिल्पकृत। (जयो०वृ० १७/५२) प्रस्थान, प्रयाण, गमन। (जयो० १६/८१) निर्मायित (वि०) रचित, निर्मित। (जयो० १९/८५) निर्यापकः (पुं०) निर्यापक श्रमण। जो व्रत का आरोपण करने आकार का नियामक, ०अंग-उपांग का निवेश स्थान। वाला हो। निर्माल्यं (नपुं०) [निर्+मल्+ण्यत्] १. देवपूजन को चढ़ाया ०कल्प-अकल्प में प्रवीण। गया द्रव्य अवशेष। २. शुद्धता, स्वच्छता, शुभ्रता, शुचिता। सूत्रार्थ का ज्ञाता। निर्मिति (स्त्री०) [निर्+का+क्तिन्] सृजन, कृति, रचना, निर्यापकपरिग्रहः (पुं०) समाधि में सहायक परिवर्ग/ उत्पादन, कलात्मक रचना। परिजनसमुदाय। निर्मुक्त (भू०क०कृ०) [निर्+मुच्+क्त] वियुक्त, छोड़ा गया, निर्याम (पुं०) [नि+यम् णिच्+घञ्] मल्लाह, नाविक, चालक, अलग किया गया। कर्णधार। निर्मूटः (पुं०) रवि, सूर्य। निर्यासः (पुं०) [निर्+यस्+घञ्] गोंद, रस, राल, पौधों का निर्मूल (वि०) निराधार, आधारहीन, जड़ रहित। निःश्रवण। निर्मूलनं (नपुं०) [निर्+मूल+ल्युट्] उच्छेदन, उच्चाटन, नियुक्ति (वि०) सहित। (जयो० २४/९०) उखाड़ना, फेंकना, नष्ट करना। नियुक्तिः (स्त्री०) सम्पूर्ण युक्ति, पूर्ण उपाय निश्चय से निर्मूष्ट (भू०क०कृ०) [निर्+मृज्+क्त] पोंछा गया, धोया अधिक से अधिक व्याख्या। गया, प्रक्षालित। निर्युहः (पुं०) [निर्+उ+क] कंगूरा। निर्मेघ (वि०) निरन्ध्र, मेघ रहित। ०मीनार, बुर्ज, कलश, ०मंदिर के ऊपरी भाग का निर्मेध (वि०) बुद्धिहीन, जड़, मूर्ख, अज्ञानी। कलश। निर्मोकः (पुं०) [नि+मुच्+घञ्] केंचुली। (वीरो० २/२४) शिरोभूषण, मुकुट, चूडामणि। निर्मोकस्य परित्युतामहिपते संज्ञयती का क्षतिः (मुनि० १८) ०खूटी, फाटक। निर्मोक्ष (पुं०) [नि+मोक्ष+घञ्] मुक्ति, मोक्ष, निर्वाण, छूटना। | नियूंथ (वि०) यूथ से विलग, हस्तिसमूह से अलग हुआ। निर्मोचनं (नपुं०) [निर्+मुच्+ल्युट्] मुक्ति, छूटना। निर्वृहः (पुं०) शृंग, द्वारप्रदेश। 'नि!हो द्वारिः निर्यासे शिखरे निर्मोह (वि०) मोह रहित, माया से रहित, ममत्व रहित। नागदन्तके' इति विश्वलो। (जयो० २४/५०) निर्यन (वि०) उद्यमहीन, परिश्रम रहित, निश्चेष्ट। नागदन्ती, खूटी। नियंत्रण (वि०) ०निर्बाध, प्रतिबन्ध शून्य, अवरोध मुक्त। शिरोभूषण, चूडामणि। स्वेच्छाचारी, उद्दण्ड। शिखर, मंदिर का कलशा। निर्यशस्क (वि०) यशहीन, कीर्तिरहित, लज्जाशील। निर्योगः (पुं०) योग रहित, मन, वचन और काय की प्रवृत्ति निर्यदालिवृन्दः (पुं०) निकलने वाले भ्रमर समूह। 'निर्यतामलीनां __ का अभाव, योग के विना। भ्रमराणां वृन्द: समूहस्तस्य' (जयो० १८/२०) निर्योगविसर्जनं (नपुं०) विदाई। 'तनये मन एतदातुरं तव निर्याणं (नपुं०) [निर्+या+ ल्युट्] निष्क्रमण, प्रयाण, प्रस्थान, निर्योगविसर्जने परम्। (जयो० १३/९) गमन। निर्रक्त (वि०) फीका, रंग विहीन। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy