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निर्धारित
५६५
निर्माण
निर्धारित (वि०) [निर्+धृ+णिच्+क्त] निश्चय किया गया,
नियत किया गया। निर्धूत (वि०) परित्यक्त, हटाया गया, निर्धूम (वि०) धूम रहित, स्वच्छ, साफ, स्पष्ट। निधूमसप्तार्चिः (स्त्री०) निर्धूम अग्नि। निर्धूमसप्तार्चिरिवान्तस्तु
स्वकीय कर्मेन्धनभस्मवस्तु। (सुद० २/४०) निधौत (पुं०) (भू०क०कृ०) [निर्धाव्+क्त] धो दिया गया,
प्रक्षालित किया गया, साफ किया गया। निर्नर (वि०) मनुष्य विहीन, शून्य, बीहड़, उजड़ा हुआ। निर्नाथ (वि०) नाथ रहित, स्वामी रहित। निर्नायक (वि०) नायक विहीन। निनिद (वि०) नींद से रहित, जागरुक, सजग। निर्निमन्त्रण (वि०) आमन्त्रण बिना। (जयो० ४/१२) निर्निमित्त (वि०) अकारण, अहेतुक, बिना कारण के। (सुद०९५) निर्मिमेष (वि०) टकटकी लगाने वाला। (सुद० ३/९) निर्निमेषनयनं (नपुं०) चित्रित नयन। 'निर्निमेषाणि नयनानि
यस्य' (जयो० ५/१९) निर्बन्ध (वि०) दुराग्रह, हठ। निर्बन्धु (वि०) मित्र रहित, बन्धु विहीन, मित्रहीन। निर्बल (वि०) शक्तिहीन, बलहीन। 'निर्बलस्य बलिना
विदारणमन्यता सहजक सुधारण। (जयो० २/१०२) निर्बलोद्धतिः (स्त्री०) निर्बलों का उद्धार। 'निर्बलानां
उद्धृतिरुद्धारस्तस्यां परस्तत्परः' (जयो०वृ० ३/२) निर्बाध (वि०) अनपाय, बाधा रहित, निरूपद्रव। (भक्ति० १६)
एकान्त, निर्जन, सुनसान। निर्बुद्धि (वि०) मूर्ख, अज्ञानी। निर्बुष (वि०) भूसी से रहित। निर्भट (वि०) [नि+भट्+अच्] कठोर, दृढ़। निर्भय (वि०) ०भय रहित, शंका रहित, निडर, नि:शकं,
(जयो० १३/४०) ०सुरक्षित, संरक्षिता निर्भयकर (वि०) अभय प्रदाता, महादाता। (जयो०वृ० १/१०८) निर्भयभावः (पुं०) अभय भाव। (जयो० १/९८) निर्भयमास्थित (वि०) निर्भयता से स्थित, निर्भयपूर्वक खड़े
हुए। अपि निर्भयमास्थिताः कथं व्रजतीतः खलु वाजिनां
व्रजः। (जयो० १३/१४) निर्भर्त्सनं (नपुं०) [निर् + भ + ल्युट्] गाली,
झिड़की, निन्दा, अपमान, दोषारोपण, दुर्भावना। निर्भर (वि०) अत्यधिक, तीव्र, उग्र, दृढ़, प्रगाढ़, गहरा, गम्भीर।
निर्भाग्य (वि०) भाग्य हीन, दुर्भाग्यपूर्ण। निर्भीक (वि०) निरङ्कश, उच्छृङ्खल। (जयो० ११/४१) निर्भीकलोकः (पुं०) उच्छृङ्खल भाषी कवि। निर्भीषणः (पुं०) विभीषण, रावण का भाई। (वीरो० १७/२९) निर्भूति (वि०) उचित कार्य नहीं करने वाला। निर्भेदः (पुं०) [नि+भिद्घञ्] विभक्त करना, खण्ड-खण्ड
करना। ०स्पष्ट उल्लेख, ०अभेद, सामान्य। निर्मक्षिक (वि०) मक्षियों से मुक्त। निर्मत्सर (वि०) ईर्ष्यारहित, मत्सर रहित। (वीरो० ११/३) निर्मत्स्य (वि.) मछलियों से रहित। निर्मथः (पुं०) [नि+मर्थ+घञ्] मथना, हिलाना, रगड़ना। निर्मथनं (नपुं०) मथना, बिलौना। निर्मथ्य (वि.) [नि+मंथ्+ण्यत्] मथने योग्य, हिलाने योग्य। निर्मथ्यं (नपुं०) अरणि, जिस पर रगड़कर आग पैदा की जाती है। निर्मद (वि०) गम्भीर, शान्त, सरल, मद रहित। निर्मनुज (वि०) मनुष्यों के अभाव वाला स्थान। निर्मन्यु (वि०) उदासीन, संसारिक संबंधों से युक्त। निर्मर्याद (वि०) मर्यादा विहीन, अपरिमित, अनियंत्रित, सीमा
का उल्लंघन करने वाला। निर्मम (वि०) ममत्व रहित, संकल्परहित।
उद्दण्ड, पापी, अपराधी। निर्मल (वि०) शुद्ध, निष्कलंक। भेज्ञानमुदेति निर्मलमिदं
मोदध्वमध्यासिताः' (सम्य० १४४)
अम्भस्यमल, समप्रत्यल, मल रहित। (जयो० वृ० १३/९३)
स्वच्छ, पवित्र (जयो० १२/१२०) (सु०७१) 'कञ्चन
कलशे निर्मलजलमधिकृत्य मञ्जु गङ्गायाः। (सुद०७१) निर्मलपथं (नपुं०) उन्नतमार्ग, सरलमार्ग, सीधा रास्ता। निर्मलबोधः (पुं०) पवित्रज्ञान। निर्मलभावः (पुं०) शुद्धभाव, उत्कृष्टभाव। निर्मलरसं (नपुं०) पवित्र शुद्ध आसव। (सुद० ३) निर्मला (वि०) शुक्ला, शुभ्रा। (जयो० १/) निर्मलाम्बरवती (स्त्री०) निर्मल आकाश वाली। (जयो० ४/५०) निर्मलायते -पवित्र करता है। (जयो० १/१०५) निर्मशक (वि०) मच्छरों से मुक्त। निर्मार्ग (वि०) पथ शून्य, भटका हुआ। निर्माणं (नपुं०) [नि+मा+ ल्युट्] १. उत्पादन, रचना, कृति,
आकृति। ०बनावट, रूप, आकार, ०सर्ग। (जयो० ११/४५)
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