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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नरौष्ठय ५६३ निर्णयपादः निरौष्ठ्य (वि०) ०अपवादपन (वीरो० २/३९) ०ओष्ठ से निर्जरः (पुं०) देव, अमर निर्णयपादः बोले जाने वाले का अभाव। विरोधिता पञ्जर एव भातु निर्जरणं (नपुं०) गलन, पतन। निरौष्ठ्य काव्येष्वपनादिता तु। (सुद० १/३३) निर्जरप्राय (वि०) जरा रहित, सदैव, युवा रहने वाला। (जयो० निर्गः [नि+गम्+ड] देश, प्रदेश, स्थान। २४/१२८) निर्गच्छन्ती (वि०) निकलती हुई। (जयो०वृ० १/२०) निर्जरस्थण्डिल (वि०) निर्जर भाग वाले। (दयो० २२) निर्गत (वि०) बहती हुई। निर्जरा (स्त्री०) गलना, नष्ट होना, पृथक् होना। एकदेशेन निर्गंधनं (नपुं०) [निर्- गंध ल्युट्] वध , हत्या। कर्मण। निर्गुण (वि०) गुणहीन, ओज, प्रसाद, माधुर्य रहित। निर्जरणं गलनं अध: पतनं शटनं निर्जरा। (कार्तिकेयानप्रेक्षा निर्ग्रन्थः (पुं०) दिगम्बर। (दयो० २२) (सम्य० १४२) टी० २) परिग्रहाहित (जयो० २८/६३) निर्जीर्यते निरस्यते यया निर्जरणमात्रं वा निर्जरा। (त०वा० निर्ग्रन्थत्व (वि०) निर्ग्रन्थपना, बाह्य एवं आभ्यन्तर ग्रन्थ का १/४) निर्जीर्यते निरस्यते यया निरसनमात्रं वा निर्जरा परित्याग करने वाला। (त०वा० १/४) निर्ग्रन्थधर्मः (पुं०) श्रमणधर्म। दिगम्बर धर्म। कर्मों का एकदेश डालना। (सम्य० ८४) निर्ग्रन्थवृत्तिः (स्त्री०) साधुवृत्ति। (मुनि० २) मुनिवृत्ति। ०कर्मपरित्याग, कर्मविपाक। निर्ग्रन्थपदं (नपुं०) निर्ग्रन्थस्थान। (मुनि० ३४) निर्जरानुप्रेक्षा (स्त्री०) निर्जरा का चिन्तन। निर्ग्रन्थमार्ग (पुं०) वीतरागमार्ग। __ गुण-दोषों का अनुचिन्तन। निर्ग्रन्थसाधु (पुं०) वीतरागमार्ग प्रवर्तक साधु। दिगम्बर मुनि। । निर्जराभावः (पुं०) निर्जरा का परिणाम, कर्म की पृथक्ता। निर्गमः (पुं०) [निर्गम्। अप्] निकलना, प्रयाण करना। निर्जित (वि०) पराभूत, परास्त। (जयो० १/२५) निर्गमक्षणं (पुं०) निकलना, बाहर। निर्जीर्ण (वि०) निर्जरा करते हुए। (सुद० ११९) निर्गुन्ददेश: (पुं०) दक्षिण का एक देश (वीरो० १५/३५) । निर्जीव (वि०) पौद्गलिक, निगूढः (पुं०) वृक्ष का कोदर। 'प्राणिनां शुभाशुभविधि-विधायकमदृष्टं तत्पौद्गलिक निर्घटः (पुं०) [निर्। घण्ट्+घञ्] ०शब्दावली, शब्दसंग्रह, निर्जीवमेव वस्तु भवतीति जैनसिद्धान्त'। (जयो०वृ० १०/०३) ००सूचीपत्र। निर्जल (वि०) मरुभूमि, जलरहित। निर्घषण (नपुं०) [निर्+घृष्+ ल्युट्] रगड़, टक्कर। निर्जल्प (वि०) मौन। (जयो० २/१२३) निर्घातः (पुं०) [नि+ह्र+घञ्] विनाश, हानि, क्षय। वज्रपात, निर्जल्य (वि०) लज्जा रहित, अपत्रय। (जयो० ३/१०५) ० भूकम्प। निज़र (वि०) स्वस्थ वर रहित। निर्घातनं (नपुं०) [नि+हन्+णिच्+ल्युट्] बलपूर्वक बाहर निर्झरः (पुं०) [नि+क+अप] निर्झर, प्रपात। निकालना, प्रकाशित करना। निर्झरं (नपुं०) प्रपात, झरना, प्रवाह, स्यन्द। (जयो० ३/१०४, निर्घोषः (पुं०) [निर्+घुष्+घञ्] विवाद, ध्वनि, ठनक। जयो० २१/२२) 'प्रसर-द्रससारनिर्झरः स निसस्वान वरं हि खनक, झनझनाहट। झर्झर:। (जयो० १०/१५) निर्पण (वि०) क्रूर, निष्ठुर, निर्दष्ट, निर्दोष। (जयो० २/३२) निर्झरिन् (पुं०) [निर्झर+इनि] पर्वत, पहाड़। निर्जन (वि०) शून्यस्थान, एकान्त, सुनसान। निर्झरिणी (स्त्री०) [निर्झरिन्+ङीष] ०झरना, प्रवाह, प्रपात, निर्जन्तुक (वि०) जन्तुविहीन। (वीरो० १४/४३) स्रोत, ० कलम, लेखिनी। निर्जन्म (वि०) उत्पत्ति रहित। निर्णय (वि०) [निर्+नी+अच्] निर्धारण, फैसला, स्थिरीकरण, निर्जगाम (पुं०) निकला। (वीरो० १४/१६) प्रकरण (जयो० ३/१२) उपसंहार, समापन, प्रदर्शन, निर्जयः (पुं०) [निर्+जि+अच] परास्त करना, विजय पाना। विचारविमर्श, गवेषणा, विचारण। नीतिशास्त्र (जयो० निर्जर (वि०) जरा रहित, सदैव। (जयो० ४/५८) ३/१२) व्यवस्था, मत, निश्चय। (जयोवृ० २/५) निर्जरत्व (वि०) युवा रहने वाला। (जयो० २४/१२८) निर्णयपादः (पुं०) व्यवस्था, मत, विज्ञाप्ति, घोषणा। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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