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नर्मवश्या
५३५.
नवतानुयोगचतुष्टयः
० कमलिनी कथितः पति विदुषां पुनः खलु विकसति
नलिनी तेन। (सुद० ८७) नलिनीखण्डं (नपुं०) कमलपुञ्ज, कमलसमूह। नलिनीरुहः (पुं०) कमलिनी से उत्पन्न। १. ब्रह्मा। नल्वः ( पुं०) [नल+व] एक माप, जिससे दूरी नापी जाती
नर्मवश्या (वि०) विनोदवशंगता। (जयो० १४/२९) नर्मची (वि०) विनोदवशंगत। (वीरो० ६/३७) नर्मसचिवः (पुं०) विदूषक, मनोविनोदी। नर्मसागम (वि०) प्रसन्नता देने वाली। (जयो० ३/३२) नर्महेतु (नपुं०) कल्याणकारक। (जयो० २६/२२) नर्मोद (वि०) एकाग्रचित्तवाला। (सुद० ७१) नर्मराः (स्त्री०) [नर्मन्+र+टाप्] घाटी, कंदरा, धौंकनी। नल (नपुं०) [नल+अच्] ० कमलसार। स्वर्गात् सुरद्रो:
सलिलान्नलस्य (जयो ०१/५०) 'नलंतु रससीरुहे इति विश्वलोचनः' (जयो० ११/१) 'नलं कमलं तद्वच्छस्यः
प्रशंसनीयः' (जयो० ६/६८) नलः (पुं०) नल राजा, निषध देश का राजा नलक (नपुं०) कुहनी, शरीर की लम्बी हड्डी। नलकी: (स्त्री०) टांग, घुटने की कपाली। नलकूबर: (पुं०) कुबेर का पुत्र। नलकोमलः (पुं०) कमल के समान मृदु। 'नलकोमल: कमल
तुल्यो मुदुः पाणिः' (जयो० १२/६०) उपघातमहो करस्य सोढुं क्व समर्थोऽसिपरिग्रहस्य वोढुः। नलकोमल एव पाणिस्या
अनवद्य द्रव एवमर्पित: स्यात्।। (जयो० १२/६०) नलदं (नपुं०) खस, उशीर, एक सुगन्धित जड़। नलपट्टिका (स्त्री०) चटाई।। नलमोनः (पुं०) जल वृश्चिक, झींगा मछली। नलसदास्य (वि०) कमल के समान चमकता हुआ मुख। 'न
लसत्यास्ये मुखं यस्य स नलसदास्यो विरूपाननोऽपि विलसति शोभव इति विरोधः। 'नलं कमलमिव सत्सुन्दरमास्यं यस्य स इति परिहारः। (जयो०७० ६/५४) विरुपानन
(जयो०वृ० ६/५४) नलिनः (पुं०) [नल+इनच्] १. सारस।
० प्रमाण विशेष। नलिनं (नपु०) सरोज, कमल। (जयो० १२/१०) नलिन
कमलाङ्ग च। (महापु० ३/३१४) ० प्रमाण विशेष, चौरासी लाख वर्षों से गुणित नलिनांग
प्रमाण एक नलिन। ० नलिन-जल। ० नील का पौधा। नलिनम्रजा (स्त्री०) कमलों की माला। नलिनानां कमलानां
स्रजा मालया बबन्ध गृहीतवती। (जयो० १२/१०) नलिनाङ्गं (नपुं०) एक प्रमाण विशेष, गणितीय प्रमाण। नलिनी (स्त्री०) [नल इनि+ङीप्] कमल समूह, कमल
पादप।
नव (वि.) [नु+अप्] नया, नूतन, नवीन, तात्कालिक, इसी
समय का। नव नूतनं चरित्रमिव चरित्रम् (जयो० ३/१०१)
नौ संख्या (जयो० १/४) नवः (पुं०) कौआ, काका नवं (अव्य०) इसी समय, आजकल में, अभी अभी, बहुत
दिन हुए। नवकलिका (स्त्री०) नूतन कला। नवकारिका (स्त्री०) रजस्वला स्त्री, नवविवाहित स्त्री। नवकालिका (स्त्री०) रजस्वला स्त्री। नवकौतुकः (पुं०) प्रफुल्लन, (जयो० १८/७१) नवग्रहः (वि०) नूतन समालिंगन, तात्कालिक समालिंगन। नवे
ग्रहे नूतने समालिङ्गने। (जयो० १७/५५) नवचरित्रं (नपुं०) अद्भूत चरित्र, नूतन आचरण। नूतनं चरित्रमिध
चरित्रम्। (जयो० ३/१०१) नवचत्वारिंशत् (स्त्री०) उनचास। नवछात्रः (पुं०) नया विद्यार्थी, नवीन शिष्य। नवछिद्र (नपुं०) नौ छिद्रवाला शरीर। नवत (वि०) नब्बे वा। नवतः (पुं०) कम्बल, चादर, आवरण, हाथी की झूल। नवता (वि०) नव संख्यात्मकता नवीन भावपना। (जयो०
१/३४) नवीनता (वीरो०वृ० १/२२) नवतानुयोगः (पुं०) नव संख्यात्मक अनुयोग। नवधा (अव्य०) नौगुणा, नौ प्रकार। (सम्य० ३२) नवधाभक्तिः (स्त्री०) विशेष भक्तिपूर्वक। प्रतिग्रहण, उच्चासन
दान, साधुपूजा, प्रशंसा, मनःशुद्धि, वचनशुद्धि, कायशुद्धि, अन्नशुद्धि। (सम्य० १३२) नवधामभक्तितो दानं, तपस्विभ्यः प्रदीयते।
सौहार्दमात्रतोऽन्येभ्यो, देशकालानुसारतो।। (हि०सं०५०) नवतानुयोगचतुष्टयः (पुं०० चार अनुयोग का नौ संख्या को
प्राप्त होना। 'अनुयोगचतुष्टये प्रथमकरण-चरणद्रव्योपनामके शास्त्रचतुष्के नवता नवीनभावो बभूव। (जयो०वृ० १/३४)
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