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नयमञ्जुलं
नरभवः
नयमञ्जुलं (नपुं०) सुन्दरनीति। (जयो० २६/४५) नयरय-मय (वि०) नीतिविचारवान्। (जयो० १२/१०७) नयवती (स्त्री०) नीतिमति (जयो० ७/४७) नयवर्त्मन् (नपुं०) नीतिमार्ग। (जयो० २/१३७) नयवाद (पुं०) नय प्ररूपक सिद्धान्त। 'उच्यते कथ्यते अनेनेति,
न्यायाधिकारी, नयवाद : सिद्धान्तः' (धव० १३/२८७) नयविद् (पुं०) राजनीतिज्ञ। नयविधि (स्त्री०) नयपूर्वक पदार्थों का विधान, सत्-असत्
आदि रूपं नयों का निरूपण। नयशास्त्र (नपुं०) राजनीतिशास्त्र। नयागधिगम (वि०) नीतिज्ञानगत। नयानतिर्नतिः (स्त्री०) नय की स्वीकृति। (जयो० २४) नयस्य
नीतेरानति स्वीकृतिः। नयान्तरविधि (वि०) नयभेदों की प्ररूपणा। नयान्तराणि
नैगमादिसप्तशतनयभेदाः, ते विधीयन्ते निरूप्यन्ते विस्रय-साङ्कर्यनिराकरण द्वारेण अस्मिन्नति नयान्तर
विधिश्रुतज्ञानम्। (धव० १३/२८४) नयान्वित (वि०) नीतियुक्त। (जयो० १३/५८) नयाभासः (पुं०) प्रतिपक्ष के निराकरण करने वाले नय। दुर्नय __इत्यर्थः। (जैन०ल० ५९०) नयाधीन (वि०) नीतिज्ञान सहिता (जयो० २८/४१) नयुतः (पुं०) एक संख्या प्रमाण, चौरासी लाख नयतांगों की
एक नयुत। नयनान्तशरं (नपुं०) कटाक्षबाण। (जयो. १०/६९) नयनोत्पलवासिजलं (नपुं०) अश्रुप्रवाह। (जयो० ६/८६) नयुताङ्गः (पुं०) एक संख्या प्रमाण। चौरासी लाख प्रयुतों की
एक नयुतांग। नयोत्झित (वि०) अनैतिक, नीतिरहित। नयेन उज्झितो
नीतिरहितोऽस्ति (जयो० २/१३३) नरः (पुं०) [नृ+अच्] मनुष्य, पुरुष, आदमी, पुमान्। नासौनरो
यो न विभाति भोगी। (सुद० ३/२०) (वीरो० २/३८) 'नृ नये' नृणन्ति तथा विधद्रव्यक्षेत्रादि सामग्रीमवाप्य स्वर्गापर्गादिहेतुसम्यग्नयविनयपरा भवन्तीत्यचि नरा मनुष्याः' (जैन० ल० ५९) ० शतरंज का मोहरा। ० धूपघड़ी की कील। • शंकु। ० परमात्मा, परमपुरुष।
नरकः (पुं०) [नृ+वुन्] तीव्र वेदना। (सुद० १२७) आत्यन्तिकं
दु:खं नृणन्ति नयन्तीति नरकाणि (त०वा० २/५०) नरक, दुःख पूर्ण स्थान, घृणित प्रदेश। (मुनि० १६) नरक द्वीपायन: किं गत (मुनि० १५) ० नरान् कायन्तीति नरकाणि। ० नरान् कायन्ति शब्दायन्त इति नरकाणि। ० नरान् प्राणिनः कायति पालयति, खलीकरोति इति
नरकः कर्म (धव०१/२०१) नरनायकः (पुं०) नरनाथ, राजा। (समु०२/२६) नरकगति (स्त्री०) नरक में जन्म लेना नरकभाव, नारक
पर्याय। 'यन्निमित्तं आत्मनो नारको भावस्तन्नरकगति नाम। (स०सि०८/११) यस्या उदयः सकलाशुभकर्मणामुदयस्य
सहकारिकारणं भवति वा, नरकगतिः। नरगृहं (पुं०) मानवगृह। (धव० १/२०१) नरकायु (नपुं०) नारक पर्याय धारण करना। नरतः (पुं०) परस्पर प्रीति का अभाव, रति का अभाव। नरडूषा (वि०) मनुष्य के वशीभूत। (सुद० १२३) नरगतिः (स्त्री०) मनुष्यगति। नरजन्मन् (नपुं०) मनुष्य जन्म। (वीरो० ८/४२) नरजातिः (स्त्री०) मनुष्यकी उत्पत्ति। नरदेवः (पुं०) राजा, नृपति, मनुष्यों में श्रेष्ठ, जो चतुरंग
चक्रवर्ती होकर सम्यक्त्व से सहित, चक्ररत्न के स्वामी, नौ निधियों के अधिपति, वृद्धिगत कोश युक्त, बत्तीस हजारों राजाओं से अनुगत और समुद्र पर्यन्त पृथ्वी क पति
नरदेव हैं। नरधातु (पुं०) परिपालक, राजा। (जयो० ३/१४) नरद्वारं (नपुं०) मानवगृह। (वीरो० ५/३) नरनाथ (पुं०) राजा। (दयो० ४१, जयो०वृ० १/२४) नरनायकः (पुं०) नरनाथ, राजा, अधिपति, (समु० २/२६) नरनाथपुत्री (स्त्री०) राजकुमारी। (जयो० ३/८५) नरपः (पुं०) राजा, अधिपति। (जयो० १२/५१) नरपतिः (पुं०) नृपति, राजा, चक्रवर्ती। (समु० ५/१०) नरपशुः (पुं०) मानव रूप पशु। नरपालः (पुं०) नृपति, अधिपति, राजा। नरपालता (वि०) राजापना (वीरो० २२/१२) नरपुंगवः (पुं०) उत्तम पुरुष, श्रेष्ठ पुरुष, सज्जन। नरभवः (पुं०) मनुष्य जन्म (हित० पृ० १२)
बाल्ये विद्यामधीयानो, युवत्या यौवनेऽञ्चितः। वार्द्धक्ये सति तां त्यक्त्वा, भगवन्तमनुस्मरेत्।।
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