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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नमस्या ५३२ नयप्रमाणं नमस्या (स्त्री०) पूजा, अर्चना। नमि (पुं०) १. एक विद्याधर, पिंगला गान्धार के राजा की पुत्री का पती, दामाद नमि। विद्युत्प्रभा सुपुत्री ह्यन्वितनामानयोनमेर्भार्या। (जयो० २४/१०५) २. नमिनाथ तीर्थं कर, इक्कीसवें तीर्थंकर का नाम। (भक्ति० १९) नमुचिः (पुं०) एक दैत्य। नमेरुः (पुं०) [नम् एरु] एक वृक्ष, रुद्राक्ष, मुरपुन्नाग। नमोह (वि०) विमोही। (वीरो० २६/२४) नमोऽस्तु (अव्य०) नमन हो, नमस्कार। (समु० ३/१६) नमोऽस्तु सिद्धेभ्यः, नमोऽस्तु विश्व दृश्यवने। (दयो० १/३) नम्र (वि०) [नम्र+ट] नम्र, विनीत, विनयशील, प्रणतियुक्त, अभिवादन जन्य। नम्रगत (वि०) झुका हुआ, प्रणत, नमनशील। नम्रचारी (वि०) झुककर चलने वाला। नम्रता (वि०) नम्रभाव युक्त, प्रणम्य युक्त। (जयो० २/१३२) विनयशीलता। नय् (सक०) १. जाना, रक्षा करना, देखना, प्रकट करना। (वीरो० १४/१४), २. सेवन करना (सुद० १२२) नयन्तु-पश्यन्तु (जयो० १/९), ३. ले जाना प्राप्त करना, ग्रहण करना। (सुद० १०८) नयन् प्राप्तयन (जयो० ६/१२) ४. व्यतीत करना। नयाम (सुद०५/२ नय प्रापय (जयो० २/३) नयानि (सुद० ९८) नयः (पुं०) [नो+अच्] ० निर्देशन, मार्गदर्शन, प्रबन्धन, ० व्यवहार, आचरण, चर्या। ० नीति, शासन विषय बुद्धिमत्ता, नीतिमार्ग। (जयो० १२/५०) राजनीतिज्ञता, प्रशासन। (जयो०वृ० ६/५४) ० न्याय, (सुद०) नैतिकता, न्यायपूर्वक (जयो० वृ० १२/५०) ० सिद्धान्त वाक्य, नियम, क्रम, प्रणाली पद्धति, परम्परा, रीति। ० नाद्, कथन पद्धति, ‘णीञ् प्रापणे, तस्य नय इति रूपम्' वक्तैव सूत्रार्थप्रापणे गम्ये परोपयोगान्नयति नयः' वस्तुनः पर्याणां संभवतोऽधिगमनमित्यर्थः। (जैन० ल०५८७) ० मुख्यनियामक हेतु। ० स्यात् पद युक्त कथन। ० नय के समानान्तर-प्रापक, कारक, साधक, निर्वर्तक, निर्भासक, उपलम्भक, व्यञ्जक। दीपक, भावक। ० जो विविध प्रकार से अर्थ विशेष को ले जाता है। • ज्ञाता का मत-अभिप्राय। नयो ज्ञातुरभिप्रायो युक्तितोऽर्थपरिग्रहः। ० विकल संकथा। ० प्रमाणप्रकाशितार्थ विशेष प्ररूपको नयः। (त०वा० १/३३) ० निश्चय नय, व्यवहार नयः (सम्य० ११) (जयो० २/३) आत्मने हितमुशान्ति निश्चय (सम्य० ११) व्यवहारिकमुताहित नयम्। (जयो० २/३) एकदेश वस्तु का अध्यवसाय, एकदेशविशिष्टोऽर्थो नयस्य विषयो मतः' (न्यायविनिश्च० २९) ० श्रुतनिरुपितैक देशाध्वसायो नयः' (मूला०वृ० ९/६७) नयकोविद (वि०) नीतिज्ञ, विधिवेत्ता, न्याय परायण। नयनी (नपुं०) कथन निरूपण। (सुद० ९९) नयगत (वि०) न्याय को प्राप्त हुआ, १. नयपक्ष की ओर अग्रसर। २. नियम पालन करने वाला। नयज्ञ (वि०) १. दूरदर्शी, नीति कुशल, २. नयपक्ष को आधार बनाने वाला। नयचक्षुस् (वि०) दूरदर्शी, बुद्धिमान, अग्रदृष्टि रखने वाला। नयनं (नपुं०) [नी ल्युट्] १. नीति, प्रबन्धन, निर्देशन, निकट लाना। नयन-प्रेषण, भेजना (जयो० २/११३) २. शासन करना। ३. नय (समु० ७/२०), नेत्र, अक्षिा (जयो० ९/११) (वीरो० ४/३०) (जयो० ४/१२) नयनक्रि (स्त्री०) ले जाना। नयनगोचरः (वि०) दृष्टिगोचर, दिखाई देने वाला, दृश्यमान। दृग्वर्त्मकर्मक्षण। (वीरो० ६/२१) नयनगतिः (नपुं०) अक्षिगोलक। नयनपथ (पुं०) दृष्टिमार्ग, देखने का रास्ता। (जयो० २०/१९) (जयो० ११/४९) नयनविषयः (पुं०) दृश्यपदार्थ, देखने योग्य विषय. अवलोकन युक्त वस्तु। नयनानन्दः (पुं०) दृष्टि विनोद, नयनों के प्रिय। नयनाभिराम। (सुद०८४) नयनोपन्तिः (पुं०) कटाक्षा (जयो० २/१३५) नयनाभिरामः (वि०) प्रियदर्शन, नेत्रों के प्रिय। नयन्तवन्त (वि०) निकला हुआ। (सुद० २/१७) नयनाभिरामः (पुं०) शशि, चन्द्र। नयनोत्सवः (पुं०) १. दीपक। २. नेत्रों की अभिरुचि। नयनोदकं (नपुं०) प्रेमाश्रु। (जयो०वृ० १३/२) नयप्रमाणं (नपुं०) नय रूपप्रमाण, अनन्त धर्मात्मक वस्तु के एक अंश का ग्रहण। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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