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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नभश्कान्तिः ५३१ नमस्यनं नभश्कान्ति: (स्त्री०) आकाश प्रभा। नभश्कान्तिन् (पुं०) सिंह, शेर। नभश्गजः (पुं०) मेघ, बादल। नभश्चक्षुस् (पुं०) दिनकर, रवि, सूर्य। नभश्चमस् (पुं०) शशि, चन्द्र। नभश्चर (वि०) गगन बिहारी आकाश में विचरण करने वाला। नभोगाधिभुव (जयो०६/१०) नभश्चराध्वनि (स्त्री०) १. आकाशध्वनि। (वीरो० ७/२) २. शंखध्वनि। नभश्चरः (पुं०) ज्योतिषी देव। नभश्चर-व्यन्तर-भावनानां लसन्ति नित्यानि विमानजानाम्' (भक्ति० ३५) नभश्चरार्थ (वि०) नभचारी। नभश्चरी (स्त्री०) विद्याधरी। आदिमार्दवतो नभश्चरी, स्ववभातीव गुणेन किन्नरी। (समु० २।८) नभश्तलं (नपुं०) आकाश भाग। नभश्दुहः (पुं०) मेघ, बादल। नभश्दृष्टिः (पुं०) १. अक्षि विहीन, अन्धा २. आकाश की ओर देखने वाला। नभश्द्वीपः (पुं०) मेघ, बादल। नभश्धूमः (पुं०) मेघ, बादल। नभश्नदी (स्त्री०) नभ गंगा, आकाश गंगा। नभश्प्राणः (पुं०) वायु, पवन, हवा। नभश्मणिः (पुं०) सूर्य। नभश्मंडल (नपुं०) आकाश, गगन, अन्तरिक्ष। नभरजस् (पुं०) अन्धकार, अंधेरा, तमस्। नभश्रेणु (स्त्री०) धुंध, कोहरा। नभश्लया (स्त्री०) धूम, धुंध। नभश्लिह् (वि०) १. आकाश चाटने वाला, २. उन्नत, अति _ विस्तृत, ऊँचा। नभश्सद् (पुं०) ज्योतिषी देव। नभसरित् (स्त्री०) छायापथ, 'आकाशगंगा। नभस्थली (स्त्री०) आकाश, गगन। नभस्थानं (नपुं०) गगन चुम्बी, विशाल, ऊँची। नभस्यः (पुं०) [नभस्+यत्] भाद्रपद की महिमा। नभस्वत् (वि०) [नभस्+मतुप्] धुंधयुक्त, कोहरा जन्य। नभावुपः (पुं०) चातक पक्षी। नभाकः (पुं०) [नभ्+आक] १. अन्धकार, २. राहु। नभोगा (वि०) आकाशगामिनी। नभसि गच्छन्तीति नभोगा आकाशगामिनी देवविद्याधराः (भक्ति० २५) नभोगाधिभुव (वि०) नभश्चर, विद्याधर। (जयो० ६/१०) नभोगृहं (नपुं०) आकाशरूप घर। (वीरो० २५/८) नभोनिकायः (पुं०) नभस्वरूप, आकाश कक्ष। नभोयानं (नपुं०) नभ में गमन। नभोवाक (स्त्री०) आकाशवाणी। इदं प्रबुद्धाय समपणीयं स्वयं नभोवाक् समुपालभीयम्। (सुद० ४/१९) नभ्राज् (पुं०) [भ्राज्+क्विप्] कृष्णमेघ, सघन बादल, काली घटा। नम् (सक०) झुकना, नमस्कार करना, अभिवादन करना। ननाम हे पाठक! वच्मि तुभ्यं (जयो० १९/१५) प्रणाम करना, नमन करना (भक्ति० १/ नाममि) ० व्यतीत करना-बिताना-'तयोरगाज्जीव नमत्यघेन निरन्तरं जन्तुबधाभिधेन। (सुद० ४/१७) ० नमस्कार करना-नमाम्यहं तं पुरुषं पुराणमभूधु (समु० १/१) नमति स्म मुदा यत्र न मति: स्मरतः पृथक् (जयो० ३/२१) व्यक्त करना, बोला जाना। (जयो० १२/७२) तत्र मखे हवनकर्मणि समुक्तं नम इत्येतद्-ॐ सत्यजाताय नम इत्यादि-मन्त्रो में 'नमः' बोला जाने के रूप में। नमकीनं (पुं०) १. वटक चुम्बन (जयो० १२/१२४) २. भोज्य पदार्थ। (जयो०वृ० १२/१२४) नमदाचरणं (नपुं०) नमन व्यवहार। (सुद० ४/४४) नमंती (वर्त०कृ०) नमन करती हुई। (सुद० १/२०) नमनं (नपुं०) प्रणाम, नमस्कार, झुकना। (वीरो० ७/३) नमस् (अव्य०) [नम्+असुन्] नमन, अभिवादन, प्रणाम, पूजा, सत्कार, प्रणति, विनीतभाव। नमोऽस्तु (जयो० ११/८५) 'नमस्' अव्यय का प्रयोग सम्प्रदान अर्थ में किया जाता है। यह निपात से निष्पन्न शब्द है। श्री गुरुभ्यो नमो नमः (दयो० १/५) नमस्कारः (पुं०) प्रणम्यभाव, सादर नमन, प्रणति, प्रणाम। शिरोवनति, वन्दन। (जयो० ११/८५) नमस्कारार्थ (वि०) नमनहेतु। (वीरो० ५/२५) नमस्कृत (वि०) नमन करने योग्य। (सुद० ४/४६) नमस्कृति (स्त्री०) नमन, प्रणाम, प्रणति। नमस्कृत्य (वि०कृ०) नमन करके। (जयो० ३/९८) नमस्गुरु (पुं०) आध्यात्मिक शिक्षक। नमस्य (वि०) [नमस्+यत्] अभिवादनार्थ, वन्दनीय, सम्मानित, आदरणीय, पूजनीय। नमस्यनं (नपुं०) नमन, नमस्कार। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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