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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नन्दावर्तः ५३० नभः कल्प: नन्दावर्तः (पुं०) १. नन्दावर्त नामक भवन (ति०प० ४/३५३) नन्दीश्वरद्वीप भक्तिः (स्त्री०) नन्दीश्वर द्वीप की अर्चना। २. इन्द्रक विमान, एक क्षुद्र जन्तु (ष०खं० ५/५/६९) नन्दीश्वर-वारिनिधिः (पुं०) नन्दीश्वर समुद्र। (ति०प० ५/४६) नन्दिः (पुं०स्त्री०) [नन्द्+इनि] आनन्द, हर्ष, खुशी। मंगल, नन्दीषणः (पुं०) तृतीय नारायण। (ति०प० ४/१६१२) प्रमोद। नन्दोत्तरः (पुं०) नन्दोत्तर नामक देव। • एक वाद्य विशेष। नन्दोत्तरा (स्त्री०) नन्दोत्तरा नामक वापिका। ० नन्दि नामक देव। (ति०प०५/४६) नपः (पुं०) एक कञ्चकी नाम। (जयो०वृ० १/५) ० जुआं खेलना। नपात् (पुं०) [पाती इति-पा+शत-नतो ना समासे प्रकृतिभावः] ० वृषभ, बैल। पोता। ० शिव का अनुचर। नपुंस् (पुं०) नपुंसक, हिजड़ा। (सुद० ८४) नन्दिकः (पुं०) [नन्दि+कन्] हर्ष, प्रमोद आनन्द, शुभ, नपुंसकता (वि०) कामाशक्ति की क्षीणता। (वीरो० २२/३३) कल्याण। नपुंसकस्वभावः (पुं०) भोगलिप्सा के अभाव से रहित, नन्दिघोषः (पुं०) नन्दिघोष नामक वापिका (ति०प० ५/६२) कामासक्ति क्षीण। नपुंसकस्वभावस्य स्वभाऽवश्यमियं न ० अर्जुनरथ। किमु। (सुद० ८४) नन्दिन् (वि०) [नन्द्+णिनि] आनन्दित, हर्षित, रोमाञ्चित। नपुरस्सर (वि०) क्षत्रियत्व हीन। नकारपूर्वकं नक्षत्रमिति, नन्दिन् (पुं०) १. पुत्र, २. नाटक में नान्दीपाठ करने वाला। (जयो०१० ५/२७) नन्दिना (स्त्री०) घनोपल, ओला। 'नन्दि शिवप्रतीहारे । नप्त (पुं०) पोता, नाती। [न पतन्ति पितरो येन, न+पत्+तृच्] द्यूतभाण्डभिदोर्मुदि' इति विश्वलोचनः (जयो० २४/२७) लड़के का पुत्र, लड़की का पुत्र। नन्दिनी (स्त्री०) १. सुरभि, गाय। २. पुत्री समुद्र की पुत्री नबालता (वि०) बाल्यावस्था से रहित। न विद्यते बालता जड़धीश्वरनन्दिनी प्रसिद्धा कमलवासिनी वा या। (सुद० (जयो० ५/८८) ११२) नभः (पुं०) [नभ्+अच्] श्रवण मास। नन्दिप्रभः (पुं०) नन्दिप्रभनामक देव। (ति०प० ५/४६) नभस् (नपुं०) [नह्यते मेधैः सह-नह+असुन्] गगन, आकाश, नन्दिमित्रः (नपुं०) नन्दिमित्र नामक सातवां वनदेव। (ति०प० खेभाग, अन्तरिक्षा (जयो०१/६८) 'प्रवर्तते किञ्च मर्तिमेयं ४/५२४) नभस्यभूद् व्याप्तयाऽप्यमेयम्' (जयो० १/२३) ____० नन्दिमित्र नामक एक आचार्य। (अंगचूर्णि) ० नभ-आकाशद्रव्य (सम्य० १९) 'नभस्तु रङ्गस्थलम्' नन्दिवर्धनः (पुं०) १. एक आचार्य, २. शंख का एक (समु०८/२) धर्मोऽप्यधर्मः समयो नभश्च, स्यात् पञ्चम् भेद-जिस शंख की नाभि सुन्दर हो। पुद्गल नामकश्चः' (समु०८/२) अस्या अनन्यरमणीयायाः नन्दी (स्त्री०) प्रथम नारायण। (ति०प० ४/१६११) पदस्याग्रं प्रान्तभागं भया भान्त्या सहितं, यद्वा भैर्नक्षत्रैः ० नन्दी नामक एक श्रुतकेवली चौदह पूर्वज्ञाता। सहितं सभमिति, जनाः साधारणलोकाः सदा खं न भवतीति (ति०प०४/१४९४) नखमाहुर्जगुः। कान्त्या व्याप्तया ख वर्जितमवकाशरहित० नन्दी नामक बलदेव। (ति०प० १/५२४) मित्युक्तवन्तः, किन्तु न कोऽपि जनस्तत्रावकाशमाप्तवान्। नन्दीश्वरः (पुं०) नन्दीश्वर नामक अष्टम द्वीप। 'नभस्तु पुनर्भ-शून्यतया निष्प्रभतया च खमिति ख्यातिमाख्यां (ति०प० ५/५५, जयो० १०/११७) नन्दीश्वरं सम्प्रति श्रीपूज्यपादतो मुनिनायकाल्लेभे खमभावरूपं भाभावादेव देवदेव पिकाङ्गना चूतकसूतमेव' (जयो० १०/११२) वर्षेषु नभ आकाशमिति नाम लेभे किल। (जयो०वृ० ३/४५) वर्षान्तरपर्वतेषु नन्दीश्वरे यानि च मन्दिरेषु' (भक्ति० ३४) ० नभ-कान्तिविहीन। (जयोवृ० ३/४५) नन्दीश्वर-जलधिः (पुं०) नन्दीश्वर समुद्र। (ति० ५/५२) ० नक्षत्र रहित। नन्दीश्वजिनमन्दिरं (नपुं०) नन्दीश्वर जिनालय। (ति०प०५/१०१) नभः कल्पः (पुं०) नभस्तल, नभभाग, आकाश स्थान। नन्दीश्वरद्वीपः (नपुं०) द्वीप विशेष। (ति०प० ५/५२) (सुद० ७८) 'तत्र तल्पे नभ कल्पे घनाच्छादनमन्तरा' नन्दीश्वरपंक्ति (स्त्री०) नन्दीश्वर द्वीप की एक श्रृंखला। (सुद० ७८) For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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