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नन्दावर्तः
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नभः कल्प:
नन्दावर्तः (पुं०) १. नन्दावर्त नामक भवन (ति०प० ४/३५३) नन्दीश्वरद्वीप भक्तिः (स्त्री०) नन्दीश्वर द्वीप की अर्चना।
२. इन्द्रक विमान, एक क्षुद्र जन्तु (ष०खं० ५/५/६९) नन्दीश्वर-वारिनिधिः (पुं०) नन्दीश्वर समुद्र। (ति०प० ५/४६) नन्दिः (पुं०स्त्री०) [नन्द्+इनि] आनन्द, हर्ष, खुशी। मंगल, नन्दीषणः (पुं०) तृतीय नारायण। (ति०प० ४/१६१२) प्रमोद।
नन्दोत्तरः (पुं०) नन्दोत्तर नामक देव। • एक वाद्य विशेष।
नन्दोत्तरा (स्त्री०) नन्दोत्तरा नामक वापिका। ० नन्दि नामक देव। (ति०प०५/४६)
नपः (पुं०) एक कञ्चकी नाम। (जयो०वृ० १/५) ० जुआं खेलना।
नपात् (पुं०) [पाती इति-पा+शत-नतो ना समासे प्रकृतिभावः] ० वृषभ, बैल।
पोता। ० शिव का अनुचर।
नपुंस् (पुं०) नपुंसक, हिजड़ा। (सुद० ८४) नन्दिकः (पुं०) [नन्दि+कन्] हर्ष, प्रमोद आनन्द, शुभ, नपुंसकता (वि०) कामाशक्ति की क्षीणता। (वीरो० २२/३३) कल्याण।
नपुंसकस्वभावः (पुं०) भोगलिप्सा के अभाव से रहित, नन्दिघोषः (पुं०) नन्दिघोष नामक वापिका (ति०प० ५/६२) कामासक्ति क्षीण। नपुंसकस्वभावस्य स्वभाऽवश्यमियं न ० अर्जुनरथ।
किमु। (सुद० ८४) नन्दिन् (वि०) [नन्द्+णिनि] आनन्दित, हर्षित, रोमाञ्चित। नपुरस्सर (वि०) क्षत्रियत्व हीन। नकारपूर्वकं नक्षत्रमिति, नन्दिन् (पुं०) १. पुत्र, २. नाटक में नान्दीपाठ करने वाला। (जयो०१० ५/२७) नन्दिना (स्त्री०) घनोपल, ओला। 'नन्दि शिवप्रतीहारे । नप्त (पुं०) पोता, नाती। [न पतन्ति पितरो येन, न+पत्+तृच्]
द्यूतभाण्डभिदोर्मुदि' इति विश्वलोचनः (जयो० २४/२७) लड़के का पुत्र, लड़की का पुत्र। नन्दिनी (स्त्री०) १. सुरभि, गाय। २. पुत्री समुद्र की पुत्री नबालता (वि०) बाल्यावस्था से रहित। न विद्यते बालता
जड़धीश्वरनन्दिनी प्रसिद्धा कमलवासिनी वा या। (सुद० (जयो० ५/८८) ११२)
नभः (पुं०) [नभ्+अच्] श्रवण मास। नन्दिप्रभः (पुं०) नन्दिप्रभनामक देव। (ति०प० ५/४६) नभस् (नपुं०) [नह्यते मेधैः सह-नह+असुन्] गगन, आकाश, नन्दिमित्रः (नपुं०) नन्दिमित्र नामक सातवां वनदेव। (ति०प० खेभाग, अन्तरिक्षा (जयो०१/६८) 'प्रवर्तते किञ्च मर्तिमेयं ४/५२४)
नभस्यभूद् व्याप्तयाऽप्यमेयम्' (जयो० १/२३) ____० नन्दिमित्र नामक एक आचार्य। (अंगचूर्णि)
० नभ-आकाशद्रव्य (सम्य० १९) 'नभस्तु रङ्गस्थलम्' नन्दिवर्धनः (पुं०) १. एक आचार्य, २. शंख का एक (समु०८/२) धर्मोऽप्यधर्मः समयो नभश्च, स्यात् पञ्चम् भेद-जिस शंख की नाभि सुन्दर हो।
पुद्गल नामकश्चः' (समु०८/२) अस्या अनन्यरमणीयायाः नन्दी (स्त्री०) प्रथम नारायण। (ति०प० ४/१६११)
पदस्याग्रं प्रान्तभागं भया भान्त्या सहितं, यद्वा भैर्नक्षत्रैः ० नन्दी नामक एक श्रुतकेवली चौदह पूर्वज्ञाता। सहितं सभमिति, जनाः साधारणलोकाः सदा खं न भवतीति (ति०प०४/१४९४)
नखमाहुर्जगुः। कान्त्या व्याप्तया ख वर्जितमवकाशरहित० नन्दी नामक बलदेव। (ति०प० १/५२४)
मित्युक्तवन्तः, किन्तु न कोऽपि जनस्तत्रावकाशमाप्तवान्। नन्दीश्वरः (पुं०) नन्दीश्वर नामक अष्टम द्वीप।
'नभस्तु पुनर्भ-शून्यतया निष्प्रभतया च खमिति ख्यातिमाख्यां (ति०प० ५/५५, जयो० १०/११७) नन्दीश्वरं सम्प्रति श्रीपूज्यपादतो मुनिनायकाल्लेभे खमभावरूपं भाभावादेव देवदेव पिकाङ्गना चूतकसूतमेव' (जयो० १०/११२) वर्षेषु नभ आकाशमिति नाम लेभे किल। (जयो०वृ० ३/४५)
वर्षान्तरपर्वतेषु नन्दीश्वरे यानि च मन्दिरेषु' (भक्ति० ३४) ० नभ-कान्तिविहीन। (जयोवृ० ३/४५) नन्दीश्वर-जलधिः (पुं०) नन्दीश्वर समुद्र। (ति० ५/५२) ० नक्षत्र रहित। नन्दीश्वजिनमन्दिरं (नपुं०) नन्दीश्वर जिनालय। (ति०प०५/१०१) नभः कल्पः (पुं०) नभस्तल, नभभाग, आकाश स्थान। नन्दीश्वरद्वीपः (नपुं०) द्वीप विशेष। (ति०प० ५/५२)
(सुद० ७८) 'तत्र तल्पे नभ कल्पे घनाच्छादनमन्तरा' नन्दीश्वरपंक्ति (स्त्री०) नन्दीश्वर द्वीप की एक श्रृंखला। (सुद० ७८)
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