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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५२९ नन्दा पप ननु (अव्य०) ० प्रश्नसूचक अव्यय। ० मेंढक। ० निश्चयात्मक। ० विष्णु, शिव। ० अवश्य ही, निःसन्देह, क्या! नन्दनं (नपुं०) नन्दनवन, इन्द्र उद्यान, स्वर्गवन। (जयो० ० संबोधन सूचक अव्यय। १/३६) 'हत्वाम्बरं नन्दनमेति चारमहो जरायां तु कुतो ० तर्कशैली में प्रयुक्त होने वाला अव्यय। ननु तर्कणायाम् विचारः' (जयो० १/३६) 'नन्दनं स्वर्गवन तनयं च' (जयो० ५/६९) (जयो०वृ० १/३६) बहुकल्पपादपैरपि रम्यं सुमन: समूहतो • आक्षेप या विरोधी प्रस्ताव को प्रस्तुत करने वाला भुवि गम्यम्। नन्दनं वनमिवातिमनोज्ञं पुण्यपुरुषैर्वभूव भोग्यम्।। अव्यय। हीति निश्चये, ननु वितर्के' (जयो०वृ० २५/५४) (जयो० १४/५) 'यद् वनं नन्दनं स्वर्गीयवनमिव' भुवि ननु सहस्व गुणिन् सहसा स्वयं किमु विलक्षतया धरायां बभूव' (जयो० १४/५) व्रजताज्जयम्। ननु पुराकृतमेतदुदीरितं, नहिं परन्तु कदापि ० नन्दनकूट। लभे हितम्।। (जयो० २५/५) 'सत्तनुर्ननु परं जनमञ्चेत् ० अभिनन्दन, चतुर्थ तीर्थंकर का नाम। (जयो० ४/२८) नन्दनकलोक्तिः (स्त्री०) आनन्दप्रदकलाकथन। (जयो० ० ननु निर्धारणे। (जयो० १३/४८) १२/१४७) ० ननु प्रश्नेऽवधारणे इति विश्वलोचन: (जयो० १३/४८) नन्दकलोक्तिपः (पुं०) जिनेश्वर। 'आनन्दप्रदकलाकथनेशः स 'ननु भावोरपि निर्भयस्त्वयम्' जिनदेवो' (जयो० १२/१४७) ० ननु चोक्त्यन्तरे (जयो० १/९७) परमिहोद्धरतो तपसोचितं । नन्दनगृहं (नपुं०) १. आरामघर, विश्राम गृह, २. आनन्द ननु जगत्तिलकेन विराजितम्। (जयो० ११/९७) दायक घर। ० ननु नियमतः तु पादपूरणे (जयो० ४/१५) पद्धतिर्ननु | नन्दनचारुत्व (वि०) नन्दन वन की रमणीयता। सुलोचनिके वाऽऽमोददा सफलकौतुक सेवा। (जयो० ४/१५) नन्दनतरु (पुं०) कल्पतरु, कल्पवृक्ष। नन्द् (अक०) शब्द करना। (जयो० १/३८) नन्दन दायक (वि०) आनन्द दायक। नन्दः (पुं०) [नन्द+अच्] आनन्द, सुख, हर्ष, प्रसन्नता। नन्दन-पादपः (पुं०) नन्दन तरु, नन्दन वन का वृक्ष, कल्पतरु। (सुद० ३/१४) नन्दनप्रभृति (स्त्री०) नन्दनवनादि। ० एक गोप का नाम। (दयो० ५८) नन्दन-फलं (वि०) आनन्द का परिणाम, शुभ फल, अच्छा ० मेंढक। __परिणाम। ० पुष्पकलदेश के छत्रपुरी का अभिनंदन राजा, उसकी नन्दन-श्री (स्त्री०) नन्दनवन की शोभा। रानी वीरमति का पुत्र (वीरो० ११/३५) नन्दन-वनं (नपुं०) स्वर्गवन, इन्द्रवन। नन्दक (वि०) [नन्द्+णिच्+ण्वुल्] आनन्दक, प्रसन्नता युक्त, नन्दनवती (वि०) एक वापिका। हर्ष मनाने वाला। नन्दतः (पुं०) नन्द्+णिच्+झच्] सुत, पुत्र, बेटा। नन्दकः (पुं०) मेंढक। नन्दनसम्पदा (स्त्री०) वन सम्पत्ति। (वीरो० ७/८) नन्दकिन् (पुं०) [नन्दक+इनि] विष्णु। नन्दा (स्त्री०) [नन्द्+टाप्] एक रानी का नाम अभयकुमार नन्दगोपः (पुं०) नन्द नामक गोपाल। की माता, राजा श्रेयांस की पत्नी। ० खुशी, हर्ष, आनन्द। नन्दगोप इव श्रीमान् यशोदा तव भामिनी। ० पक्ष की व्याख्या-अन्य दर्शन के पक्ष को उपस्थित कर अयञ्च कृष्णवद्भाति सुदामस्थानिनो मम।। (दयो० ५८) उसका निराकरण करते हुए अपने पक्ष की स्थापना करना नन्दथुः (स्त्री०) [नन्द्-अथुच्] आनन्द, खुशी, प्रसन्नता, हर्ष। या व्याख्या करना। नन्दन (वि०) [नन्द्+णिच् ल्युट्] मिलनमेतदभूत किल नन्दनं ० नन्दा नामक वापिका। नवें गणधर अचल की मातुश्री। (जयो० ९/५१) आनन्दप्रद, सुहावना, प्रिय, दर्शनीय। कैलाशपुरी के राजा वसु की पत्नी। (वीरो० १४/१०) (जयो० १२/१४७) आनन्ददायक। (जयो० ९/५१) ० नन्दा नामक द्रह/तालाब। नन्दनः (पुं०) पुत्र। (सुद० ३/१४) ० ऋषभदेव की भार्या। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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