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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नक्तंमुखा ५२६ नगमूर्धन् नक्तंमुखा (स्त्री०) सन्ध्या, सायंकालर। नक्तंवतं (नपुं०) दिन का व्रत, रात्रि धार्मिक व्रत। नक्तं संगमः (पुं०) रात्रि समुद्गम। (जयो० २०/२४) नक्रं (नपुं०) नाक, नासिका। (सुद० १/२४) नक्रः (पुं०) मकर, मगर। (जयो० ६/८२, जयो० १६/२१) नक्रलावलि (स्त्री०) नकला (जयो० १३/७३) नक्रसंकोचः (पुं०) नाक सिकोड़ना, नासिका रुचित। (जयो० १६/९) नक्रा (स्त्री०) नासिका, नाक। नक्षत्रं (नपुं०) [नक्ष+अत्रन्] तारा, तारक पुंज, तारावली। (जयो० ४/५४) (सुद० ५/२) चन्द्रपथ। नक्षत्र (वि०) क्षत्रियत्व विहीन। (दयो० ४) नक्षत्रकमालिका (स्त्री०) मौक्तिमाला। (जयो० १०/४८) नक्षत्रनाथः (पुं०) चन्द्र, शशि। रजनीकर। नक्षत्रपः (पुं०) चन्द्र (जयो० २२/३३) नक्षत्रपतिः (पुं०) चन्द्र, शशि, रजनीकार। नक्षत्रमासः (पुं०) परिवर्तित मास। नक्षत्रराजः (पुं०) चन्द्रमा। नक्षत्ररीति (स्त्री०) तारक पद्धति। (जयो० १८/५०) नक्षत्रवर्मन् (पुं०) आकाश, नभ, गगन। नक्षत्रशून्य (वि०) नक्षत्ररहित। (समु० ६/४०) नक्षत्रविद्या (स्त्री०) गणित विद्या, ज्योतिष विद्या। नक्षत्रवृष्टिः (स्त्री०) तारापतन, नक्षत्र का टूटना। नक्षत्रसंवत्सरः (पुं०) बारह नक्षत्र मास। नक्षत्रसूचकः (पुं०) ताराओं का दर्शक। नक्षत्रिन् (पुं०) [नक्षत्र+इनि] चन्द्रमा। नक्षत्रौथः (पुं०) नक्षत्र समूह। नखः (पुं०) नाखून, पंजा, नखर. कराग्र। (जयो० ६/६०) नखं (नपुं०) नख, नाखून। नखः (पुं०) अंग, भाग, हिस्सा। न ख-निष्प्रभ। (जयो० ३/४५) नखकुट्टः (पुं०) नापित, नाई। नखचुष्टिका (स्त्री०) नख की चिऊँटी, नकोचना। (जयो० २०/६६) नखजाहं (नपुं०) नाखून की जड़। नखदारणः (पुं०) नाखून काटने की कैंची, नेलकटर। नखनिकृन्तनं (नपुं०) नहरना, नेलकटर। नखपदं (नपुं०) नखचिह्न, खरौंच। नखमुचः (पुं०) धनुष। नखर: (पुं०) [नख+टा-क] नाखून। (जयो० २४/९१) नखरं (नपुं०) नाखून। नखलत्व (वि०) १. नाखूनपना, २. अशठतापन। (जयो० १/५६) नखलाभिधानः (नपुं०) १. दुर्जन नहीं। खलो न भवतीत्यभिधावान् २. नरपर्याय। (जयो० ११/१४) ०सज्जन, सभ्य, ०सदाचरण युक्त। नखलेखा (स्त्री०) नखचिह्न। नखविष्किरः (पुं०) शिकारी पक्षी। नखशङ्खः (पुं०) छोटा शंख। नखसंस्कारः (पुं०) नख रंगना! रखाङ्कः (पुं०) खरौंच, नखचिह्न। नखांश (स्त्री०) नख प्रभा। नखाना नखोद्भूतरश्मीनां (जयो० ११/१९) नखाघातः (पुं०) खरौंच, नख लगने का घाव। नखानरिव (स्त्री०) नखों से होने वाली लड़ाई। नखायुधः (पुं०) व्याघ्र, सिंह, कुक्कुट। नखारि (स्त्री०) नखाली, करज तति। (जयो० १७/५४) नखाशिन् (पुं०) उल्लू। नखाहत (वि०) नखों से आहत। नखिन् (वि०) नाखूनों वाला। नगः (पुं०) [न गच्छति न+गम्-ड] पर्वत, गिरि, पहाड़। देव (जयो० १/१०) (भक्ति०७) ० गकार अभाव। (जयो०वृ० १/४८) ० तरु, वृक्ष। नगत्वं गकारा भावत्वम् अथवा नगत्वं पर्वतत्त्वमेव तत्त्व जगौ। गकार पठनानन्तरमेव पकारस्य पाठात् तस्य नगत्वं बदतः (जयो०वृ० १/४८) ० पादप। ० सूर्य। ० सर्प। ० नगीना। आभूषणों में जटित रत्नादि। ० पुरुषश्रेष्ठ (सुद० ८५) नगज (वि०) पर्वत पर उत्पन्न, पहाड़ी, पर्वतीय। नगजः (पुं०) हस्ति, हाथी। नगजा (स्त्री०) पार्वती, गौरी, पर्वती की पुत्री। नगणं (नपुं०) काव्य में प्रयुक्त एक गण। नगणनीयता (वि०) अगणित। नगनन्दिनी (स्त्री०) पर्वत, सुता, गौरी, पार्वती। नगपतिः (पुं०) हिमालय पर्वत। नगमूर्धन् (पुं०) शिखर, पर्वत का उन्नत भाग, गिरिशृंखला। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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