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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धृतसत्ता ५२२ धैवतः धुतसत्ता (वि.) संगठित, सत्तायुक्त। 'स्वं वरं प्रचरितुं धृतसत्तां धृष्णज् (वि०) [धृष्+ नजिङ्] साहसी, दृढ़संकल्पी, ढीठ, गन्तुमेष च सभामभवत्ताम्। (जयो० ४/१४) निर्लज्जा धृताञ्जनं (वि.) १. अञ्जन लगाए हुए। २. अञ्जन जाति के | धृष्णिः (स्त्री०) [धृष्+नि] प्रकाश किरण। वृक्षों वाला। (सुद० पृ० ८३) धृष्णु (वि०) [धृष्+क्नु] साहसी, दृढ़संकल्पी, पराक्रमी। धृतादरः (पुं०) १. आदर करने वाला (जयो० २/१०८) २. धे (सक०) चूसना, पीना, निगलना, चूंट भरना। नैष्ठिक धृत आदरो येन स गृहीतविनयो नरो (जयो० २/९१) धेनः (पुं०) [धे+नन्] १. समुद्र, २. नद।। धृतानति (वि०) स्वीकृत नमन। (जयो० १३/१८) धेनुः (स्त्री०) [धेनु] गाय, गो। (सम्य० ९६) 'धेनुरस्ति धृतानुराग (वि०) प्रेमभाव युक्त, लालिमा। धृतः सम्बद्धोऽनुरागौ महतीह देवता' (जयो० २/८७) तच्छकृत्प्रनवणे निषेवता लालिमा प्रेमभावश्च। (जयो० १५/७) 'धेनूनां पोषणं केवलमन्नत एव न भवति' (जयो० २/११) धृतार्थ (वि०) प्रयोजन से युक्त। धृतोऽर्थो हेतुभावो येन तदस्तु, 'वदेयुर्मातरं धेनुं प्रभावः तन्मतरेयम्' (वीरो० १५/५७) 'अर्थः प्रयोजने वित्ते हेत्वभिप्रायवस्तुष' (इति विश्वलोचनः ० पृथ्वी, धरणी, मा। जयो०वृ० २६/७४) धेनुक (वि.) [धुने कन्] धेनु वाला। १. गोपुर। (जयो० धृतिः (स्त्री०) १. धर्म पुरुषार्थ। धृतिर्धर्मस्तु' (जयो०३० ३/१०७) २/१०) २. धैर्य, दृढ़संकल्प, दृढ़ता, स्थिरता। (जयो० धेनुका (स्त्री०) [धेनुक+टाप्] हथिनी। २/७४) ३. सन्तोष, साहस, तृप्ति, प्रसन्नता, हर्ष। ४. धेनुग (वि०) सदाचारी। (जयो०वृ० २१/४४) प्रीतिः, अनुराग। (जयो० ६/२३) ५. लेना पकड़ना, धेनुगत्व (वि०) धेनुपना, सरलता का भाव। (जयो० २१/४४) ग्रहण करना, रखना, अधिकृत करना। ६. आत्म-संयम। धेनुततिः (स्त्री०) गो समूह। (वीरो० २/२०) धृति-कक्ष (नपुं०) धैर्य भवन। 'हावे च भावे धृतिकक्षदावे' धेनुधनं (नपुं०) गोधन। (दयो० ५३) राज्ञी क्षमा ब्रह्म-गुणैकनावे। (सुद० १०३) धेनुमुदा (स्त्री०) दोनों हाथों की अंगुलियों को परस्पर मिलाकर धृतिधारणं (नपुं०) प्रेमपूर्वक, सन्तोषजनक। 'प्राणिनामनुरागपूर्वक स्थित होना, गो स्तनाकारवत् स्थित होना। प्रेमपूर्वकं प्रजायाः परिपालनम्'। (जयो० ६/७३) धेनुरक्षकः (पुं०) गोपति, ग्वाला, गोपपति। (जयो० ८/१०७) धृतिमत् (वि०) [धृति+मतुप्] १. स्थिर, सुदृढ़ परिपक्व, धेनुष्या (स्त्री०) [धेनु+यत्-सुक्] सुरक्षित दूध वाली गाय। अडिग, २. संतुष्ट, प्रसन्न, प्रहष्ट, तृप्त। धैनुकं (नपुं०) गायों का समूह। धृतिमान् (वि०) दृढ़संकल्पी, धैर्यवान्, स्थिर, सुदृढ़, परिपक्व, धैर्य (नपुं०) [धीर+ष्यञ्] साहस, धीर, दृढ़ता, स्थिरता, अडिग। सामर्थ्य, शक्ति, स्थायित्व, शान्ति, सहिष्णुता। (वीरो० ० संयम में रति। ३/२) 'पश्येन्नान्तरमन्तकात्मसुहृदो धैर्य धरेदात्मनि' (मुनि० ० अनुरक्तमना। 'धृतिः संयमे रतिः, सा विद्यते येषां ते ४) 'सौवर्ण्यमुद्वीक्ष्य च धैर्यमस्य दूरं गतो मेरुरहो नृपस्य' धृतिमन्तः। (वीरो० ३/२) धुतिशालिन् (वि०) १. धैर्यशाली, धीर २. संतोषी, प्रसन्नचित्ता । धैर्यगुणः (पुं०) धैर्यगुण, धीरता, धीरभाव, स्थिरता, दृढ़ता। (जयो० ३/२५) 'स्मरः शरद्यस्ति जनेषु कोपी तपस्विनी' धैर्यगुणो व्यलोपी। धृतिस्तनावह (वि०) धृतिधारण, अनुराग धारण। (जयो० (वीरो० २१/१३) ६/७३) धैर्यधनोपलोपी (वि०) धीरता रूपी धन का लोप करने वाला। धृत्वन् (पुं०) [धृ+ क्वनिप्] १. ब्रह्मा, सद्गुण। २. आकाश, 'धैर्य-धनस्योपलोपं करोतीति' (जयो० १५/२४) समुद्र। ३. चतुर व्यक्ति । धैर्ययुक्त (वि०) धीरता सम्पन्न। धृष्ट (वि०) [धृष्+क्त] निर्लज्ज, उच्छृखल, अविनीत, ढीठ। धैर्यशाली (वि०) शक्तिशाली। (जयो० १३/१५) निजमङ्ग जमङ्ग जङ्गमं सहसोत्थापय धैर्यसम्पन्न (वि०) सामर्थ्य युक्त। धृष्ट! वर्मत। (जयो० १३/१५) धैवतः (पुं०) [धीमत्+अण] संगीत के सरगम का एक स्वर। • प्रगल्प, दुःसाहसी, दुश्चरित्र। (जयो० ११/४७) सात स्वरों में छटा स्वर। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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