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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धूप ५२० धूर्वी धूप (सक०) सुगन्धित करना, सुवासित करना।, १. गरम धूमसम्पन्न (वि०) धूम युक्त, धुंए सहित। करना, उष्ण करना। २. चमकना, बोलना। धूमाकृतिः (स्त्री०) धूमरेखा, धुंए की लकीर। धूपः (पुं०) [धूप्+अच्] सुगन्धित द्रव्य, चन्दनादि का सुगन्धित धूमावली (स्त्री०) धूमरेखा। (जयो० १६/८२) धूमपंक्ति। मिश्रण, सुगन्धित चूर्ण। (सुद०७२) पूजा के अष्ट द्रव्यों धूमित (वि०) अंधकार युक्त। में सप्तम धूप निक्षेपण की क्रिया अष्टकर्म के दहन हेतु धूमोत्थित (वि०) धूम सम्पन्न। (वीरो० २/३३) धूप का चढ़ाना। धूमोद्गारः (पुं०) बाष्प उठना। धूपघटं (नपुं०) धूमक, धूपदान। (जयो० २६/५४) धूमोर्णा (स्त्री०) यम की भार्या। धूपदशा (स्त्री०) दंशागधूप, सुगंधितधूप। (सुद० ७२) धूम्या (स्त्री०) [धूम+यत्+टाप्] धुएं का बादल, प्रगाढ़ धूम। धूप-निक्षेपणं (नपुं०) धूप खेना, धूप डालना, धूप चढ़ाना। धूम्र (वि०) धुएं से युक्त, काला, अंधकार युक्त। धूपपात्रं (नपुं०) धूपदान, धूप खेने का पात्रा धूम्रकः (पुं०) उष्ट्र, ऊँट। धूपधूमावली (स्त्री०) धूप के खेने से उठने वाली धूप रेखा। धूम्ररुच् (वि०) मटमैला। 'धूपस्य धूमावली धूमपंक्तिरिव' (जयो० १६/८२) धूम्रलोचनः (पुं०) कबूतर। धूपवासः (पुं०) धूप की गन्ध। धूम्रलोहित (वि०) गाढा मटमैला, प्रगाढ़ लाल रंग वाला। धूपवृक्षः (पुं०) गुग्गुल तरु, सरलवृक्षा धूम्रवर्णः (पुं०) कृष्णवर्ण, श्यामल। (जयो०व० ७/१०३) धूमः (पुं०) [धू+मक्] धुआं, वाष्प। धुंध, कोहरा। (जयो० धुम्रशुकः (पुं०) ऊँट। १३/९९) 'तदस्य धूमा इव कुन्तलाश्चला'। (जयो० धूर्जटिः (स्त्री०) उग्र स्वभाव वाली स्त्री। (जयो० ६/७८) २३/१५) धूर्त (वि०) [धूर्वक्त] पिशुन ०शठ, मूर्ख, चालाक। • उल्का , केतु। (वीरो०वृ० १/१९) वाचाल धूतैः समाच्छादि जनस्य सा ० मेघ, बादल। दृक्, वेदस्य चार्थः समवादि तादृक् (वीरो० १/३२) धूमकेतु (स्त्री०) १. धूमाकार रेखा। २. आग, उल्का, पुच्छल वञ्चक-(जयो० ७/१४) तारा 'धूमकेतुर्गगने धूमाकाररेखाया दर्शनम्' (मूला०वृ. मायावी- (जयो०वृ०७/४) ५/७८) 'उप्पादकाले चे धूमलट्ठि व्व आगासेक ठगी-अहो धूर्तस्य धौर्त्यम् निभालयताम् (सुद० १०५) उवलब्भमाणा धूमकेदू णाम। (धव० १४/३५) धूर्तकः (पुं०) [धूर्त कन्] १. गीदड़, २. चालाक, मक्कार, धूमचारणं (नपुं०) धूमचारण ऋद्धि। जालसाज। धूमजः (पुं०) मेघ, बादल। धूर्तकृत् (वि०) धूर्तता करने वाला, छली, कपटी, मायावी। धूमधामः (पुं०) धूमाकृति, घूमरेखा। धूमस्येव धाम (जयो० | धूतर्जन: (पुं०) धूर्त लोग, छली व्यक्ति। (वीरो० ९/४) १३/९९) (दयो०५१) अजेन माता परितुष्यतीति तन्निगद्यते धूतजनैः धूमधारा (स्त्री०) धूएं की रेखा, धूमाकृति। 'ह्रियांशु-दीप- ___ कदर्थितम्। (वीरो० ९/४) ____व्ययिनीत्युदारातमोमिषात्तत्कृतधूमधारा।' (जयो० १५/३७) | धूर्तजन्तुः (पुं०) धूर्तप्राणी। धूमध्वजः (पुं०) अग्नि, आग। धूर्तत्व (वि०) धूर्तता, ठगीपना, वञ्चकत्व। (जयो० ७/१४) धूमपंक्ति (पुं०) धूमावली, धूमरेखा। धूर्तवत् (वि०) धतूरे की तरह। (जयो० ७/१४) प्रत्येतुं धूमपानं (नपुं०) वाष्प लेना। नैनमेक्तोऽपि बभूव कपटं पटुः। धूममञ्जुला (स्त्री०) धूम की मनोज्ञता। अहो धूर्तस्य धूर्तत्व धूर्तवज्जगदञ्चति।। (जयो० १/१४) धूममनोज्ञता (स्त्री०) धूमाकृति की श्रेष्ठता। (जयो०१० १४/७२) धूर्तरचना (स्त्री०) धूर्तविद्या, ठगीकला। धूममहिषी (स्त्री०) कुहरा, धुंध। धूर्तराट् (पुं०) धूर्तराज। (जयो० ७/४) धूर्तानां राजा धूर्तराट्धूमयोनिः (स्त्री०) मेघ, बादल। 'छलछद्वाकारप्रधान (वीरो० ६/३४) (जयो० ७/४) धूमरेखा (स्त्री०) धूमाकृति। (शठराज मुनि० २९) धूमल (वि०) धुंआ युक्त। धूर्वी (स्त्री०) [धुर+अज्+क्विप्] गाड़ी का बम, अगला भाग। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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