________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
धीरता
५१९
धुनिः
धीरता (वि०) सहिष्णुता, गंभीरता, शान्तचित्तता। (जयो०२०/५१) धुरता (वि०) प्रधान भाव वाला। धीरता (स्त्री०) धैर्य, साहस।
धुरन्धर (वि०) योग्य, श्रेष्ठ, प्रधान, प्रमुख. उच्चस्थान वाला, धी-रता (वि०) बुद्धिरत, बुद्धिमान्। (जयो० २०/५१)
(दयो० ४५) धुरा धारक। 'स्वराज्यप्राप्तयेधीमान् धीरप्रशान्तः (पुं०) शूरवीर एवं शान्त, नाटक का नायक। सत्याग्रहधुरन्धरः' (वीरो० ११/३९) धीरललितः (पुं०) दृढ़ एवं पराक्रमी नायक का गुण।
० बोझ ढोने वाला, भारवाहक। धीरस्कन्धः (पुं०) भैंसा।
० अग्रगण्य। धीरा (स्त्री०) [धीर+टाप्] दृढ़शीला नायिका।
० जीते जाने योग्य। धीराड् (पुं०) बुद्धिमान्, विद्वान्। 'यश्चाज्ञागधिगम्य पावनमना ० जुआं संभालने वाला। धीराडहिंसाश्रियः (वीरो० १६/२७)
० कर्त्तव्य निष्ठ। धीलटि: (स्त्री०) [धी+लट'इन] पुत्री, सुता, लड़की, बेटी। धुरा (स्त्री०) बोझा, भार। १. मुखभाग। (जयो० २६/६३) धीवरः (पुं०) [दधाति मत्स्यान-धा-ष्वरच्] दशपुत्र (जयो० 'परमामोदविधालसद्धराम्' (जयो० २६/६३)
२२/२९) मछुआर, ढीमर, (जयो० २२/ जयो० १/४०) | धुरी (स्त्री०) [धुरं वहति-धुर+इनिङीप्] आधारभूत, पहिए
मछली पकड़ने वाला। 'मत्स्यरीतिरिपुरेषु धीवरः' (जयो० ३/४) की नाभि, पहिए का मुखभाग। धी-वर (वि०) बुद्धिमान्, विद्वान्। (जयो० ३/४) एष जयकुमारो ० शिरोमणि। 'प्रातः समापित-समाधिरिहा नगारधुर्यो नमोऽर्हत
धी-वरो बुद्धिमान् (जयो०७० ३/४) (जयो० १२/३४) इतीदमदादुदारः' (सुद० ४/२५) धीवरता (वि०) बुद्धिमती। (जयो० १२/३४)
धुरीण (वि०) [धुरं वहति, अर्हति वा-धुन्+ख] बोझा ढोने धीवरी (स्त्री०) ढीमरी, मछुआरी।
योग्य, मुख्य, प्रधान, अग्रणी, ०महत्त्वपूर्ण कार्यों में धीवरोचर (वि०) धीवरी की पर्याय वाली। 'क्षुल्लिकात्वमगाद्यत्र नियुक्त। 'दासीव सत्कर्मविधौ धुरीणा' (समु० ६/१२) देवकीधीवरीचरे' (वीरो० १७/३६)
धुर्य (वि०) बोझ संभालने योग्य, महत्त्वपूर्ण कार्य करने योग्य, धीवरीभव (वि०) धीवरीपर्याय का होना।
__ आधारभूत, आश्रय योग्य। धीश्वरः (वि०) बुद्धिशाली, बुद्धिमान्। हे धीश्वरासुरहितं धुर्यः (पुं०) भार वाहक पशु।
सहसान्धकारम्' (जयो० १८/३०) भो! भोगाद् विरतो रतो धुस्तुरः (पुं०) धतूरा। भगवतः संचेतनेधीश्वरः' (मुनि० २५)
धू (सक०) हिलाना, कंपाना, ०क्षुब्ध करना, हराना, धुक्षु (सक०) सुलगना, जीतना, भोगना, कष्ट सहना, प्रज्ज्वलित नष्ट करना, चोट पहुंचाना, ०पराभूत करना, ०अस्वीकृत करना।
करना। धुत (वि०) [धु+क्त] परित्यक्त, त्याज्य, चुना हुआ, छोड़ा | धूः (स्त्री०) [धू+क्विप्] १. हिलना, कांपना, क्षुब्ध होना।
गया, परिहत, नष्ट। 'धुतः परिहत उग्रविधिः (जयो०वृ० २. बाधा, विपद। (जयो० २५/४८) १/९५)
धूत (भू०क०कृ०) [धू+क्त] हटाया हुआ, फेंका हुआ, धुतान्त (वि०) कम्पित, डरा हुआ। पन्थानमीषन्मरुता धुतान्तः त्यक्त, परित्यक्त। ० परीक्षित, तिरस्कृत, उपेक्षित, ० कुचाम्बला कस्य कृतेऽक्षिकृद्याः (वीरो० २१/१७)
अवज्ञात, अनुमानित। धुन् (सक०) धुनना, पीटना, ताड़ना, मिटाना, कष्ट देना। धूतकल्मष (वि०) पाप मुक्त।
(दयो० ३४) धुनित्वा (दयो० ३४) 'शिरो धूताङ्कश (वि०) अंकुश की परवाह न करने वाला 'धूतो न धुनेच्चेत्कथमेवमस्ति' (वीरो० ३/१२)
गणितो अंकुशो। (जयोवृ० १३/१०४) धुनिः (स्त्री०) [धु+नि] नदी, सरिता, कल्लोलिनी। धूतपाप (वि०) पापमुक्त। धुनी (वि०) बरसाने वाली, बिखेरने वाली। सुधाधुनी | धूतिः (स्त्री०) [धू+क्तिन्] हिलाना, तिरस्कृत करना, हटाना, गौविंधुवद्विधाना' (सुद० १/१०)
फेंकना। धुर् (स्त्री०) [धु क्विप्] धुरा, जुआं। (जयो० १३/५) | धून (भू०क०कृ०) [धू+क्त] क्षुब्ध, धुना हुआ, पीड़ित। 'सुदृढां स धुरं रथाग्रणी:' (जयो० १३/५)
धूनिः (स्त्री०) हिलाना, क्षुब्ध करना।
For Private and Personal Use Only