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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धारणा ५१७ धाव भूलना-'गृहीतस्याविस्मरणं धारणम्' धारणमविस्मरणम्' (जैन०ल० ५७७) धारणा (स्त्री०) विषय के अनुसार प्रतिपत्ति, ०अवधारणा, ० धैर्य, दृढ़ता, स्थिरता, निश्चित नियम, उपसंहार, स्मरण शक्ति, मन को शान्त रखना। (वीरो० ३/३१) • कालान्तर में नहीं भूलना। • धारणा स्मृतिहेतुः। स्मृति का कारण। ० निर्णीत अर्थ का कालान्तर में विस्मृत नहीं होना। 'निर्णीतार्थाविस्मृतिर्यतस्या धारणा' (धव० ९/१४४) ० श्रुतिनिर्दिष्टबीजानामवधारणम्' (महापुराण २१/२७) 'न तादृशी भूमिधनादि-कारणानुवृत्तये कीदृशि अस्ति धारणा। (वीरो० ३/१६) ० आस्था, समझ, विश्वास, औचित्य। ० मनोयोग, भावना, संस्कार, ० धरणी, धारणा, स्थापना, कोष्ठा और प्रतिष्ठा ये धारणा के पर्यायवाची शब्द है। 'धरणी धारणा ट्ठवणा कोट्ठा पदिट्ठा (षट् खंडा ५/५ पृ० २४३) धारणाशक्ति (स्त्री०) स्मरण शक्ति। धारयतः-धारण करना, भजना, रहना। (जयो० १/४८) धारयति-धारण करना। धारयन्-(सुद० ४/६) धारण करना। धारयन्ती (वर्तकृ०) धारण करती हुई। (वीरो० १५/१४) धारयित्री (वि०) पृथ्वी, धरा, धारणी। धारा (स्त्री०) [धार+टाप्] प्रवाह, जल प्रपात, जल की रेखा। (जयो० १२/६५) जलपरम्परा। 'वारां नृपतेर्जयस्य धाराम्' (जयो० १२/५५) ० बौछार। ० अनवरत रेखा, एक सी रेखा। ० घड़े का छिद्र। ० घोड़े की चाला ० हाशिया, किनारा, सीमा। • तलवार या अन्य आयुध का किनारा। ० परिधि, पहिए की परिधि। • उद्यान की दीवार। ० उच्चतम बिन्दु, सर्वोपरिता। ० यश। ० रजनी। ० हल्दी । ० कान का अग्रभाव। धारागृह (नपुं०) स्नानागार, सुसज्जित फव्वारों से युक्त स्नानघर। धाराचारण (नपुं०) एक ऋद्धि, जिसमें जीवों का बचाया गया। धाराघरः (पुं०) मेघ, बादल। धारानिपातः (पुं०) जल प्रपात। धारान्वित (वि०) धाराओं से भरा हुआ। (जयो० २/१३०) धारापतनं (नपुं०) धारा प्रवाह। (जयो० ७/२३) धारापातः (पुं०) धारा प्रवाह, सलिल वृष्टि, जल का बरसना। धारायन्त्रं (नपुं०) झरना, स्रोत, प्रपात, निर्झर, फव्वारा। धारासंपातः (पुं०) मूसलाधार वर्षा, तेज बारिश। धारावाहिन् (वि०) अनवरत, क्रमश, लगातार, एक सा। धाराविषः (पुं०) टेढ़ी तलवार। धारि (वि०) धारण की जाने वाली। (जयो० १/४७) धारिणी (स्त्री०) १. धारणी नामक रानी, जो सभी प्रकार की कला में कुशल, धान्यवृद्धि में सक्षम तथा धान्य खेत की ज्ञाता भी थी। २. पृथवी, भू, धरा। ३. (वि०) धारण करने वाली, कुशलता युक्त। धारिन् (वि०) [धृ+णिनि] १. ले जाने वाला, सुरक्षित रखने वाला, आश्रय देने वाला, सहारा देने वाला। २. स्मरण शक्ति रखने वाला। धार्तराष्ट्रः (पुं०) [धृतराष्ट्र+अण] धृतराष्ट्र का पुत्र। धार्मिक (वि०) [धर्म+ठक्] पुण्यात्मा, न्यायाशील, धर्मनिष्ठ, सद्गुणी, शुभप्रवृत्तिवाला। श्रुत और चरित्र में स्थित रहने वाला। 'धर्मे श्रुत-चारित्रात्मके भवः, स वा प्रयोजनमस्येति धार्मिकः। (जैन ल० ५७९) धार्मिक-परमहंसा (स्त्री०) जिनवाणी, वीतराग वाणी। (जयो० १३/५८) विशुद्ध धर्म सम्बंधी विचार युक्त वाणी। धार्मिकसंस्कारः (पुं०) धर्मयुक्त संस्कार, अच्छे ज्ञानवर्धक संस्कार। ० धर्मभावना। ० चारित्रभाव। धार्मिणं (नपुं०) [धर्मिन्+अण] सद्गुणी समाज। धार्य (वि०) संग्राह्य (सम्य० ३३) धार्यमाण (व०कृ०) धारण करता हुआ, रखता हुआ। (वीरो० १६/१८) घाटयं (नपुं०) [धृष्ट+ष्यञ्] अहंकार, अविनय, ढिठाई, अभिमान, धृष्टता। (हि०सं० ५) नैवानुमन्यते धाष्ट्रा त्समाजस्यानु शासनम्' (हि० सं०५) धाव (अक्०) ० दौड़ना, आगे बढ़ना, भागना, जाना, चलना। (जयो० ५/९६) 'धावति ते स्वनजितविपञ्चि' (जयो० ६/७) ० पलायन करना-'दरिणो भीता भवन्तो धावन्ति For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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