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अभिप्रेत
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अभियुक्त
अभिप्रेत (भू०क०कृ०) [अभि+प्र+इ+क्त] ०लक्षित, उद्दिष्ट, अभिमन्त्रणं (नपुं०) संस्कार जन्य, पवित्रीकरण, मनोरम, ____ अर्थपूर्ण, ०अभिप्रायजन्य, अभिलषित, ०इष्ट, स्वीकृत। आमन्त्रित, परामर्शित। अभिप्रोक्षणं (नपुं०) [अभि+प्र+उ+ ल्युट्] छिड़काव, अभिमरः (पुं०) [अभि+मृ+अच्] ०घात, प्रतिघात, नाश, छिड़कना, सिञ्चित करना।
___०हानि, क्षय। अभिप्लुतः (भू०क०कृ०) [अभि+प्लु+क्त] पराभूत, अभिभूत, | अभिमर्दः (पुं०) [अभि+मृद्+घञ्] ०मर्दन, गलन, उच्छेद, व्याकुल।
कुचलना। अभिप्लुवः (पुं०) [अभि+प्लु+अप्] पीड़ा, दु:ख, बाधा, अभिमर्दनं (नपुं०) मद्रन, नाश, उच्छेद। रुकावट।
अभिमादः (पुं०) [अभि+मद+घञ] मादकता, मदहोशी, नशा। अभिबुद्धिः (स्त्री०) १. ज्ञानेन्द्रिय। २. ज्ञान की ओर। अभिमानः (पुं०) [अभि+मन्+घञ्] १. अहंकार, गर्व, घमण्ड, अभिबोधितुम् (अभि+बुध+इ+तुमुन्) समझने के लिए, जानने दर्प। (मुनि०) मा चित्तेऽभिमानं भजे-२. स्वाभिमान,
के लिए, ०ज्ञान के लिए। पूर्णचन्द्रमभिबोधितुम्' (समु० सम्मान, योग्य भावना। मानकषायोदयापादितोऽभिमानः। ५/१)
(जयो० ५/१८) (स०वा०४/३१) अभिबोधिनी (वि०) ०बोधप्रध, ०बोधदायिनी, यथोचित बोध । अभिमानवंत (वि०) स्वाभिमानी, सम्मानीय। (जयो० ७०
कारक। (जयो० २/५४) भूरिशो ह्यभिनयानुरोधिनी ५/९) वागलङ्करणतोऽभिबोधिनी।। (जयो० २/५४)
अभिमानिन् (वि०) [अभि+मन्+णिनि] १. घमण्डी, अहंकारी, अभिभवः (पुं०) [अभि+भू+अप्] ०पराभव, हार, तिरस्कार, दी, गर्वीला, अहमन्यता। (जयो० १५/१५) प्रत्युपक्रिया
०अपमान, निरादर। बलिरत्नत्रयमृदुलोदरिणिं नाभिभवार्थी मिवाभमानी। (जयो० १४/३४) अभिमानी-मानस्य सुगुणाश्रय। (सुद० १२२)
पराकाष्ठामितः। (जयो० वृ० १५/१५) २. समादर सहित, अभिभवनं (नपुं०) [अभि+भू+ल्युट्] पराजित करना, जीतना। सम्मानीय, योग्यता युक्त, पूजनीय, विश्वसनीय, स्नेही। अभिभावकः (वि०) ०रक्षक, प्रतिपालक, ०भाई-बन्धु, (जयो० वृ० १५/१५) ०माता-पिता। (जयो० ३०
अभिमानिनी (स्त्री०) नायिका विशेष। [अभि+मन्+णिनि डीप्] अभिभावनं (नपुं०) [अभि+भू+णिच्+ ल्युट] विजयी कराना। वैमुख्यमप्यस्त्वभिमानिनीनामस्तीह यावन्न निशा सुपीना। अभिभाविन् (वि०) पराजित कराने वाला।
(वीरो० ९/३९) अभिभाषणं (नपुं०) [अभि+भाष्+ल्युट्] सम्बोधन करना, अभिमुख (वि०) ०अनुकूल, सम्मुख, ०सामने, ० अग्रगण्य, समझाना, बोध देना, दिशानिर्देश देना।
०सन्निकट, ०समीपस्था (जयो० वृ० ६/११) अभिभूत (वि०) आक्रान्त, पराभूत, दुःखित, वेदनाशील। अभिमुख्य (वि०) प्रमुख, मुखिया, प्रधान, द्विरदेष्विव
(जयो० ११/११) 'नतभुवो भोगभुजा भिभूतः।' (जयो० ११/११) मेदिनीपतिष्वभिमुख्यः। (समु० २/१६) उक्तवती सुगुणवती अभिभूतिः (स्त्री०) [अभि+भू+क्तिन्] १. प्रभुत्व, प्रधानता, दर-वलिताङ्ग तदाभिमुख्येन। (जयो० ६/३४)
आधिपत्य, अधिकार, २. पराभव, जीतना, पराजित करना। "वर्ण्यमानजनस्याभिमुख्येन संमुखत्वेन।" (जयो० ६/३४) अभिभ्रमणं (नपुं०) परिभ्रमण, घूमना, चलना। वभूव उक्त पंक्ति में 'अभिमुख्य' का अर्थ सम्मुखत्व है। नाभिभ्रमणान्धकूपा। (सुद० २/४) ।
अभियाचनं (नपुं०) [अभि+याच्+युच्] निवेदन, अनुरोध, अभिमत (भू०क०कृ०) [अभि+मन्+क्त] १. इष्ट, वाञ्छनीय, प्रार्थना।
०रुचिकर, योग्य, प्रिय, स्नेही। २. सम्मत, स्वीकार, अभियातिः (पुं०) शत्रु, प्रतिपक्षी। इच्छित, "षट्पद-मत-गुञ्जाभिमता।" (सुद० ८२) अभियानं (नपुं०) [अभि+या+ल्युट्] ०उपगमन, चढ़ाई, अघ-भूराष्ट्र- कण्टकोऽयं खलु विपदे स्थितिरस्याभिमता। आरोहन, ऊपरी गमन। ० युद्धप्रस्थान।
(सुद० १०५) जिनवोऽभिमतः पराजय। (जयो० २६/४५) अभियुक्त (भू०क०कृ०) (वि०) [अभि+युज्+क्त] १. अभिमतिः (स्त्री०) स्वीकृति, सम्मति। (सुद० ९१)
परिवारित, परिवेष्टित, आच्छादित, २. दक्ष, कुशल, निपुण, अभिमनस् (वि०) उत्कठित, लालायित, आतुर, प्रतीक्षक।
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