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अभिधा
अभिनिबोधः
के नाम स्मरण, २. नाम, संज्ञा, ध्वनि। "अभयमतीत्य- | अभिनन्दिनि (स्त्री०) [अभि+नन्द्+अनि] ०आनन्दकारिणी, भिधाऽभूद्भार्या" (सुद० १/४०)
प्रहर्षिणी, प्रफुल्लमना। अभिधा (स्त्री०) शब्दशक्ति विशेष। स मुख्योर्थस्तत्र मुख्यो यो अभिनन्दिनि तदवसरे गगनं स्वगनन्दिगन्धनेऽनुसजत्। (जयो० व्यापारोऽस्याभिधोच्यते (काव्य० २)
६/१२७) अभिधात: (पुं०) संज्ञा, नाम। (वीरो० १/२) समागमान्यो । अभिनन्दनीय (वि०) [अभि+नन्द+अनीय] प्रशंसनीय, वन्दनीय, वृषभोऽभिधातः।
०सम्मानीय, आश्रयणीय। अभिधानं (नपुं०) [अभि+धा+ल्युट्] १. कहना, प्रतिपादित | अभिनन्द्य (वि.) [अभि+नन्द्+ण्यत्] प्रशंसनीय, वन्दनीय,
करना, बोलना, संकेत करना। २. धारण करना, संज्ञा सम्माननीय, आश्रयणीय। युक्त, नाम वाला। विदेहदेशेत्युचिताभिधानः। (वीरो० २/९) अभिनम्र (वि०) पूर्णमत, विनम्र, प्रनत। ३. वाचक शब्द-साभिधेयमभिधानमन्वयप्रायमाश्रयतु तद्धि अभिनयः (पुं०) १. समारोह, सभासङ्गटन। "सारयति स्माऽभिनये वाङ्मयम्। (जयो० २/५५) अभिधान-वाचक शब्द (जयो० (जयो० ६/२०) अस्मिन्नभिनये समारोहे सभासङ्घटने।" वृ० २/५५) 'पादद्वयाग्रे नखलाभिधानो' (जयो० ११/१४) (जयो० वृ०८/२०) 'सोऽथ शुशुभेऽभिनयोऽपि।" (जयो० यहां 'अभिधान' का अर्थ पर्याय किया गया है। इसका ५/२६) सो अभिनयः सभासमारोहोऽपि। (जयो० वृ० सार्थकता भी अर्थ है। जो अपना ही बोध कराता है वह
५/२६) २. आश्चर्य स्थान-अभिनय आश्चर्यस्थानम्। 'अभिधान' है।
(जयो० ४/९) २. उत्सव-(जयो० ४/९) अभिधायक (वि०) [अभि+धा+ण्वुल] नाम करने वाला, अभिनयः (पुं०) नाटक, अंग निक्षेप, नाटकीय प्रदर्शन। कहने वाला, निर्देश करने वाला।
अभिनवः (पुं०) समारोह, अवसर। ईदृशेऽभिनयके प्रतियाति। (जयो० अभिधावनं (नपुं०) [अभि+धाव्+ल्युट्] पीछे पीछे दौड़ना,
४/१३) सार्वजनिकेभिनयके समारोहे। (जयो० वृ० ४/१३) अनुगमन, अनुसरण।
अभिनयता (वि०) ले जाने वाला, अनुसरण कराने वाला। अभिधेय (स०कृ०) [अभि+धा+यत] कथनीय, प्रवचनीय,
अभिनयन्तु (विधि०) ले जाएं। नाम योग्य।
अभिनयानुरोधिनी (वि०) प्रसङ्गानुसारिणी। भूरिशो अभिध्या (स्त्री०) [अभि+ध्यै+अ+टाप्] चाह, इच्छा, ह्यभिनयनुरोधिनी। (जयो० २/५४) लालच, लोभ, आसक्ति।
अभिनव (वि०) नवीन, नूतन, नए नए। पल्लवैरभिनअभिध्यानं (नपुं०) [अभि+ध्यै+ल्युट्] ०मनन-चिन्तन, वैरथाञ्चिता। (जयो०३/९) नव-नवै-अभिनवः। (जयो० ०अनुचिन्तन, ०अनुस्मरण।
वृ० ३/९) नृवातोऽभिनवां मुदं। (जयो०६/१३२) अभिनन्द (अक०) [अभिनन्द्] अभिनन्दन करना, सम्मान
अभिनव-वसनं (नपुं०) [अभि+ नहाल्युट्] आंख पर बांधने करना, प्रशंसा करना। "मालाञ्चोपैमि बाहां हि
___ की पट्टी, अंधा। नीतिविद्योऽभिसन्दति।" अभिनन्दति/प्रशंसति (जयो० ७/३१) अभिनियुक्त (वि०) [अभि+नि+युज्+क्त] ०संलग्न, कार्य अभिनन्दनः (पुं०) चतुर्थ तीर्थंकर का नाम अभिनन्दन नाथ।
संयुक्त, ०व्यस्त। 'श्रीसम्भवं चाप्यभिनन्दनं च।' (भक्ति सं० १८)
अभिनिर्याणं (नपुं०) [अभि+निर्+या+ल्युट] प्रयाण, प्रस्थान, अभिनन्दनः (पुं०) विदेह क्षेत्र के पुष्कल देश की नगरी
अभिगमन, आक्रमण। छत्रपुरी का राजा अभिनन्दन। (वीरो० ११/३५) छत्राभिधे
अभिनिविष्ट (भू०क०कृ०) [अभि+नि+विश्+क्त] ०संलग्न, पुर्यमुकुलस्थलस्य श्री वीरमत्यामभिनन्दस्य। (वीरो० ११/३५)
तत्पर, ०लगा हुआ, ०कार्यशील। अभिनन्दन (नपुं०) [अभि+नन्द्+ल्युट्] अभिवादन सम्मान, अभिनिविष्टता (वि०) दृढ़ संकल्पता, पूर्ण निश्चय। प्रसन्नता, स्वागत, ०अनुमोदन करना। खुशी, आनंद,
अभिनिवृत्तिः (स्त्री०) [अभि+नि+वृत्+क्तिन्] पूर्ति, संपन्नता, प्रहर्षण।
निष्पन्नता। अभिनन्दि (वि०) आनन्दित, प्रहर्षित, प्रसन्नता। युक्त। अभिनिबोधः (पुं०) अनुमान का भेद। (जयो० ५/१७) "प्रवरमात्मवामभिनन्दिषु।" (सुद०४/२)
'अभिनिबोधनमभिनिबोधः। (स०सि०१/१३) 'अभिमुख्यं
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