________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अप्रतिलेरव
ওও
अप्रामाण्य
विरल।
अप्रतिलेरव (वि०) अप्रमार्जित विधि करना।
अप्रयुक्त (वि०) प्रयोग रहित, अव्यहत, त्रुटिजन्य, असामान्य, अप्रतिवीर्य (वि०) प्रबल शक्ति सम्पन्न, उत्कृष्ट शक्तिमान्। अप्रतिशासन (वि०) अनुपम शासक, परम शासक।
अप्रवृत्तिः (स्त्री०) कर्तव्य हीन, आलस्य, प्रमादजन्यवृत्ति। अप्रतिष्ठ (वि०) अस्थिर, सुदृढ़।
अप्रसङ्गः (पुं०) सम्बन्ध का अभाव, अनुपयुक्त समय। अप्रतिष्ठापनं (नपुं०) दृढ़ता का अभाव, स्थिरता शून्य। अप्रसिद्ध (वि०) अविख्यात, असामान्य, अज्ञात, अनुभव हीन। अप्रतिहत (वि०) बाधा रहित, निर्बाध, अप्रतिरोध्य।
अप्रशस्त (वि०) अयोग्य अंश, प्रशस्त/प्रशंसीनय गुण का अप्रतीत (वि०) अप्रसन्न, असंतुष्ट।
अभाव। (जयो० वृ० १/२४, २/४४) अप्रत्यक्ष (वि०) अगोचर, अदृश्य।
अप्रशस्तक (वि०) स्व विषय से अप्रशंसनीय। (जयो० २/४३) अप्रत्यय (वि०) आत्म विश्वास रहित, अनभिज्ञ, विश्वास नहीं शस्तमस्तु तदुताप्रशस्तकं, व्याकरोति विषयं सदा स्वकम्।
करने वाला। व्यलीकिनोऽप्रत्ययसम्विघाऽतः। (समु० १/९, अप्रशस्तध्यानं (नपुं०) आर्त-रौद्र स्वरूप ध्यान, पापानव रूप वृ०८)
ध्यान अप्रदक्षिणं (अव्य०) वाम ओर से दाहिनी ओर।
अप्रशस्त-निदानं (नपुं०) मान से प्रेरित इष्ट की कामना, अप्रधान (वि०) अधीन, गौण, प्रमुखता रहित।
तीर्थंकरादि की भावना। अप्रधृष्य (वि०) अजेय, अपराजित, जीतने में न आ सके। अप्रशस्त भावः (पुं०) अयोग्य का भाव, प्रशंसा विहीन का अप्रभु (वि.) ०शक्तिहीन, अशक्त, असमर्थ, ०अयोग्य, परिणाम। अक्षम, ०बलहीन, ०स्वामित्व रहित।
अप्रशस्तरागः (पुं०) विकथाओं के प्रति आसक्ति। अप्रमत्त (वि०) प्रमाद रहित, संयत/सदध्यान लीन। एकाग्रचित्त। अप्रशस्त-वात्सल्यः (पुं०) अवसन्न के प्रति प्रीति, दुःख के (हि०स०५६)
प्रति अनुराग, परित्यक्त के प्रति वात्सल्य। अप्रमत्तात्मक (वि०) एकाग्रात्मा, संयतात्मा, प्रमत्तविरतात्मा। अप्रशस्त विहायोगतिः (स्त्री०) निन्द्यनीय गमन।
अप्रमत्तोगिरागेन हृदापि परमात्मनः। (हित०सं० वृ०५६) अप्रस्ताविक (वि०) असमर्थक, असंगत, अप्रसांगिक, गार्हस्थ्यतोऽभ्योतीतोऽपि द्वैधीभावमुपादधत्। प्रमत्तो हि भवेत् आकस्मिक, मूढजन्य।
सोऽभिनन्दने परमात्मनः। (हि०सं० वृ० ५६, १४७) अप्रस्तुत (वि०) अप्रासङ्किकता, असंगत। (जयो० १६/४२) अप्रमद (वि०) अप्रसन्न, दु:खित, कष्टजन्य।
"अप्रस्तुतत्त्वात्सुदृशां सदङ्गे।' अप्रमा (स्त्री०) संशय जन्य ज्ञान।
अप्रहत (वि०) परतभूमि, खनन मुक्त क्षेत्र। अप्रमाण (वि०) ०अविश्वस्त, असीमित, अपरिमित, प्रमाण अप्राक (वि०) अपर्व, अद्वितीय. अनपम। 'न प्राग्भवन्निति की प्रस्तुति का अभाव।
अप्राक्।' (जयो० वृ० १/५६) 'तत स्तद प्राक्सुकृतैकजातिः' अप्रमाद (वि०) समस्त कषायों का अभाव, प्रमाद रहित, (जयो० १/५६) आलस्य मुक्त, जागृत, प्रतिबुद्ध।
अप्राकरणिक (वि०) प्रकरण विहीन, अप्रासंगिक, असंगत। अप्रमादिता (वि०) प्रसन्नता, आनन्ददायक। अप्रमादितया अप्राकृत (वि०) १. असाधारण, २. विशेष, ३. जो पूर्वकृत न पूर्णचन्द्रस्याह्लादकारिणः। (समु० ४/३९) ।
हो, मौलिकता का अभाव। अप्रमादी (वि०) पापाचार रहित, पापाचारविहीन। स्वान्त अप्राख्य (वि०) अविख्यात, अप्रधान, गौण, अप्रमिद्ध। इहाप्रमादी। (जयो० २७/५३)
अप्राणक (वि०) प्राणवर्जित, चेतनाशून्य। अप्राणकैः प्राणभृतां अप्रमार्जनं (नपुं०) आगमोक्त विधि की उपेक्षा, विधिपूर्वक प्रतीकैः। (जयो० ८/३७) मांजना नहीं।
अप्राप्त (वि०) अनुपलब्ध, प्राप्ति से परे। अप्रमेय (वि०) जिसका अच्छी तरह निश्चित न किया जा अप्राप्तिः (स्त्री०) अनुपलब्धि, न मिलना, सुलभ नहीं।
सके, या जाना जा न सके। प्रमेय विहीनता, २. अपरिमित, अप्रामाणिक (वि०) मान्यता रहित, मूल्य विहीन, अयुक्तियुक्त, असीमित, असम्बद्धता।
अविश्वसनीय। अप्रयाणं (नपुं०) प्रस्थान न किया गया, गमन न किया गया। | अप्रामाण्य (वि०) यथार्थता का अभाव।
For Private and Personal Use Only