SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 86
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अपेत ७६ अप्रतिरूप अपेत (भू०क्रि०) [अप+इ+क्त] गया हुआ, ०व्यतीत, अप्रज (वि०) सन्तान हीन, अजात। विमुक्त, विचलित, विरुद्ध, मुक्त, वंचित। अप्रजस् (वि०) सन्तान हीन, बांझ स्त्री। बन्ध्या। अपोढ (वि०) [अप+वह्+क्त] दूर हटाया गया। अप्रतिबद्ध (वि०) निर्मोही, अनासक्त। अपोहः (पुं०) [अप+व+घञ्] ०अभाव, विरोपण, ०हटाना, अप्रतिबुद्ध (वि०) बहिरात्म जीव, आत्मा के स्वभाव को न दूर करना, विनाश, ०असद्भाव। तर्कशक्ति विशेष। जानने वाला! अन्यापोहतया चित्तलक्षणेऽथक्षणे स्थितिम्। (जयो० २८/२४) अप्रदेश (वि०) प्रदेश रहित, एक प्रदेश मात्र। काल द्रव्य का अपोहोऽसद्भावः। (जयो० वृ० २८/२४) अपोहनं अपोहः, प्रदेश है। अपोह्यते संशय-निबन्धन-विकल्पः अनया इति अपोहा। अप्रदेशत्व (वि०) प्रदेश विहीनता, एक प्रदेशता। (धव०१३/२४२) जिससे संशय के कारणभूत विकल्प को अप्रतिकर्मन् (वि०) अनिवार्य, अद्वितीयकारक। दूर किया जाय, ऐसा ज्ञानविशेष 'अपोह' है। अप्रतिकार (वि०) असहाय, सहारा हीन। अपोहनं (नपुं०) [अप+व+ल्युट] हटाना, व्यावर्तन। अप्रतिघातः (वि०) व्याघात रहित, बाधा रहित। एक अपोहनीय (वि०) [अप+व+अनीयर] ०दूर हटाने योग, ऋद्धि-जिसके प्रभाव से बिना किसी व्याघात के पर्वत, प्रायश्चित्त योग्य, ०तर्क द्वारा स्थापित करने योग्य, भित्ति आदि को पार कर जाता है। व्यावर्तन योग्य। अप्रतिचक्रं (नपुं०) अप्रतिचक्र नामक मन्त्र। "ॐ ह्रीं अर्ह अपौरुषेय (वि.) [नास्ति पौरुषं यस्मिन्] अलौकिक, पुरुषकृत नमः" (जयो० १९/५४-५५) ओं ह्रां ह्रीं हूँ, ह्रौं ह्रः असि नहीं, ईश्वरकृत। आ उ सा अप्रतिचक्रे फट् विचक्राय झो झौं स्वाहा। अपकायः (पुं०) जलकाय, जलशरीर। एवमाप: अप्कायः। अप्रतिद्वन्द्व (वि०) अप्रतिरोध्य, जिसका प्रतिद्वन्द्वी न हो। (त०वा०२/१३) अप्रतिपक्ष (वि०) अप्रतियोगी, विपक्षशून्य, अनुपम। अप्कायिक (वि०) जल ही जिनका शरीर है अप्कायो विद्यते | अप्रतिपत्तिः (स्त्री०) ०अस्वीकृति, निश्चय का अभाव, यस्य स अप्कायिकः। उपेक्षा, अवहेलना, अव्यवस्था, विह्वलता। अप्जीवः (पुं०) अप्काय नामकर्म के उदय से युक्त जीव। अप्रतिपाति (स्त्री०) नहीं छूटने वाला। (वीरो० १०/२७) विग्रहगति प्राप्त जीव। अपः कायत्वेन यो गृहीष्यति विग्रहगति अप्रतिबन्ध (वि०) निर्बाध, अबोध। बिना रोकटोक। प्राप्तो जीवः सोऽप्जीवः। (जैन लक्षणावली पृ० १०३) अप्रतिबल (वि०) अनुपम बलशाली, अधिक शक्ति सम्पन्न। अप्ययः (पुं०) [अपि+इ+अच्] ०उपागमन, सम्मिलन, ०प्रवेश, अप्रतिनिवृित्तिः (स्त्री०) सन्मार्गमपरित्यज्य सन्मार्ग विहीन। ०अन्तर्धान। सन्मार्ग नहीं छोड़ता हुआ नहीं छोड़ना। अप्रकट (वि०) अव्यक्त, अकथित। (जयो० २/२३६) नित्यशोऽप्रतिनिवृत्त्य सत्पथात्। (जयो० २/४८) 'नूनमप्रकटरूपतो।' अप्रतिनिवृत्त्य-अपरित्यज्य। अप्रकम्प (वि०) अकम्पभाव/स्थिरता युक्त श्री देवाद्रिवदप्रक्रम्प।' अप्रतिभ (वि०) १. विनीत, विनम्र, २. विवेकहीन, मंदमति। (सुद० ९८) अप्रतिभट (वि०) अप्रतिद्वन्द्वी। अप्रकरणं (नपुं०) ०अप्रासंगिक, असम्बद्ध विषय, प्रधानता अप्रतिम (वि०) अतुलनीय, अनुपम, अप्रतिद्वन्द्वी। (जयो० का अभाव। १६/४४) अप्रकाश (वि०) प्रभाहीन, ०कान्तिहीन, आभा रहित, अप्रतिमा (स्त्री०) अतुलनीय, अनुपम 'रूपं सदेवाप्रतिमच्छवित्रं'। अन्धकार युक्त, तिमिराछन्न, ०अप्रकट। (जयो० १६/४४) 'न विद्यते प्रतिमा प्रतिरूपं यस्याः अप्रकृत (वि०) ० अप्रसंगिक, ०असम्बद्ध विषय, ०अप्रस्तुत, साऽप्रतिमा।' (जयो० वृ० १६/४४) ०अप्रकरण। अप्रतिरथ (वि०) अप्रतिद्वन्द्वी वीर, अनुपम योद्धा। अप्रगम (वि०) शीघ्रगामी, तीव्र गमनशील। अप्रतिरव (वि०) निर्विरोध, निर्विवाद। अप्रगल्भ (वि०) साहसहीन, लज्जालु। अप्रतिरूप (वि०) १. अयोग्य, अननुरूप, २. अनुपम रूप अप्रगुण (वि०) व्याकुल, आकुल, दुःखित। वाला। For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy