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अनुमानाभासः
अनुयोक्तृ
(जयो० १४/६४) किसी स्त्री ने वेग से-पति को जताए बिना ही पानी में डूबकी लगा ली। उसके अङ्गराग की सुगन्ध के लोभी भ्रमरों का समूह वहां मंडराने लगा। इस भ्रमर समूह के पति को अनायास ही अनुमान हो गया कि यह डूबी है। अत: यहां अनुमिति अलंकार है। नेत्रा स्वामिनाऽनुमितं ज्ञातमित्यनुमितिरलंकार। (जयो० वृ०
१४/६४) अनुमेय (वि०) ०अनुमान्य ०समादरणीय, दर्शनीय। (जयो०
१/३२) (जयो० २७/६१) लास्यं रसा सम्यजनानुमेयम्।
(जयो० १/३२) अनुमुद् (सक०) समर्थन करना, स्वीकृत करना ०अनुमोदन
करना। समायाता जिनस्यास्य प्रस्तावमनुमोदितुम्। (वीरो०
१०/२३) अनुमोदनं (नपुं०) [अनु+मुद्+ल्युट्] सहमति, स्वीकृति,
अनुमोदना, समर्थन, सम्मति। अनुमोदना (स्त्री०) प्रशंसा, गुणगान। सिद्धान्त में अधः कर्मदूषित ___ भोजन करने वाले साधु की प्रशंसा करना भी अनुमोदना
रहित था, फिर भी लोग 'कृष्णवा' (काले मार्ग वाला धूम) के बिना ही इसके प्रताप रूप अग्नि का अनुमान करते थे। कौतुकाशुगसुलास्य विधाने रङ्गभूमिरियमित्यनुमाने। (जयो० ५/६०) यह सुलोचना 'पुष्पक्षायक' कामदेव के शोभन नृत्य की रङ्गभूमि है, रङ्गमंच है, इस प्रकार अनुमान लगाने पर वहां सूत्रधार महेन्द्रदत्त नामक कञ्चकी ही कहा जाएगा। '०साधात्साध्यविज्ञानमनुमानम्'
(परीक्षमुख ३/१४) अनुमानाभासः (पुं०) पक्ष न होने पर पक्ष के समान प्रतीत
होने वाले अनिष्ट, सिद्ध या प्रत्यक्षादिवाधित साध्य युक्त
धर्मी से उत्पन्न होने वाले ज्ञान अनुमानाभास है। अनुमानित (वि०) अनुमेय, अनुमान किया जाने वाला।
अनुमानित दोष भी माना गया है। अनुमानालङ्कारः (पुं०) प्रत्यक्षाल्लिङ्गतो यत्र, कालत्रितप्रयर्तिनः
लिङ्गिनो भवति ज्ञानमनुमानं तदुच्यते। (महा० ४/१३७) जिस अलंकार में प्रत्यक्ष चिह्न या कारण से भूत भविष्यत्
और वर्तमान से होने वाली सादृश्य वस्तु का बोध होता है। (जयो० ६/८०) जिसमें गुरु के अभिप्राय या उपाय से ज्ञात्व की आलोचना की जाती है। आजिषु तत्करवलैर्हय-क्षुर-क्षोदितासु संपतितम्। वंशान्मुक्तावबीज पल्लवितोऽभूद्यशोदुरितः।। (जयो० ६/८०) । घोड़ों के खुरों से खोदी गई युद्धस्थल की भूमियों में इस राजा के करवालों द्वारा हाथियों के कुम्भस्थलों से मोती रूप बीज गिर पड़ा, इसी कारण यहां इस राजा का
यशरूपी वृक्ष खड़ा हुआ पल्लवित हो रहा है। अनुमान्य (वि०) समादरणीय, अनुमेय। 'मुने : सदा
न्यायपथानुमान्या' (जयो० २७/६१) "अनुमानविषयाऽनुमेया
भवति।" (जयो० वृ० २७/६१) अनुमितं (नपुं०) अनुमान। (जयो० १४/६४) अवश्यम्भावी
(वीरो० १७/३) अनुमितिः (स्त्री०) अनुमान ज्ञान। (वीरो० २०/१६) सा
चेदसत्याऽनुमितिः कथम्। (वीरो० २०/१६) कार्य-कारण के अविनाभावी सम्बन्ध के स्मरण पूर्वक तो अनुमान ज्ञान उत्पन्न होता है। यदि ऐसा कहो तो अनुमान ज्ञान भी
अवस्तु है।अप्रमाण रूप है। अनुमिति-अलंकारः (पुं०) अनुमानालङ्कार (जयो० १४/६४)
निमज्जिताया जले जवेन नेत्रानुमितं मुखं सुखेन। तदङ्ग राग-गन्ध-लुब्धेन सम्पतता रोलम्बकुलेन।।
अनुया (अक०) [अनु+या] अनुभव करना, प्राप्त होना।
(सम्य० २१) जानना, समझना, अनुचिन्तन करना। अनुययौ (जयो० १९/४) अनुयान्ति (मुक्ति ५) वर्णभावमनुयान्तु
सुतायामित्यभूत। (जयो० ५/३५) अनुयान्तु प्राप्नुवन्तु। अनुयाजः (पुं०) [अनु+यज्+घञ्] अनुष्ठान करना, यज्ञ
करना, अनुयोग। अनुयातृ (पुं०) [अनु+या+तृज] अनुगामी अनुगमनशील। अनुयात्रं (नपुं०) [अनु+यातृ+अण] परिजन, अनुचरवर्ग,
अनुसरण। अनुयानं (नपुं०) अनुसरण, अनुगमन। अनुयायिन् (वि०) [अनु+या+णिनि] अनुगामी, सेवक, अनुवर्ती,
अनुचर। (वीरो० २२/१०) (दयो० ३१) अनुयायिनी (वि०) अनुसरणकर्ती। (जयो० २२/८२) अनुयुक्तः (स्त्री०) निरंकुश, निराधार। (सुद० १०३) (सम्य
१००) यदृच्छयाऽनुयुक्तापि न जातु फलिती नरि। (सुद०
१०३) अनुयुक्तिः (स्त्री०) आसक्ति, अनुरक्त। त्वच्छासनैकाशनकानुयुक्ती।
(जयो० २६/१००) अनयोक्त (पं०) [अन+यज+तच] ०परीक्षक, जिज्ञास,
०अध्यापक, नियोक्ता, निर्देशक।
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