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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुतापरत ४८ अनुनीत अनुतापरत (वि०) संतापजन्य, दु:खजन्य। (जयो० ९/४३) अनुद्दिष्टां चरेद्भुक्तिं यावन्मुक्तिं न सम्भवेत्। अनुतिलम् (अव्य०) सूक्ष्मता से, कण कण करके। स्वाचारसिद्धये यस्य, न चित्तं लोकवर्त्मनि।। (सुद० वृ० १३२) अनुतिष्ठ (वि०) स्थित रहने वाले। (भक्ति०१४) अनुद्धत (वि०) अहंकार शून्य, मार्दव युक्त। अनु-तुप् (सम०) संतुष्ट करना, प्रसन्न करना। (जयो० २/७२) अनुद्भट (वि०) विनीत, सौम्य। अनुतेजस् (पुं०) निजप्रभाव, अपना यश। (जयो० ६/२३) अनद्रुत (वि०) [अनु+द्रु+क्त] अनुगत, पीछा किया गया। तनुतेऽनुतेजसा स्वां। (जयो० ६/२३) अनुधाव (अक०) अनुसरण करना, पीछे जाना। (जयो० अनुत्क (वि०) खेदयुक्त। ०दु:खी, मानसिक पीड़ा युक्त। १/४४) अनुत्कृष्ट (वि०) उत्कृष्टता रहित, वेदना जन्य। सिद्धान्त की अनुधावनं (नपुं०) अनुसरण, [अनु+धाव्+ ल्युट] पीछे जाना, दृष्टि से आयु की द्रव्यवेदना भी 'अनुत्कृष्ट' कही जाती भागना। (जयो० १/४४) अनुध्या (सक०) [अनु+ध्या] विचार करना, मनन करना, चिन्तन अनुत्तम (वि०) अनुपम, सर्वोत्कृष्ट। करना, स्मरण करना। निरीहत्वमनुध्यायेद्यथाशम्त्यर्तिहानये। अनुत्तर (वि०) प्रमुख, प्रधान, सर्वोत्कृष्ट, अनुपम, उत्तर देने (सुद० १२५) ... में असमर्थ, अद्वितीय। नात्स्युत्तरो अनुत्तरः। (जयो०५/१२) अनुध्यानं (नपुं०) [अनु+ध्या+ल्युट] विचार, चिन्तन, मनन, अनुत्तरमानी (वि०) अद्वितीय मान धारक। नास्त्युत्तरो मानः स्मरण। स्मयोः यस्मात् सोऽनुत्तरमानी। (जयो० वृ० ५/१२) अनुनयः (पुं०) [अनु+नी+अच्] वाक्य परम्परा, ०शालीनता, अनुत्तरंग (वि०) स्थिर, अनुद्वेलित, अविक्षुब्ध। ०व्याकुलता ०शिष्टता, नम्रनिवेदन, ०आमन्त्रण, प्रार्थना, विनय, रहित, प्रशान्त, सुखी। ०पूजन। नित्यमित्यनुनयप्रयच्छने। (जयो० २/१९६) अनुत्तरलोकः (पुं०) अनुपम लोक (वीरो० १८/१६) पुनरनुनयोऽपि विनयोऽपि। (जयो० वृ० ४/१८) तनयां अनुत्थानं (नपुं०) प्रयत्न, प्रयास। विनयाश्रयां ममाथानुनयाख्यानकरीति रीति:-गाथा। (जयो० अनुत्सूत्र (वि०) नियमित। ०क्रमबद्ध, सूत्रागामी, पारम्परिक। १२/५०) अननुयं नयानुसारं देशकालानुसारो अनुत्सेकः (पुं०) सरल, क्षमाशील। उत्सेको गर्वः तस्य विजितः। वचनपद्धतिप्रकारो नयस्तुदनुसारम्। (जयो० वृ० १७/९०) अनुदध् (अक०) धारण करना, पास रखना, पकड़ना। । अनुनयन् (वि०) अनुकूलां कुर्वन्निव, अनुकूल करते हुए। (तुल्यतामनुदधाति तस्य) (जयो० ४/५९) (जयो० ३/१००) अनुदयात्मक (वि०) दोष कारकता विहीन नहीं, दया दृष्टि अनुवादः (पुं०) [अनु+वद्+घञ्] ०प्रतिपादन, प्रति कथन, रहित नहीं। दया जन्य, कृपा दृष्टि करने वाला। सम्यक्त्वे अनुकथन, प्रतिध्वनि, कोलाहल, शब्द। ०अर्थ प्रतिपादन, स कुतोन्यायाज्ज्ञाने वाऽनुदयात्मके। (सम्य० वृ० १२१) शब्दार्थ का विवेचन, भाषान्तरण। अनुदर (वि०) पतली कमर वाला, कृश, दुबला, क्षीण। अनुनायक (वि०) [अनु+नी+ण्वुल] विनम्र, सुशील, विनीत। अनदुरि (स्त्री०) कृशोदरि (वीरो० ४/३२) स्वप्नावलि त्वनुदरि अनुनायिक (वि०) [अनु+नय+ठक्] अनुचरिक, अनुसारिक, प्रतिभासि धन्या। (वीरो० ४/३२) अनुचारी। अनुदार (वि०) कंजूस, उदारता रहित, अपरोपकारी, स्वार्थी। अनुनासिक (वि०) [अनु+नासा+ठ] नासिका से उच्चरित, अनुदिनं (मव्य०) प्रतिदिन। (जयो० वृ० १२/४६) नासिक्य। अनुदेश: (पुं०) [अनु+दिश्घञ्] संकेत, नियम, निर्देश, अनुनिर्देश (पुं०) [अनु+नि+दिश्+घञ्] पूववर्ती क्रम से आदेश। वर्णन, क्रमानुसार वर्णन। अनुद्विग्नत्व (वि०) अक्षोभ, क्षुब्ध नहीं होने वाला। (जयो० | अनुनीत (वि०) साधित, सिद्ध किया गया। स्वीयनवृ० १/४९) प्रशान्त, सहनशील।। भोगजनुष्वनुनीता विद्या अद्यागत्य विनीता। (जयो० २३/७९) अनुद्दिष्ट (वि०) संयम विधि का साधक गुण, उद्दिष्ट त्याग। | अनुनीत (वि०) समीपागत, समीपप्राप्ता जयस्य मुखचन्द्रमनुनीतः। अनुदिष्ट आहार, अपने लिए बनाए गए भोजन का त्यागी। (जयो० ६/२२) मुखमेव चन्द्र आहलादकत्वात्। तमनुसमीप (सुद० वृ० १३२) (वीरो० १८/२५) नीतः प्रापितो ननु। (जयो०६/१२२) For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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