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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुग्रहपोषक अनुतापः अनुग्रहपोषक (वि०) उपकारक, अनुकंपा को स्वीकार अनुच्छादः (पुं०) [अनु+छद्+णिच्+घञ्] पल्ला लटकना। करने वाला। अनुच्छित्तिः (स्त्री०) [अनु+छिद्+क्तिन्] कट कर अलग न अनुग्रहपोषी (वि०) अनुग्रह को पुष्प करने वाला। उपकार होना, नाश न होना, अनष्टगत। पुष्टीकर्ता। (जयो० १२/१८) त्वमनुग्रहं पुष्णासीत्यनुग्रहपोषी। अनुच्छेदः (पुं०) [अनु+छिद्+घञ्] पैरा, अंग, भाग। ०अंश, (जयो० वृ. १२/१८) विशेषानुग्रहपोषकोऽसीत्यर्थः। हिस्सा। अनुगृहीत (वि०) कृपा दृष्टि। (दयो० ५५) अनुच्छिष्ट (वि०) अनन्यमुक्त। श्रीमाननुच्छिष्ट भुजामिवाद्यः। अनुग्राह्य (वि०) अनुग्रह करने वाला। (जयो० १९/१) अनुचर् (अक०) [अनु+चर्] ०काम लेना, स्वीकार करना। अनुज (वि०) [अनु+जन्+ड] छोटा भाई, वाद में उत्पन्न, ०अनुशरण करना, ०अनुगमन करना। (मुनि० ३०) पीछे जन्मा। (समु० ४/२१) श्रूयतां श्रवणयोरनुजेन, न उद्दण्डाशनकारितामनु चरेन्नित्यं। (मुनि० ३०) श्रुतं च भवतामनुजेन। (जयो० ४/२) नानुजेन भवतः योग्यतामनुचेरन्महामतिः। (जयो० २/५१) जनो पिताजितः। (जयो० ७/६७) स केवलेन अनुजेन बाहुबलिना योग्यतामनुचरेत् स्वीकुयाद्। (जयो० वृ० २/५१) न जितः किमु, अपि तु जित एवेत्यर्थः। (जयो० वृ० अनुचरः (पुं०) [अनु+च+ट] ०सहगामी, सेवक, भृतिक, ७/६७) आज्ञाकारी, ०अनुगामी। भोगा भुवीहानुचरा न भोगा। अनुजा (स्त्री०) [अनु+जन्+टाप्] छोटी बहिन। (जयो० ९) (भक्ति०४) अनुजान् (सक०) समझना, मानना, कहना। घटकं तु विधिं अनुचरी (स्त्री०) सेविका, सहकारिणी, दासी। तयोः सतो रनुजानामि वरं विचारिणाम्। जडमित्यनुजानता अनुचाटुवचस् (नपुं०) [अनु+चाटु+वच्+असुन्] मीठी मीठी वचः शुचि तावद्धरणौ विरागिणाम्।। (जयो० १०/७७, बात, मधुर मधुरवचन। (समु० ३/४२) संक्रीडके जयो० ४/३४) परमतांश्रितामाशङ्कामनुजग्राह। (जयो० तमनुचाटुवचः प्रभावात् (समु० ३/४२) १०/७७) समुन्नतं नक्रमिवानुजाने। (सुद० १/२४) अनुचारकः (पुं०) [अनु+च+ण्वुल्] अनुचर, सेवक, सहगामी। अनुजायता (वि०) स्मरणता, अनुष्ठीयता। (जयो० २/३६) अनुचारिणी (स्त्री०) आज्ञाकारिणी, सेविका। (सुद० ८९) अनुजायमान (वि०) उत्पद्यमान। (सम्य० १२३) अनुचित (वि०) अनुपयुक्त, अयोग्य, गलत। न क्षेमपृच्छाऽनुचितास्तु अनुजीविन् (वि०) अनुचर, सेवक, आज्ञाकारी। परजीवि, सापि। (जयो०३/२६) अहो किलोचितानुचितविकलेनानेन। पराश्रित। (जयो० ९) दुर्लभं नरजन्मापि, नीतं विषयसेवया। चिन्तारत्नं समुत्क्षिप्तं | अनुजीविजनः (g०) अनुचर लोग, सेवकजन। आश्रित लोग। काकोड्डायनहेतवे। (दयो० वृ० १०१) किमनौमिचत्यमत्र। (जयो० १० (दयो० वृ० ८१) यहां 'अनुचित' को 'अनौचित्य' भी । अनुज्ञा (स्त्री०) ०अनुमति, स्वीकृति, ०आज्ञा, ०सहमति। दिया है। | 'पित्रोरनुज्ञामनुवर्तमाना।' अन्य की अनुमोदना (समु०८/४) अनुचित-क्रियत्व (वि०) अनुपयुक्त क्रिया वाला, अयोग्य अनुज्ञानम् (नपुं०) [अनु+ज्ञा+ल्युट्] आज्ञा, आदेश, अनुमति, क्रिया वाला। (वीरो० १६/१५) | स्वीकृति। अनुचिंतनं (नपुं०) विचारणा, सोचना, पुनः पुनः चिंतन। अनुज्ञात (वि०) अपरिचित, अनभिज्ञ। (जयो० वृ० ३/२१) (अनु+चिंत्+अ+ल्युट्) अनुज्ञापक (वि०) [अनु+ज्ञा+णिच्+ण्वुल्] आज्ञा देने वाला, अनुचिन्तना (स्त्री०) विचारणा, सोचना। (जयो० वृ० १३/४७) आदेश देने वाला। अनुचिन्ता (स्त्री०) याद करना, स्मरण करना, चिन्तन | अनुज्ञापनम् (नपुं०) [अनु+ज्ञा+णिच्+ल्युट्] ०आज्ञा ज्ञापित करना, निरन्तर सोचना। करना, ०आदेश देना। अनुचिन्तय् (अक०) ०सोचना, विचारना, ०ध्यान देना, अनुतर्षः (पुं०) [अनु+तृष्+घञ्] प्यास, कामना, इच्छा, मद्य। अवलोकन करना। विवराणि भुवोऽनुचिन्तयन्निव दृष्टिं। । अनुतप्प (वि०) संताप युक्त, दुःख युक्त। (जयो० ९/४३) (जयो० १३/४३) उक्त पंक्ति में अनुचिन्तमन् का अर्थ अनुतापः (पुं०) [अनु+तप्+घञ्] पश्चाताप, संताप, पीड़ा, अवलोकन है। दु:ख। (जयो० ९/४) For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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