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अनुकूल
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अनुग्रहणं
(जयो० ११/४९) उक्त पंक्ति में 'अनुकूल' का अर्थ सहज सहायक किया है। यत्: किलानुकूले सहजसहायके।
(जयो० वृ० ११/४९) अनुकूल (अव्य०) [अनु+कूल्] ०अनुकूल होना, कृपापूर्ण
होना, ०अभिमत होना, मनोवाञ्छित होना। तानि तावदनुकूलयन् बलात्। (जयो० २/१९) अनुकूलयन्
स्वहितान्याचरन् यात्। (जयो० वृ० २/१९) अनुकूलक (वि०) स्वाभीष्ट, अपने योग्य। स्त्रियस्त्यक्त्वाऽनु__ कूलकम्। (जयो० २/१४९) अनुकूलकर (वि०) अनुसार चलने वाले। आदिश त्वद्नुकूल
कराय। (समु० ५/२) अनुकूलचेता (वि०) अनुकूल चित्त वाला। सम्भावयन्नित्यनु--
कूलचेता। (वीरो० १८/३४) अनुकूलचेष्टावती (वि०) प्रकृत्यानुसारी। (वीरो०३/३३) अनुकूलपतिः (पुं०) मनोनुकूलपति। (जयो० वृ० ३/६५) अनुकूलसाधनं (नपुं) योग्य साधन, अभीष्ट साधन।
(जयो० २०/८९) . अनुकूला (वि०) सादृशी, मनोवाञ्छिता। (जयो० १/३८) अनुकलाचरणं (नपुं०) योग्य-व्यवहार, उचित आचरण। (दयो०
४२) अनुकूल्यार्थ (वि०) अनुकूलता के लिए। (जयो० वृ० २/५०) अनुकृ (सक०) [अनु+कृ] अनुकरण करना, अनुसरण करना।
(हित वृ० ९) अनुकुर्वाणा। गिरेत्यमृतसारिण्या श्रीवनञ्चानुकुर्वतः। (जयो० १/८८) तदनुकर्तुममुष्य किलाक्षिकम्। (जयो० ७/१९) निर्जगाम नृपनाथतनूजा स्त्री न यामनुकरोति तु भूजा। (जयो० ५/५८) अनुरोति।
(सम्य० ६४) अनुक्रमः (पुं०) [अनु क्रम्+अच्] उत्तराधिकार, क्रम,
क्रमबद्धता, विषयतालिका, विषयसूची। अनुक्रमणं (नपुं०) [अनु+क्रम्+ ल्युट्] अनुगमन, अनुशरण,
क्रमवद्धानुसार, क्रमगमन। अनुक्रिया (स्त्री०) अनुकरण, अनुशरण। अनुक्रोश: (पुं०) [अनु+कृश्+घञ्] दया, करुणा, दयालुता। अनुक्षणम् (अव्य०) प्रतिक्षण, निरन्तर, सदैव, बार बार,
पुनःपुनः। (जयो० १०/५९) श्रिया सम्बर्धमानन्तभनुक्षणमपि
प्रभुम्। (वीरो०८/७) अनुक्षेत्रं (नपुं०) क्षेत्रानुसार। अनुख्यातिः (स्त्री०) [अनु+ख्या+क्तिन्] विवरण देना, प्रकट
करना, प्ररूपणा, निरूपणा।
अनुग (वि०) [अनु+गम्+ड] पीछे चलना, गतानुगतिक,
अनुचारी। अनुगः (पुं०) अनुचर, सेवक, आज्ञापालक। अनुगत (वि०) प्राप्त, समागत, आगत। (वीरो० २१/२१)
सादृशऽनुगत मानवमाला। (जयो० ५/३१) अनुगत्व (वि०) समागत, प्राप्त हुआ। (सम्य० ७८) अनुगतिः (स्त्री०) [अनु+गम्+क्तिन्] अनुचरी, गतानुगतिक,
पीछे चलने वाला, अनुकरण करने वाला। अनुगतात्मवस्तुं (नपुं०) ०अनुशरणशील ०वस्तु, ०अनुकूल
आचरण समागत पदार्थ। (वीरो० १८/३५) घृत्वाऽखिलेभ्यो
मृदुवाक् समस्तु सूक्तामृतेनानुगतात्मवस्तु। (वीरो० १८/३५) अनुगुण (वि०) समान गुण रखने वाला, दूसरे के गुण
सदृश, ०अनुकूल, उपयुक्त, रुचिकर, ०अनुरूप। (सुद०
४/४७) अनुगम् (अनु+गम्) अनुगमन करना, जाना, पीछे-पीछे चलना,
(जयो० २४/१००) अनुगच्छतोर्निम्ननिबद्धगाथा। (जयो०
२४/१००) अनुगामिन् (वि०) अनुयायी, सहचर, सहगामी। (जयो० वृ०
४/२९) अनुगामिनी (वि०) आज्ञाकारी, आज्ञानुसारिणी। पत्नी
तदेकनामाऽभूत्तस्यच्छन्दोऽनुगामिनी। (दयो० १/१३) रुचिरम्बुमुचोऽनुगामिनी। (समु० २/१२) उक्त पंक्ति में
'अनुगामिनी' का अर्थ पीछे-पीछे होने वाली है। अनुग्रहः (पुं०) [अनु+ग्रह+अप्] प्रसाद, कृपा, दया, अनुग्रह,
उपकार। (जयो० २/६७) (जयो० वृ० १/८७) गुत्तोर्महानुग्रह एव हेतुः। (समु० १/६) तेषां गुरुणां सदनुग्रहोऽपि कवित्वशक्तौ मम विघ्नलोपी। (वीरो० १/६) स्व
परोपकारोऽनुग्रहः (स०सि०७/३२) अनुग्रह (सक०) [अनु+ग्रह+अच्] अनुग्रह करना, कृपा
करना, उपकार करना। क्षणमनुजग्राह च देवतागण: (वीरो० ७/२४) चेतोऽनुगृह्णाति जनस्य चेतो। (वीरो० १/२७) किन्नानुगृह्णाति जगज्जनोऽपि। (वीरो० २०/१३) न तेऽनुगृह्णन्तु किमीश्वराः सुराः। (जयो० २०/५८) परमप्युगृह्णीयादात्म्ने।
(सुद० ४/४४) अनुग्रहकारिन् (वि०) अनुकारिन्, ०उपकारक, ०अनुकंपक
०अनुग्रहक। (जयो० वृ० २४/१५) कृपा दृष्टि वाला। अनुग्रहणं (नपुं०) अनुग्रह, उपकार, कृपा। अनुग्रहणं कृपा
विना। (जयो० ९/१४)
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