________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अध्ययन-काल:
३५
अध्रुवत्व
गुरु।
अध्ययन के लिए पुस्तक को सदा हाथ में धारण करती गुरु, शिक्षक, पढ़ाने वाला। अर्हन्नथो सिद्ध इतो गणेश हुई चली आ रही हैं।
श्चाध्यापकः साधुरनन्यवेशः। (भक्ति०१७) अध्ययन-कालः (पुं०) स्वाध्याय का समय, पठन का काल। अध्यापनं (नपुं०) [अधि+इ+णिच् ल्युट्] शिक्षण, सिखाना, अध्ययन-गत (वि०) अध्ययन/पठन को प्राप्त।
पढ़ाना, वेदमति। (जयो० वृ० ४/५७) अध्ययन-पदं (नपुं०) अध्ययन योग्य पद।
अध्यापयितु (पुं०) [अधि+इ+णिच्+तृच्] अध्यापक, शिक्षक, अध्ययनप्रतिष्ठा (स्त्री०) पठन की प्रतिष्ठा, स्वाध्याय की स्थापना। (जयो० १८/४६)
अध्यायः (पुं०) अध्ययन, चिन्तन। (दयो० २४) अध्याय को अध्ययन-रत (वि०) पढ़ने में तल्लीन, स्वाध्यायरत।
सर्ग, खण्ड, पाठ, उच्छवास, भाग, अंश, हिस्सा, व्याख्यान अध्ययन-शील (वि०) पढ़ने वाला, स्वाध्याय करने वाला, आदि भी कहते हैं। ज्ञानेच्छुक।
अध्यायिन् (वि०) [अधि+णिनि] अध्ययनशील, पढ़ने वाला। अध्ययन-समय (नपुं०) स्वाध्याय का समय, पठनकाल। अध्यारूढ़ (वि०) [अधि+आ+रूह+क्त] १. आरूढ़, सवार, (दयो० १/१०)
स्थित हुआ, ऊपर स्थित। २. ऊँचा, श्रेष्ठ, निम्नतर। अध्यर्ध (वि०) [अधिकमर्थं यस्य] जिसके पास अतिरिक्त अध्यारोपः (पुं०) [अधि+आ+रूह्+णिच्+पुक्+घञ्] उठना, आधा हो।
खड़े होना। मिथ्या या निराधार कल्पना दार्शनिक दृष्टि से अध्यवसानं (नपुं०) [अधि+अव+सो ल्युट्] प्रयत्न, ०बुद्धि इस शब्द का अर्थ है एक वस्तु को अन्यवस्तु समझना, व्यवसाय, ०अध्ययवसान, ०मति, विज्ञान, चित्त, ०भाव, भ्रम पैदा होना, भ्रान्तिपूर्ण विचार होना।
परिणाम, ०दृढ़ निश्चय, ०एक दार्शनिक विचार, जो अध्यारोपणं (नपुं०) [अधि+आ+रूणिच् पुक्+ल्युट्] बीज प्रकृत और अप्रकृत दोनों वस्तुओं को एक रूप करें। बोना, उठना।
अतिशयोक्ति अलंकार पर आश्रित। अज्ञान, अदर्शन अध्याश्रित (वि०) उपढौकित, प्राप्त हुई। कौतुकेन महता और अचारित्र भी अध्यवसान है।
मुहुरध्याता। (जयो० २२/४४) (अध्याश्रिता उपढौकिता) अध्यवसाय: (पुं०) [अधि+अव+सो+घञ्] प्रयत्न, ०दृढ़ निश्चय, जयो० वृ० २२/४४।
प्रयास, संकल्प, धैर्य, उद्यम, परिश्रम, कोशिश। अध्यासः (पुं०) १. मिथ्या आरोप, मिथ्या ज्ञान। २. स्व-पर के अध्यवसायिन् (वि०) [अधि+अव+सो+णिनि] प्रत्यनवान्, एकत्व का अध्यास। ३. कुचलना, समाप्त करना। दृढ़शील, प्रयासरत, संकल्पयुक्त।
अध्यासनं (नपुं०) [अधि+आस ल्युट्] प्रधानता देना, स्थित अध्यशनं (नपुं०) [अधि+अश्+ल्युट] अधिक खाना।
होना, ऊपर बैठना। अध्यात्म (वि.) [आत्मनः संवद्धम्] ०आत्मा या व्यक्ति से | अध्याहारः (पुं०) [अधि+आ+हु+घञ्] ०अनुमान करना,
सम्बन्ध रखने वाला। शुद्धात्म में अनुष्ठान् की प्रवृत्ति, तर्क करना, कल्पना करना, ०अनुमान लगाना। दार्शनिक
शुद्धात्म में विशुद्धता का आचरण, ०अनुकूल पदों का जगत् में जो वस्तु स्थिति को स्पष्ट करने के लिए कई व्याख्यान, आत्म के आश्रय का निरूपण।
प्रकार की कल्पनाएं की जाती हैं अनुमान या तर्क आदि अध्यात्मज्ञानं (नपुं०) आत्म ज्ञान।
प्रस्तुत किए जाते हैं, वे 'अध्याहार' कहलाते हैं। अध्यात्मरूचि (स्त्री०) आत्मरूचि।
अध्याहरणं (नपुं०) [अधि+आस्+ल्युट्] तर्क करना, अनुमान अध्यात्मविद्या (स्त्री०) आत्मानुभवशास्त्रवृत्त, ग्रन्थ नाम। (जयो० लगाना। १०/११८)
अध्युष्ट्रः (पुं०) [अधिगत: उष्ट्रं वाहनत्वेन] ऊँट गाड़ी। अध्यात्मश्रुतिः (स्त्री०) आत्मानशासक की दृष्टि। आत्मख्याति- अध्यूढः (पुं०) [अधि+व+क्त] उठा हुआ, उन्नत, उच्च। नमिका। (जयो० ५/५१)
अध्येषणं (नपुं०) [अधि+इष्+ ल्युट्] प्रेरणा। अध्यात्मिकः (वि०) अध्यात्म से सम्बन्ध रखने वाला। अध्यषणा (स्त्री०) सत्कार पूर्वक व्यापार। अध्यापकः (पु०) [अधि+इ+णिच्+ण्वुल्] उपाध्याय, अध्रुव (वि०) अनित्य, अविनश्वर।
०पञ्चपरमेष्ठियों में चतुर्थ परमेष्ठी, परमपद में स्थित। अधुवत्व (वि०) अनित्यत्व, अविनश्वर, अनिश्चित, अस्थिर,
For Private and Personal Use Only