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अधीन
अध्ययन
०अनुचिंतन, आगम। (जयो० २३/४७, सुद० ८२, सम्य० (सुद० ७९) अब कहां। ममाधुना निर्वृतिरेव योग्या। (सुद० ११७/७४)
पं०१११) अधीन (वि०) [अधिगतम् इनम् प्रभुम्] आश्रित, निर्भर। | अधुना तु (अव्य०) इस समय तो। (सुद० ३/४०) क्षिप्ताऽसि (समु० ९/७) अनेकान्तमताधीनोऽप्येकान्तम्।
विक्षिप्त इवाधुना तु। (सुद० ३/४०) अधीनस्थ (वि०) आश्रित रहने वाला। (वीरो० १७/१६) अधुनात्र (अव्य०) [अधुना+अत्र] अब यहां, इस समय यहां।
निराकुलभावेनाधीति: समध्ययनम्। (जयो० वृ० २३/४७) (जयो० ४/६१) तापमधुनात्र दिनेश:। (जयो० ४/६१) अधीयानः (व०कृ०) [अधि+इ+शानच] विद्यार्थी, पाठक, | अधुनातन (वि०) [अधुना+ट्युल्] आधुनिक, वर्तमान काल ०अध्ययनशील। ग्रन्थ पुनरधीयानो। (समु० ९/७)
से सम्बंधित। अधीयानः (व०कृ०) आश्रित, आधीन। भाग्यतमस्तमधीयानो अधोगत (वि०) विकृष्ट, निम्नगत। (सुद० १/३०) नीचे की विषयानुयाति यः। (सुद० वृ० ८२)
ओर अधीर (वि०) ०उत्तेजित, उद् विग्न, ०व्याकुल, अस्थिर, अधोगतिः (पुं०) निम्नगति (वीरो० १६/१४)
० धैर्यहीन, चपल, निराश, धीरतारहित। (जयो० ८/५१) अधोविधानम् (नपुं०) निम्न गति (वीरो० १६/१४) सम्भोगमन्तः स्मृतवानधीरः। (जयो० ८/५१) अधीरो अधोजटी (वि०) [अधो गच्छति जटा यत्र] नीचे की ओर धीरतारहितोऽपरः। (जयो० वृ० ८/५१) ।
जड़ वाली। (जयो० १४/६) अधीरता (वि०) चञ्चलता, चपलता। विषयोपभोग-सङ्घर्षे | अधोभागः (पुं०) निम्नभाग, निचला हिस्सा। (जयो० ७० अधीरतया चञ्चलतया। (जयो० वृ०७/११४)
१३/७) अधीर-दृष्टिः (स्त्री०) चञ्चल दृष्टि, चपल दृष्टि। (जयो० | अधोमुखं (नपुं०) झुका मुख, नम्र मुख। (जयो० १६/५३)
५/८५) अधीरा चञ्चला दृष्टिर्यस्यास्तस्याम्। (जयो० वृ० अधोवस्त्रं (नपुं०) परिधान (जयो० १५/१००) ५/८५)
अधुवत्व (वि०) अनित्यत्व, अविनश्वर। (जयो० २३/८४) अधीरा (स्त्री०) चञ्चला, चपला, सनकी, कलहप्रिया। अधृतिः (स्त्री०) [नञ्+धृ+क्तिन्] असंयम, धैर्याभाव। (जयो० वृ० ५/८५)
अधृष्टय (वि०) अजेय, दुर्घर्ष, अनभिगम्य। अधीशः (पुं०) नरनाथ, नरपति, ०अधिपति, राजा, स्वामी। अध्यक्ष (वि०) [अधिगतम्+अक्षम् इंद्रियम्] अक्ष्णोति व्याप्नोति
तदधीशाज्ञयाऽऽयातः। (जयो० ३/३१) अधीशस्य नरनाथ- इति अध्यक्षः। ०प्रमुख, ०अधिष्ठाता। प्रत्यक्ष (वीरो० स्याज्ञया शासनेन अहमायातोऽस्मि। (जयो० वृ० ३/३१) २०/१८) अधीश: स्वामी। (जयो० वृ० ४/५१)
अध्यग्नि (अव्य०) विवाह संस्कार की अग्नि के निकट, अग्नि अधीश्वरः (पुं०) ०स्वामी, नरनाथ, ०अधिपति, प्रभु, राजा। साक्षी।
श्रीधरोऽधीश्वरो यस्याः । (जयो० ३/३०) समु० ३/१८ अध्यधि (अव्य०) [अधि+अधि] ऊपर, ऊँचे, उच्च। (जयो० १२/२४) अधीश्वरः स्वामी (जयो० वृ० ३/३०) अध्यधिक्षेपः (पुं०) दुर्वचन, कुत्सित वाणी, अपशब्द। सम्बभूव च सुलक्षणिकाऽस्याधीश्वरस्य शुचिरधिमभृदास्या। अध्यधीन (वि.) वशीभूत, आधीन, पूर्ण आश्रित। (समु० ३/१८)
अध्ययः (पुं०) [अधि+इ+अच्] ज्ञान, अध्ययन, स्मरण, अधीष्ट (वि०) [अधि+इष्+क्त] प्रार्थित, सत्कारित, सम्मानित। अध्याय। अभीष्टः (पुं०) कर्त्तव्य, पद। ०इच्छित।, उचित।
अध्ययनं [अधि+इ+ल्युट] ०सीखना, जानना, ०पढ़ना, अधुना (अव्य०) अब, इस समय, साम्प्रतम्। यौवनेनाधुनाऽञ्चिता। स्वाध्याय, पठन। (सम्य ९४) अधीति। (हित०सं० १७,
(जयो० ३/५९, सम्य० १४८/९७) अधुना पुनयौवनेने जयो० १८४६) तस्यैवाऽध्ययन तथा यतिपते: स्वाध्याय अञ्चिता। (जयो० वृ०३/५९) अधुना साम्प्रतमानन्दवारिधिः। संज्ञं धनम्। (मुनि०२१) सूक्तों/सुभाषितों का चिन्तन या (जयो० वृ० १/१०२) भक्तोऽधुना समगच्छतोपसम्मति। अध्ययन मुनिराजों का स्वाध्याय है। परमागम-पारगामिना (जयो० २/१५८) यहां 'अधुना' का अर्थ पश्चात्, फिर विजिता स्यां न कदाचनाऽमुना। स्म दधाति सुपुस्तकं सक्ष भी है। पश्चात् आज्ञा पाकर घर लौट गया। अधुना कुतः सविशेषाध्ययनाय शारदा।। (सुद० ३/३१) शारदा विशेष
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