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अधिनाथ:
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अधीतिः
अधिनाथः (पुं०) स्वामी, परमेश्वर। (जयो० ८/७) अधिपः (पुं०) [अधि+पा+क] अधिपति (सम्य० १००)
नरपति, राजा, स्वामी, नायक, शासक, प्रभु प्रधान, ०सम्राट्। अधिपस्य बभौ तनूदरी। (सुद० ३/३) अधिपतिः (पुं०) [अधि+पा+इति] ०नरपति, राजा, प्रभु,
शासक, नायक, प्रधान स्वामी। यथाऽधिपतिरेष विशां स्वदृशा तथा। (सुद० २/४९) फुल्लल्यलङ्गाधिपति। (जयो०
१८८१) अधिपत्नी (स्त्री०) शासिका, स्वामिनी। अधिपायमानः (वि०) अधिपति बनाते हुए। द्वीपेषु ।
सर्वेष्वधिपायमानः। (सुद० १/११) । अधिपा (वि०) नीतिविद्। (जयो० १५/७८) अधिपुः (पुं०) स्वामी, प्रभु, परमेश्वर। अधिपोदः (पुं०) सूर्योदय (जयो० १९/१) अधिभूः (वि०) स्वामी, प्रभु, परमेश्वर, नाथ। अभिभुव (वि०) बढ़ाने वाला। (सुद० ३/१४) वृद्धि को प्राप्त
हुए (वीरो० १८/४५) अधिभित्तिः (वि०) विभक्ति का आश्रय। अधिमात्र (वि०) [अधिका मात्रा यस्य] अपरिमित, अत्यधिक। अधिमासः (पुं०) अधिकमास, मलमास, लौंद का महिना। अधियज्ञः (पुं०) प्रधान यज्ञ। अधियोगः (पुं०) ध्यान विशेष ध्यानधिकृत्यम् (जयो० २७/३) अधिरथ (वि०) [अध्यारूढो रथं] रथारूढ़ सारथि, सूत। अधिराजः (पुं०) (अधि+राज्+क्विप्) परमशासक, सम्राट्र।
हस्तिपुराधिराजः। (जयो० १/५) अधिराज्यं (नपुं०) [अधिकृतं राज्यम्] साम्राज्य, सर्वोच्च
शासन। अधिरूढ (वि०) अधि+रूह ल्युट्। चढ़ना, सवार होना, बिठाना। अधिरूहू (सक०) बिठाना, स्थापित करना, आरूढ करना।
(जयो० १३/७) सुरथ स्वयमध्यरू रुहन्निति स प्रांशुतरं सुखाशयः। (जयो० १८/७) अध्यरूरुहत्। (जयो० वृ०
१३/७) अधिरोहणं (नपुं०) [अधि+रूह+ल्युट्] चढ़ना, सवार होना। अधिरोहिन् (वि०) [अधि+रूह्+णिनि] सवार होने वाला,
आरूढ़ होने वाला। अधिलोकम् (नपुं०) विश्व से सम्बंध रखने वाला। अधिवचनं (नपुं०) [अधि+व+ल्युट] पक्षसमर्थन, उपनाम,
अभिधान।
अधिवासः (पुं०) ०वासस्थान, निवास, संस्कार विशेष, ____ आवास। (जयो० ८/७) अधिवासनम् (नपुं) [अधि+वस्+णिच्+ल्युट्] सुगंध रखना,
सुरभि रखना। अधिवेशः (पुं०) अधिवेशन, समारोह। भो सुभद्र! भवतामधिवेशः।
(जयो० ४/३६) अधिवेशोऽधिवेशनम्। (जयो० वृ० ४/३६) अधिश्रयः (पुं०) [अधि+श्रि+अच्] आधार, आश्रय। अधिश्रयणं (नपुं०) [अधि+श्रि ल्युट्] गरम, उबालना। अधिश्रित (वि०) तत्पर, उद्यत, आश्रित। सम्यक्त्वसूर्योदय
भूभृतेऽहमधिश्रितोऽस्मि। (सम्यक्त्वसार श० पृ० १) अधिश्री (वि०) [अधिका श्रीर्यस्य] उच्च प्रतिष्ठा, उन्नत
लक्ष्मी। अधिष्ठ-शरीरम् (नपुं०) मृदुलशरीर, सुकुमार देह। (वीरो०
२१/२०) अधिष्ठान (नपुं०) [अधि+स्था ल्युट्] ०परिनिर्वाण, निवास
स्थान, आवास, आसन, नगर, पद, उपनिवेश। तमप्यधिष्ठानमहीधरं। (जयो० २४/३१) श्री नाभेयस्याधिष्ठान् महीधरं परिनिर्वाणस्थल। भगवान वृषभदेव
का निर्वाणस्थान। (जयो० वृ२०२४/३१) अधिष्ठात्रीदेवी (स्त्री०) ०इष्टदेवी। (मुनि०वृ० २) कुलदेदेवी,
०अधिदेवता। अधिष्ठित (वि०) [अधि+स्था+क्त] स्थित, विद्यमान,
अधिकृत, निदेशन, ०परिरक्षित, सुरक्षित, अधीक्षित। (सम्य ९३) परमार्थमधिष्ठितः (हित०सं० पृ० ५) अधि+स्था (अक०) बैठना, रहना, स्थित होना (वीरो० २२/५)
शिक्षा प्रदातुमधितिष्ठति सर्वकृत्वः (वीरो० २२/५) अधीट् (पुं०) स्वामी, नायक, प्रभु। (जयो० ७) अधीत (वि०) योग्य, पढ़ा लिखा। (सुद० १३५) स्तुताञ्जन
तयाऽधीतः। (सुद० १३५) अधीतारे-पढ़ी (अधीत) विशेष रूप से पढ़ी गई। 'प्रभवति
कथा परेण पथा रे युवते रते मयाऽधीतारे।। (सुद० पृ०
८८) अधीतिन् (वि०) [अधीत+इनि] अध्ययन की गई, पढ़ी गई,
रची गई। उपसकानामधीतिश्च। (जयो० २/४५) उपासकाध्ययन का अध्ययन करें। अधीतिबोधाऽऽचरणप्रचारैश्चतुर्दशत्वम्। विद्या विशद रूप अधीति/ ०अध्ययन, बोध/ज्ञान, आचरण और प्रचार के द्वारा चतुर्दशत्व को
प्राप्त हुई। अधीतिः (स्त्री०) ०अध्ययन, अनुशीलन। स्मरण, प्रत्यास्मरण,
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