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अधिकारकः
अधिधान्यं
अधिकारकः (पुं०) स्वामी, नायक, पालक। (जयो० १०/५६) १/५५) चन्द्रमा बार-बार पहुंचने के लिए तत्पर रहता गुणकृष्ट इवाधिकारकः। (जयो० १०/५६)
था। अधिगच्छेत्तदा तदास्य तुल्यता। (जयो० वृ० १/५५) अधिकारिन् (वि०) [अधिकार+णिनि] शक्ति सम्पन्न, सत्ता तन्निर्जरत्वमधिगन्तुमपीत: (जयो० ४/५२) निर्जरपन प्राप्त युक्त, स्वामित्व संयुक्त।
करने के लिए प्रयत्नशील है। अधिगन्तुं स्वीकर्तुमपि। अधिकारिणी (स्त्री०) मालकिन्, स्वामिनी। 'मञ्जुवृत्त (जयो० वृ० ४/५८) 'जयोदय' के चौथे सर्ग के ५८वें विभवाधिकारिणी' (जयो० ३/११) मञ्जवृत्तस्य श्लोक में 'अधिगम्' का अर्थ स्वीकार करना भी है। मनोहराचरणस्वरूपस्य आख्यानादेर्विभवस्याधिकारिणी। 'परिकृतः परितोऽत्यधिगच्छति' (जयो० ९/३१) इसमें (जयो० वृ० ३/११) कामिनी-मञ्जुलस्य सुन्दरस्य 'अधिगम्' का अर्थ चलना है। अन्धा दूसरे के हाथ पकड़ मनमोहकस्य वृत्तस्याचरणस्य यो विभवस्तस्याधिकारिणी। लेने पर चलता है। क्षणादेव: विपत्ति: (जयो० वृ० ३/११) कविता-मञ्जुनां निर्दोषाणां वृत्तानां स्यात्सम्पत्तिमधिगच्छतः। (वीरो० १०/२)। छन्दसां विभवस्य आनन्दस्य अधिकारिणी भवत्येव। (जयो० अधिगम (पुं०) ०पदार्थ ज्ञान, प्रमाण या नय का भेद। वृ० ३/११)
अधिगमोऽर्थावबोधः (स०सि०१/३) अर्थवबोध। अधिकारिणी (वि०) गणनाकी, गणिनी। (जयो० वृ० २२/७०) अधिगमः [अधि+गम+घञ्-ल्युट च] ०अर्जन, प्रापण, अधिकारिणी (वि०) अधिकारी। (सुद० २१/३२)
०अध्ययन, प्राप्ति। स्वीकृति (सम्य० ८३) (वीरो० शाटीव समभूदेषा गुणानामधिकारिणी।
१६/२७) सदारम्भादनारम्भादघादप्यतिवर्तिनी।।
अधिगमज (वि०) सम्यग्दर्शन का गुण। अधिकारित्व (वि०) अधिकार वाली। (हित०सं० १४) अधिगुण (वि०) [अधिका गुणा यस्य] योग्य, गुणी, श्रेष्ठ अधिकर्तृत्व (वि०) अधिकारी (वीरो० १८४४९) अधिकार्य गुण वाला। की अधिकारी (वीरो० १७/४)
अधिचरणं (नपुं०) [अधि+चर+ल्युट] प्रतिगमन, विचरण। अधि+कृ (सक्) भरना, ग्रहण करना। कञ्चन-कलशे अधिजननं (नपुं०) [अधि+जन्+ ल्युट्] जन्म, उत्पत्ति।
निर्मलजलमधिकृत्य। (सुद० वृ० ७१) निर्मल जल को अधिजिह्वः (पुं०) सर्प। स्वर्ण घट में भरकर लाऊ। अधिकुर्वते-धारण करना। अधिजिह्वा (स्त्री०) जिह्वा रोग। (जयो० २४/४६)
अधिज्य (वि०) [अध्यारूढा ज्या यत्र, अधिगतं ज्या वा। धनुष अधिकृत (वि०) [अधि+कृ+क्त] अधिकार प्राप्त, नियुक्त। पर खींचे, डोरी ताने।
अधिकृत्ये ति अधियोगे सप्तमी। (जयो० वृ० ९/५२) अधित्यक्त (वि०) [अधि+त्यकन्] समतल भूमि। अधिकृतः (पुं०) राजपुरुष, पदाधिकारी।
अधिदन्तः (पुं०) [अध्यारूढो दन्तः] दान्त के ऊपर दांत। अधिकृतिः (स्त्री०) [अधि+कृ+क्तिन्] स्वामित्व, प्राधिकार। अधिदेवः (पुं०) इष्ट देव, प्रधान देव। अधिकृत्य (अव्य०) [अधि+कृ+ल्यप्] उल्लेख करके। अधिदेवता (पुं०) विद्या देवता, वाणी देव। पुनरवददेव तां अधिक्रमः (पुं०) [अधिक्रिम्+घञ्] आक्रमण, धावा, हमला। साधिदेवता। (जयो० ६/७२) अतिक्रमणं (नपुं०) आक्रमण, हमला।
अधिदेवता (स्त्री०) अधिष्ठात्री देवी। हिंसातीत्यधिदेवताभिरुचये अधिक्षेपः (पुं०) [अधि+क्षिप्+घञ्] ०अपमान, गाली, अधिदेवं श्रीमान् प्रशस्तोदयः। (मुनि० पृ० २) ०अनादर, ०दोषारोपण। ०आधात, ०प्रहार।
अधिदैवतं (नपुं०) इष्टदेव। (जयो० २/३५) भूमिकासु जिननाम अधिगत (वि०) [अधि+गम्+क्त] प्राप्त, अर्जित, उपार्जित, | सूच्चरंस्तत्तदिष्टमधिदैवतं स्मरन्। गृहस्थ किसी भी कार्य ०संगृहीत। अधिगतस्तदलङ्करणे। (समु० ७/११)
के प्रारम्भ में जिनदेव का नाम लेकर अपने इष्टदेव का अधिगत (वि०) अधीत, सीखा गया।
स्मरण करे। इष्टदैवतं स्वेष्टदेवताम्। (जयो० वृ० २/३५) अधि+गम् (सक०) [अधि+गम्] पहुंचना, आना, जाना, | अधि+ध्या (सक०) ध्यान करना, चिंतन करना।
प्राप्त करना। (अधिगच्छते, अधिगच्छति, अधिगन्तुम) अधिधान्यं (नपुं०) विशेष धन धान्य। वीक्ष्य लोकमधिधन(जयो० १/५५) चन्द्रोऽधिगन्तुं मुहुरेव भाष्यम् (जयो० धान्यधनेशमाप। (जयो० ४/६९)
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