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चिता
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चित्रं
चिता (स्त्री०) [चित+टाष्] चितिका, चिता, जहां मुर्दे को | चित्तलेश (वि०) तत्पर चित्त वाले, मन में मोक्ष चिन्तन करने लकड़ियों के ढेर में रखा जाता है।
वाले। प्रवर्तनायोद्यतचित्तलेश्तः सङ्घस्यते सन्तु मुदे गणेशः। चितिग्नि: (स्त्री०) शव को अग्नि।
(भक्ति० ११) चितिः (स्त्री०) [चिक्तिन्] १. ढेर, समूह, पंज। २. चिता, चित्तविक्षेपः (पुं०) उदासमन, व्याकुल मन। ३. आयताकार स्थान। ४. अम्बार, टाल।
चित्तवित्तः (पुं०) हृदयगत भाव। (जयो० ७/८२) चितिका (स्त्री०) [चिता+कन्+टाप] १. चिता, २. करधनी। चित्तविधिः (स्त्री०) मनोवृत्ति, मनोदशा। (सुद० ३/४२) चित्त (वि.) [चित्+क्त] चित्त दिया गया, प्रत्यक्ष किया गया, चित्तविप्लव: (पुं०) मानसिक क्लेश, व्याकुलता, मृ भाव,
देखा गया, सोचा गया, मनन किया गया। २. अभिप्रेत, आसक्ति भाव, असंतोष, चित्त भ्रंश, उन्मत्तता। इच्छित, वाञ्छित, अभिलषित। (सम्य० ४५)
चित्तविभ्रमः (पुं०) मानसिक क्लेश, चित्तभ्रंश, उदासीनता। चित्तं (नपुं०) १. देखना, २. मनन करना, मन लगाना, चित्तविश्लेषः (पुं०) मित्रता का अभाव, मैत्री भंग।
विचार, चिन्तन। 'चित्तं तिकालविसयं' आत्मनः परिणाम- चित्तवृत्तिः (स्त्री०) मन की विचारधारा, रुचि, भावना, स्वभाव, विशेषः। ३. अभिप्राय, उद्देश्य। ४. आत्मा (जयो० १/२२) मन का अभिप्राय। * ५. मन, विचार, हृदय (सुद० १०४) 'मनाङ् न चित्तवेदना (नपुं०) मानसिक असंतोष, मनोमालिन्य, मन में चित्तेऽस्यपुनर्विकारः (सुद० ९९) ६. निर्मुक्त-वल्गन-- ___कुटुता, कष्ट, चिन्ता, उद्वेग, व्याकुल भाव। विमोचलनं तुरङ्गं स्वैरं निरङ्कुशमिवातिशयान्मतङ्गम्।। चित्तवैकल्यं (नपुं०) मन की व्यग्रता। श्रीपञ्जरादरणवाच्च विचारपूर्णं चित्तं जनः स्ववशमानयतात्तु चित्तहारिणी (वि०) चित्ताकर्षणि, चित्त को आकर्षित करने वाली। तूर्णम्।। (दयो० ४०)
जनानां चित्तहारिण्यो गणिका इव भित्तिका। (जयो०८/८०) चित्तचारिन् (वि०) दूसरे की इच्छा पर चलने वाला। चित्तानुरक्तिः (स्त्री०) मानसिक अनुराग। 'वित्ताद्यर्जनहेतवे च चित्तजः (पुं०) चित्त में उत्पन्न प्रेमभाव, आवेश, रति।
य इमे चित्तानुरक्तिस्तवा:' (मुनि० २२) चित्तजन्मन् (पु०) प्रेम, रति, आवेश।
चित्तानुवर्तिन् (वि०) अनुरंजनकारी, अनुराग युक्ता। चित्तज्ञ (वि०) मन की बात जानने वाला।
चित्तापहारक (वि०) आकर्षक, मनोनुकूल, मनोज्ञ, सौन्दर्ययुक्त, चित्तधारक (वि०) चित्त/मन लगाने वाला, 'सुखमालभतां मनोहारी, मोहक। चित्तधारकः परमात्मनि' (सुद० १२८)
चित्तापहारिन् (वि०) आकर्षक, मनोज्ञ, मनोनुकूल, मनोहारी। चित्तनाश: (पुं०) अचेत अवस्था, बेहोशी।
चित्तभोगः (पुं०) मानसिक प्रसन्नता, मनस्कार। (जयो० वृ० चित्तनिवृत्तिः (स्त्री०) संतोष, प्रसन्नता। शांतवृत्ति।
३/१०६) चित्तपरिणतिः (स्त्री०) मति, बुद्धि। (जयो० वृ० ६/८३) चित्तासङ्गः (पुं०) चित्ताकर्षक, अनन्य, अनुराग, अत्यधिक चित्तप्रसाद (वि०) आनन्द, हर्ष।
प्रेम, प्रीतिभाव। चित्तप्रसन्नता (वि०) हर्षभाव युक्त।
चित्तोल्लासः (पुं०) मानसिक शान्ति, हर्ष, आनन्द, मन में चित्तभा (स्त्री०) मनोवृत्ति, प्रकाशकार्की, चित्तदीप्ति। प्रसन्नता। (जयो० वृ० ९/७८)
मच्चित्तभानामसुदेवतापि' (जयो० २२/८३) चित्तभा मम चित्तोल्लिखित (वि०) हृदयांकित, मन में उत्कीर्ण, हदय में
चेतसि प्रकाश की, सूर्यकान्तसदृशी। (जयो० वृ० २०।८३) प्रविष्ट। (वीरो० वृ० २/१३) चित्तभित्ति (स्त्री०) मन की परत।
चित्र (वि०) [चित्र+अच] १. उज्ज्वल, स्वच्छ, साफ, स्पष्ट, चित्तभू (पुं०) कामदेव। 'प्रेरितः सपदि चित्तभुवा यदञ्चति। २. चितकबरा, विचित्र, नाना रूप वाला। (जयो०६/११०) (जयो० ५/४)
३. आश्चर्यजन्य, विश्मयकारी, इत्येतच्चित्रमाश्चर्यकरणं चित्तभेदः (पुं०) ०मन मुटाव, विचार मतभेद, असंगति, न हि (जयो० ११/१७) अस्थिरता।
चित्र: (पुं०) चित्र, रंग, वर्ण। चित्तमोहः (पुं०) मन में मोह, मुग्धता भाव, प्रेमभाव, आसक्ति चित्रं (नपुं०) छायाचित्र, चित्रकारी, आलेखन। १. नानाकार भाव।
(जयो० वृ० ३/७९)
पश्चाता ।
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