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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अथान्यदा अदृश् अथान्यदा (अव्य०) कदापि, कदाचित्, तो भी। अथान्यदा स्वैरितया चरन्तौ। (जयो० २३/७१) अथापकृष् (वि०) अपकर्षण। (सुद० १०२) अथैकदा (अव्य०) इसी प्रकार, इसी तरह। अथैकदा भूमिरुहोपरिष्टात्। (समु० ३/३७) अथैकदा दान्त हिरण्य सम्मती। (संमु० ४/१६) इस पंक्ति में 'अथैकदा' का अर्थ है-अब कुछ दिन बाद। अथेति (अव्य०) इसके अनन्तर भी। (जयो० वृ० १/२) अद् (सक्) खाना, निगलना। (सुद० ११२) गौस्तृणानि समादरणेऽत्ति। (जयो० ४/२१) बिना आदर के गाय भी तृण/घास नहीं खाती है।। अद (वि०) [अद्+क्विप्, अच् वा] खाने वाला, निगलने वाला। (सुद० १२१३) अद (वि०) भव, सम्पूर्ण संसार (जयो० २/३) अद्भुत (वि०) अपूर्व, अनुपम, अद्वितीय। (जयो० ३/१६, सुद० ३/९) यौवनेनाद्भुतं तस्याः । (जयो० ३/४३) अद्भुतम भूतपूर्वमेव। (जयो० वृ० ३/४३) अद्भुतच्छटा (स्त्री०) अपूर्वाछटा, अपूर्व कान्ति, अनुपम प्रभा। (जयो० ३/१६) अद्भुत-बोधदीपः (पुं०) असाधारण ज्ञानदीप। अद्भुतो ऽन्यजनेभ्योऽसाधारणश्चासौ बोधो ज्ञानमेव दीपः, स्व-परप्रकाशकत्वात्,। (जयो० १/८५) अदंष्ट्र (वि०) दन्तहीन, जिसके दांत निकाल दिए हों ऐसा सर्प। अदक्षिण (वि०) वाया, दक्षिणा बिना। अदण्ड्य (वि०) दण्डमुक्त। ०अपराध रहित। अदत् (वि०) दन्त रहित, दन्तविहीन। अदत्त (वि०) न दिया हुआ, अनुचित रूप से संग्रहीत, चुराया गया, अपहृत। (सुद० ४/४२) अदत्तादानं (नपुं०) चोरी, स्तेय। अदत्तभाग (वि०) चौर्य रहित। अदन्त (वि०) १. दन्त रहित, २. वह शब्द जिसने अन्त में 'अत्' या 'अ' हो। अदन्तः (पुं०) जोक। अदन्त्य (वि०) दांतों के लिए हानिकारक। अदभ्र (वि०) अनल्प, प्रचुर, पुष्कल, बहुत। अदम्भ (वि०) विशाल, उन्नत, रमणीय। हीरवीरचिताः स्तम्भा अदम्भास्तत्र मण्डपे। (जयो० १०।८८) अदम्भा विशाला: स्तम्भास्ते। (जयो० वृ० १०/८८) अदम्य (वि०) पर पराभवरहित। (वीरो० २/१०) अदय (वि०) दयाहीन। (जयो० १८/३७) अदर्शन (नपुं०) अनावलोकन, अनुपस्थित, अदृष्ट, लुप्त, लोप अभाव। अदर्शिन् (वि०) अदृष्ट, लोप युक्त, अदर्शनता अभावता, लोपता। (सुद० ९८) दस्याऽदर्शि सुदर्शनो मुनिरिवं (सुद० पृ० ९८) अद० (अव्य०) उधर, निम्नलिखित। (सुद० ९४) गदितं च वचोऽदः। (जयो० ४/५०) अदो निम्नलिखितं वचः। (जयो० वृ० ४/५०) अदस् (सर्व०) [पु० स्त्री-असौ] (जयो० १/१४) नपुं०-अदः यह, असौ कुमुद-बन्धुश्चेहितैषी। (जयो० ३/५१०) काशिका ययुरमी धिषणाभिः (जयो० ४/१६) 'अमी' शब्द प्रथमा बहुवचन। दरिणो हरिणा बलादमी। (जयो० १३/४७) अस्याः क आस्तां प्रिय एवमर्थः। (सुद० २२) अदातृ (वि०) कृपण, नहीं देने वाला। अदादि (वि०) 'अद्' से आरम्भ होने वाली धातु, दूसरे गण ___ की धातुओं का समूह अदाय (वि०) [नास्ति दायो यस्य] अदान, अप्रदाता, हिस्से से विमुख। अदायाद (वि०) उत्तराधिकारी से विमुक्त। अदायिक (वि०) उत्तराधिकारी न हों। अदितिः (स्त्री०) [दातुं छेत्तुं अयोग्या दो+क्तिन्] पृथिवी, भूमि, भू। कालः किलायं सुरभीतिनामाऽदिति : समन्तान्मधुविद्धधामा। (वीरो० ६/१२) अदिग्ध (वि०) देवमय (जयो० १४/६८) अदीन (वि०) दैन्य रहित। (जयो० १७/२१), उत्तम, श्रेष्ठ (जयो० ४/१०) अदुर्ग (वि०) जो दुर्गम न हो, सुगम, पहुंचने में सरल। दुष्ट (वि०) पुण्यवान्। (जयो० ३/२६) अदून (वि०) अहीन, पूर्ण, कम नहीं, निर्दोष, ०कुलीन। (जयो० १/८१) व्रताश्रितिं वागतवान दूनाम्। (जयो० १/८१) अदूना (स्त्री०) न्यूना, अहीना, पूर्णा। (जयो० ५/७३) अदूर (वि०) समीप, निकट, पास। (जयो० १९/१५) अदूरवर्तिम् (वि०) निकटवर्ती, समीपस्थ, सन्निकटस्थ। (जयो० ५/७३) अदृश् (वि०) [नास्ति दृग् अक्षि यस्य) दृष्टिहीन, अन्धा। For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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