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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुणभद्राचार्य: ३५७ गुणस्थः गुणभद्राचार्यः (पुं०) आचार्य गुण भद्र, प्रसिद्ध संस्कृत पुराणकार। गुणवच्छिरोमणि (वि०) गुणीश। (जयो० वृ० ३/८९) (जयो० वृ० २३/४१) गुणविवेचना (स्त्री०) माधुर्य विवेचना। गुणस्य माधुर्यस्य विवेचना गुणभूमिका (स्त्री०) गुणाधिकार। गुणानां भूमिका। (जयो० न्यूनाधिक्यनिर्णयस्तस्य (जयो० ६/६९) १/८६) गुणवृक्षः (पुं०) मस्तूल, स्तम्भ, जहाज को बांधने का स्तम्भ। गुणमार्गणशालिन् (वि०) गुणस्थान और मार्गणा स्थान पर गुणवृत्तिः (स्त्री०) मुख्य प्रवृत्ति। विचार करने वाले। (सुद० ४/४) गुणवतं (नपुं०) अणुव्रत का उपकारक, उत्तरगुण रूप। 'गुणाय गुणमाला (स्त्री०) उज्जयिनी के राजा वृषभदत्त की पुत्री। चोपकारायाऽहिंसादीनां व्रतानि तत् गुणवतानि' (दयो० ११०) 'गुणार्थमणुव्रतानामुपकरार्थव्रतम् गुणव्रतम्। गुणमाला (स्त्री०) गुणसमूह। (दयो० ११०) एक राजकुमारी, गुणशः (पुं०) अर्चना, पूजा (सुद० ९४) उपदेशविधानं यतोऽदं श्रेष्ठी कन्या। प्रतीक्षते गुणशस्य। (सुद० ९/१) गुणयुक्तः (पुं०) १. गुणों से परिपूर्ण। २. डोरी सहित। गुणशब्दः (पुं०) विशेषण। चापलतेव च सुवंशजाता गुणयुक्ताऽपि वक्रिमख्याता। गुणशालिन् (वि०) गुणशाली, गुणयुक्त। भवता कलयिष्यामि, (सुद० १/४२) 'गुणयुक्तोन्नतवंशसंस्तुतः' (सुद० ३/६) (समु० ३/४१) तदघ गुणशलिना। (समु० ३/४१) गुणरत्नः (पुं०) नाम विशेष। गुणसंकीर्तनं (नपुं०) गुणवर्णन, गुण विवेचन। (जयो० ६/३२) गुणरत्नं (पुं०) गुण रूप रत्न। समुद्रवत्सद्गुणरत्नभूपः विमानवत्सौर गुणसंक्रमः (पुं०) शुभ प्रकृतियों का क्रम। __ भवादिरूपः। (सुद० २/३९) न दीपो गुणरत्नानां जगतोमेक गुणसंख्यानं (नपुं०) गुण गणना, गुणविचार। दीपकः। (सुद० वृ० १३५) गुणसंग्रहः (पुं०) गुण ग्रहण, गुणोपार्जन। जनोऽखिलो जन्मनि गुणरीतिः (स्त्री०) उपकार पद्धति। 'गुणस्योपकारस्य रीतिर्यत्र' शूद्र एव यतेत विद्वान् गुणसंग्रहे वः। (वीरो० १७/३५) (दयो० ९४/६) गुणसंग्रहोचित (वि०) गुणों से भरे हुए। तुगहो गुणसंग्रहोचिते गुणलक्षणं (नपुं०) धर्माचरण रूप लक्षण। १. आन्तरिक गुण मृदुपल्यङ्क इवाहतोदिते। (सुद० ३/२२) का आधार। गुणानां ज्ञानादीनां धर्माचारादीनां लक्षणम्। | गुणसंस्तवनं (नपुं०) गुण संकीर्तन, गुणगान, गुण विवेचन। (जयो० १९/२३) मुक्तात्मभावोदरिणी जवेन। मुक्तात्मभावोहरिणी जवेन गुणलयनिका (स्त्री०) तम्बू। समर्हणीया गुणसंस्तवेन। (सुद० २/४) गुणवचनं (नपुं०) विशेषण, संज्ञा की विशेषता बतलाने वाला। गुण-संश्रवणं (नपुं०) गुण श्रवण, गुणों का सम्यक् श्रवण, गुणवाचकः (पुं०) विशेषणा गुणों का सुनना। गुण संश्रवणावसरे विज भणेनानुसूचिनी गुणवत् (वि०) [गुण+मतुप्] गुणी, श्रेष्ठ, गुणवान्, गुण शस्ताम्' (जयो० ६/३९) युक्त। निर्निमन्त्रणतया न भवद्भिर्यातुमेवमुचितुं गुणवद्भिः' | गुणश्रेणी (स्त्री०) गुणों की वृद्धि, परिणामों की विशुद्धि की (जयो० ४/१४) वृद्धि। कमप्रदेशों की निर्जरा का कारण। गुणवती (वि०) १. विलास विभ्रमादिवती, रुचिकारकत्व वाली। गुणसमुदयः (पुं०) गुण समूह। (जयो० १/२) (जयो० ३/६१) सम्पन्ना गुणवती व्यञ्जनैरखिलैः पूर्णा। गुणसागरः (पुं०) नाम विशेष, एक मुनि। १. गुण समूह। (जयो० ३/६१) गुणसारौः (पुं०) गुण रहस्य। गुणनांशृंगारादीना सारो विद्यते * गुणयुक्त, ज्ञानादिगुण सहित। 'गुणवतीव ततिर्वचसी' यत्र स गुणसारः। (जयो० १६/७३) (जयो० वृ० ९/१०) गुणसेनः (पुं०) १. नाम विशेष। २. गुणों की सेना। गुणनां * सौन्दर्यादिगुण युक्त मदन-मनोहरं च गुणवत्यो धैर्य-सौन्दर्यादीनाम् यद्वा मन्त्रि-सामन्तादीनां च सेना समूहो नववयोऽन्वयं वनं युवत्यः (जयो०१४/१६) यत्र' (जयो० ५/६५) गुणवती (स्त्री०) गुणवती आर्यिका। सन्निशस्य पुनेतदुदन्तं | गुणसेवक (वि०) गुणों की सेवा करने वाला। श्रीधराऽपि भगवज्जिनसन्तम् सन्निधाय हृदये गुणवत्या गुणसेविन् (वि०) गुणों का आराधक। (जयो० २०/६८) आर्यिकात्वमभजद्भुवि सत्याः।। (समु० ५/२५) गुणस्थः (पुं०) गुणस्थान, गुणों का आधार। स्यूते: समं For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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