SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 349
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खलुच् ३३९ खिन्न खलुच् (पुं०) [खं इन्द्रियं लुञ्चन्ति हन्ति इति-ख+लुञ्च+क्विप्] योग्य समश्नातु खादतु ज्ञानी। (जयो० १०/१२) (जयो० अन्धकार, तम। २७/४६) खलोपयोगः (पुं०) खल का उपयोग। खादः (पुं०) खाद, भूमि को पुष्ट करने वाली गोबर की खाद। खल्या (स्त्री०) [खल+यत्+टाप्] खलिहानों का झुण्ड। प्रस्तूयते सातिशयाख्यखादः चेदंकुरायात्मविदोऽप्रमाद :। खल्लः (पुं०) [खल+क्विप्] खरल। १. चकोर पक्षी, २. शक। मृदन्तरा बीजवदीष्यतेऽद: पुन: किलास्पष्ट सदात्मवेदः। खल्लिका (स्त्री०) [खल्ल+कन्+टाप] कढ़ाई। (सम्य० १०७) खल्लिट (वि०) गंजे सिर वाला। खादक (वि०) [खाद्+ण्वुल] खाने वाला, उपभोग कर्ता। खल्वाट (वि०) [खल्वाट] गंजा। खादतुं-खाने के लिए (जयो० २७/४७) खशः (पुं०) एक जाति विशेष, जलाशय। (जयो० २१/३४) खादनः (पुं०) दन्त, दांत। खशरः (पुं०) खश अधिपति। खादनं (नपुं०) खाना, चबाना। खष्पः (पुं०) १. क्रोध, कोप, २. हिंसा, निष्ठुरता। खादन्ती -खाती हुई, भोग करती हुई, (मुनि०११) खसः (पुं०) १. खाज, खुजली। २. एक जाति विशेष। खादाञ्चक्रे-खाया गया, उपभोग किया गया। (दयो० ५७) खसृचिः (पुं०स्त्री०) गर्हित अभिव्यक्ति। खादेत् खाना चाहिए। खादेत्त देवासमुतेऽभिवादी। (वीरो० ४/३३) खस्खलः (पुं०) पोस्ता। खादित (वि०) भुंजित (दयो० १९) खादितवान्-खाया गया खा खाना, भोजन करना। खादेत्तदेवासुमतेऽभिवादी। (वीरो० (दयो० ९५) १९/३३) खादाञ्चक्रे (दयो० ५७) खादितुं खाने के लिए (दयो० ९५) खाजिकः (पुं०) [खाज ठन् ] भुना हुआ, तला हुआ धान्य। खादितवान्-खाया गया (दयो० ९५) खाट (अव्य०) ध्वनि, खकार सम्बंधी ध्वनि। खादिर (वि०) [खदिर+अञ्] खैर का वृक्षा (जयो० १२/३४) खाटः (पुं०) [ख अट घञ्] अर्थी। खादिरसारः (पुं०) कत्था। (जयो० १२/१३४) खाण्डवः (पुं०) खांड, मिश्री। खादुकः (पुं०) [खाद्+ उन्+कन्] उत्पाती, द्वेषपूर्ण। खाण्डविकः (पुं०) [खाण्डव+ठन] हलवाई। खाद्यं (नपुं०) भोजन, भोज्यपदार्थ, (जयो० वृ० १२/१२५) खात (वि०) [खन्- वत] खुदा हुआ, कुदेरा गया, फोड़ा गया। खाद्यवस्तुं (नपुं०) अन्न, भोजन पदार्थ। खाने योग्य वस्तु। खातं (नपुं०) खाई, परिखा, आयाताकार सरोवर, बावड़ी। खानं (नपुं०) [खन्+ ल्युट्] खुदाई, क्षति, खदान। (दयो० वृ० ४०) १. भूगृह, तलघर। 'खातं भूमिगृहादि' खानक (वि०) [खन्+ण्वुल्] खोदने वाला। (जैन०ल० ४०५) खानिः (स्त्री०) खान, खदान। 'प्रवर्तते तेन विवेकखानिरयम्' खातकं (वि०) खोदने वाला। (सम्य० ७५) खातकं (नपुं०) खाई, परिखा। खानिक (वि०) [खान्+ठञ्] दरार, तरेड़। खात-सम्पात-करणं (नपुं०) खेती करना, भू जोतना। कर्षणे खानित (वि०) खुदवाने वाला। (दयो० ९८) खातसम्पात-करणे सिञ्चने पुनः। (दयो० ३६) खानिल (वि०) सेंध लगाने वाला। खाता (स्त्री०) [खात-टाप्] बनाया हुआ तालाव। खारः (पुं०) [खम् आकाशम्, आधिक्येन तृच्छति-ख+ऋत्रण] खातिः (स्त्री०) [खन्क्तिन्] खोदना, खनन, खुदाई। माप विशेष। खातिका (स्त्री०) खाई, परिखा। (वीरो० वृ० २/२४) (सुद० । खारवेली (पुं०) कलिंग देश का नरेश। (वीरो० १५/३२) १/३६) खिडरः (पुं०) लोमड़ी। खातिकाम्भः (पुं०) खाई का विशद जल, परिखा जल, किले खिद् (सक०) १. प्रहार करना, मारना, काटना, खींचना, २. से पूर्व खोदी जाने वाली परिखा का जल। इतीव तं थकान होना, श्रान्त होना, क्लान्त होना, कष्ट होना। जेतुमहो प्रयाति तत्खातिकाभ्भश्छविदम्भजातिः। (वीरो० २/२८) | खिदिरः (पुं०) [खिद्+किरच्] १. सन्यासी, २. दरिद्र, ३. चंद। खात्रं (नपुं०) [खन् + ष्ट्रन्] १. कुदाली, २. तालाब, ३. अरण्य। खिन्न (भू०क०कृ०) १. दु:खी, अप्रसन्न, व्याकुल, कष्टजन्य, खाद् (सक०) खाना, निकलना। खाद्यताम्-भक्ष्यता प्राप्ति | पीड़ित व्यापन्न। (जयो० ३/११०) 'खिन्ना यदिव सहज For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy