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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खर्परी ३३८ खलु खर्परी (स्त्री०) अंजन, सुरमा। खलसंसर्गः (पुं०) १. दुष्ट की संगति, २. खली का संसर्ग, खर्च (अक०) चलना, फिरना, घूमना। खली का प्रयोग। खर्व (वि०) १. तुच्छ, लघु, छोटा, निम्न, अपंग, विकलांग। खलसम्पर्कः (पुं०) १. दुर्जन संगति, २. खली का प्रयोग। २. ठिगना, ओछा। ३. अपूर्ण। (समु० १/२६) खर्वः (पुं०) १. दस अरब की संख्या। २. कुबेर की नौ निधियों खलिः (स्त्री०) [खल इन्] खली तेल का मैल। में एक निधि। ३. कूजा नामक वृक्ष। ४. उत्तरोत्तर- खलित (वि०) दुष्टता युक्त। 'परोऽपकारेऽन्यजनस्य सर्व:' परोपकारः समभूत्तु खर्वः। खखित्तोत्तमाङ्गः (नपुं०) गजे सिर। 'खलितोलमाङ्ग एव (वीरो० १/३३) करकोपनिपात सम्भाव्यते' (दयो० ८६) खर्वटः (०) चार सौ गांवों के मध्य का ग्राम। मंडी लगने खलिनः (पुं०) [खे अश्मुखछिद्रे-लीनम्] लगाम, कविका, वाला ग्राम। २. पर्वतीय स्थान पर बसा हुआ ग्राम। लगाम की रास। खर्वित (वि०) १. हीन, २. कटा हुआ। खलिनी (स्त्री०) (खलः इनि डीप्] खलिहान समूह, खलिहान स्थान। खर्खिता (स्त्री०) अमावस्या और चतुर्दशी युक्त दिन। खलीकृतिः (स्त्री०) [खलाच्चि कृक्तिन्] दुर्व्यवहार, उत्पात। खल् (सक०) १. संग्रह करना, एकत्र करना। खलीनः (पुं०) कविका, लगाम। (जयो० १३/७२) (जयो० खलः (पुं०) [खल्+अच्] १. खलिहार, भू-भाग, स्थान, २. वृ० १३/५) भूमि, ३. रज राशि। ४. सूर्य, ५. तमाल वृक्ष, ६. तलछट, खलीन-कर्षणं (नपुं०) लगाम खींचना, लगाम लगाना। दवा घोटने का खल वहल। ७. मसाले या चटनी पीसने 'हयानां गणः स्वामिन्यश्वारोहे खलीनस्य कविकायाः कर्षणं, का अयस्क या पत्थर की शिला। ८. तिलविकार, खली | कुर्वतीव हि निधर्षणम्' (जयो० वृ० २१/११) तिलकक्कविकारः (जयो० १७/५४) 'पयस्विनी सा | खलीन-दोषः (पुं०) कायोत्सर्ग में स्खलन सम्बंधी दोष। 'यः खलशीलनेन' (वीरो० १/१७) खलीन पीडितोऽश्व इव दन्तकटकटं मस्तकं कृत्वा कायोत्सर्ग खल (वि०) १. कूर, दुष्ट, नीच, अधम, दुर्जन, निर्लज्ज, करोति तस्य खलीनदोषः' (मूला०वृ० ७/१७१) विश्वासघाती। (वीरो० वृ० १/१७) खलु (अव्य०) [खल उन्] यह अव्यय विविध अर्थों में खलजनः (पुं०) दुर्जन। (जयो० ३/२) प्रयुक्त होता है। १. वाक्यालङ्कार-वाक्य शोभा में (जयो० खलकः (पुं०) [खाला+क+कन्] घट। १४/२४) नृप सूनवतीव राजते द्रुममाला खलु विप्रलापिनी। खल-क्षण (नपुं०) खाई। (सुद० १/२५) खलस्य धूर्तस्यैव (जयो० १३/५२) २. क्योंकि-'काले रुचिः शुचिः स्यात्खलु क्षणोऽवसौ। सत्तमाऽऽले।' (सुद० १/६) यतः खलु तीर्थकृद वाक् खलता (वि०) दुष्टता, मूर्खता, नीचता, दुर्जनता। (सुद० ९१) (सम्य० ५) ३. निश्चय ही 'यावत् खलु क्षायिक भावजातिः' 'दुष्टमनुष्यता' (जयो० २२/६) 'समस्ति तावत् खलता (सम्य० ५७) 'शक्तिः पुनः सा खलु मौनमेतु। (सम्य० जगन्मतेः' सद्भावना विजयिनी खलतां हसति' (वीरो० २३) ४. पूछताछ, अनुरोध, प्रार्थना, विनय खल्विति ९/११) २. आकाशप्रदेश पंक्ति। (जयो० वृ० १८/५२) निश्चार्थ-(जयो० २/३८) खल्विति समुच्चये (जयो० खलति (वि०) [स्खलन्तिकेशा अस्मात् स्खल अतच्] गंजा। वृ० ५/१५)-और-शुद्धभावा खलु वाचि वंशि' (सुद० खलतिकः (पुं०) पर्वत, पहाड़। २/८८, २/१६) जैसे वाबिन्दुरोति खलु शुक्तिषु (सुद० खलत्व (वि०) दुष्टता, नीचता, मूर्खता युक्त। ४/३०) 'सन्निमेषकदृशा खलु पातुम्' (जयो० ५/६९) खलधान्यं (नपुं०) खलिहान। वाक्यपूर्णे-तेऽञ्चिताः खलु रुषा सगगया। (जयो० ७/७) खलपूः (पुं०) झाड़ने वाला, साफ करने वाला। ५. ही-एतयोः खलु परस्परेक्षण सम्भवेत्।' (जयो०२/६) खलमूर्तिः (स्त्री०) पारा। ६. तो-'मानसानि खलु यानि च यूनाम्। (जयो०३/७०) खलयज्ञः (पुं०) खलियान की क्रिया। ७. भी-परिणतिमेति यया खलु धात्री' (जयो० ३/७४) खलशीलनं (नपुं०) १. दुर्जन संगति, २. खली का सम्पर्क। वाक्- नि:संदेह, अवश्य, सचमुच आदि में 'खलु' अव्यय का कामधेनुः खलशीलनेनाऽमृतप्रदात्री सुतरामनेना।' (समु० १/२६) प्रयोग होता है। For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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