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कूटतुला
कूटतुला ( स्त्री०) पासंग युक्त तुला, तोलने के कांटे एवं नापने के साधनों को हीन या अधिक रखना। कूटतुलामानं (नपुं०) कूट तुलामान, अचौर्यव्रत का अतिचार । कूटतुला कूटमाने तुला प्रतीता, मानं कुड्यादि कूटत्वं न्यूनाधिकत्वं न्यूनया ददाति अधिकया गृह्णाति' (श्रावक प्रज्ञप्ति टी० २६८ )
कूटधर्म (वि०) मिध्याधर्म, झूठ युक्त धर्म। कूटपालकः (पुं०) १. हस्तिवात ज्वर, पित्तदोष युक्त ज्वर। २. कुम्हार, कुम्हार का अबा।
कूटपाशः (पुं०) फंदा, जाल
कूटपुरुषः (पुं०) कृत्रिम पुरुष, पुतला। (जयो० २ / ३१) कूटबन्ध (पुं०) फंदा, जाल
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कूटमानं (नपुं०) झूठा माप झूठा तोल
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कूटयन्त्रं (नपुं०) पक्षिजाल
कूटयुद्धं (नपुं०) कपट युक्त लड़ाई । अन्याभिमुखं प्रमाणकमुपक्रम्योपघातकरणं कूट युद्धम्। (जैन०ल०३६३) कूटलेख (पुं०) बनावटी लेख, झूठा लेख कूटलेखकरणं (नपुं०) मिथ्या लेख लिखना, झूठा लेखन कार्य करना ।
कूटलेखक्रिया (स्त्री० ) सत्याणुव्रत का अतिप्यार, असद्भूतपदार्थ का मुद्रण करना, पंचनार्थ लिपि लिखना 'वंचनानिमित्तं लेखन कूटलेखक्रिया (त०सू०७/२६)
कूटश: (अव्य० ) [ कूट-शस्] समूह में कूटशाल्मलि (पुं०) सेमल वृक्ष की जाति । कूटशासनं (नपुं० ) मिथ्यापत्र, झूठापत्र, फर्जी दस्तावेज | कूटसाक्षिन् (पुं०) झूठी गवाह |
कूटसाक्षिक (नपुं०) झूठी गवाह मात्सर्यभाव से असत्य
भाषण, द्रोह से युक्त झूठ कथन । सत्याणुव्रत का अतिचार । कूटसाक्षिकं उत्कोच मत्सराभिभूत प्रमाणीकृतः सन् कूट वक्तीति' (श्रा०पु०टी० २६० )
कूटसाक्ष्यं (नपुं०) असत्य भाषण । कूटस्थ (वि०) शिखर पर स्थित उच्च भाग पर खड़ा हुआ। (जयो० २४/३८) कुटे प्राकृपर्वतस्य शिखरे तिष्ठतीति' (जयो० २८/६०)
कूटस्थता (वि०) मायाचार, छलकपटता कूटैः मायाचार सह तिष्ठतीति (जयो० वृ० २४/३८)
कूटस्थानं (नपुं०) उच्चस्थान, ऊँचा भाग, शिखर कूटस्वर्ण (नपुं०) खोटा सोना
कूण् ( सक०) बोलना, कहना, वार्तालाप करना।
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कूणिका (स्त्री०) सींग ।
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कूणित (वि०) (कूण्+क्त] आच्छादित आवृत, मंद हुआ। कूद्दालः (पुं० ) [ कु+ दल+अण्] पर्वतीय आवनूस । कूप: (पुं० ) [ कुर्वन्ति मण्डूका अस्मिन् कु+ एक्] १. कूप, कुंआ । (दयो० ४७) 'कूपे निपत्य तेनात्मविनाश: ' 'नितान्तमानन्दसुधैककूपान्' (भक्ति०२) १. अन्धकार (जयो० ७ / १०१) कूपोऽन्धुगर्तमृण्मान कुपते' इति वि १. छिद्र, रन्ध, छेद, गर्त, २. कुप्पी ।
कूर्मोन्नतः
कूपकः (पुं०) [कूप्+कन्] कुंआ, छिद्र। * नलकूप । कूप कच्छप: (पुं०) १. कुएं का मेंढक २. अनुभवहीन, विचारशून्य |
कूपयन्त्रं (नपुं०) रहट, पानी निकालने का साधन ! कूपयन्त्रघटी (स्त्री०) रहट की घटिया कूपा (स्त्री०) छोटा कुंआ ।
कूपार: (पुं०) सागर, समुद्र, उदधि
कूपी (स्त्री० ) [ कूप + ङीष् ] कुइया, छोटा कुंआ । कूवर (वि०) १. सुन्दर, रुचिकर, २. कुबड़ी । कूवर: (पुं०) गाड़ी का धुआं ।
कूवरी (स्त्री०) १. कम्बल, २. कूबड़ी । कूर: (पुं० ) [ कौ भूमौ उवं वयनं लाति-ला-क] भोजन । कूर्च : (पुं० ) [ कुर्+चट्] गुच्छा, समूह, गट्ठर, घास का पूरा मोरपंख । कूर्चनं (नपुं०) खुरचना, क्षोदनत। (जयो० २ / १५६) कूर्चिका ( स्त्री० ) [ कूर्चक+टाप्] कूंची, चित्र बनाने की कूची, पेंसिल, बुश, कली, फूल।
कूर्द ( सक०) कूदना, उछलना, छलांग लगाना, खेलना। (सुद० ४ / २६ )
कूर्दनं (नपुं० ) [ कूर्द + ल्युट्] उछलना, कूदना, खेलना, क्रीड़ा करना । कूर्दित (वि०) क्रीड़ा करने वाला (सुद० ४/२६) कूर्प: (पुं०) भौंह के बीच का हिस्सा ।
कूर्पर: (पुं०) १. कच्छप, कूर्म। २. कुहनी, कोहिनी । ३. ककोणिदेश (जयो० १५/८३)
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कुर्मः (पुं०) [ को जल ऊर्मिः वेगोऽस्य ] कच्छप, कछुवा । कूर्मपुराण: (पुं०) अष्टादश पुराण में एक पुराण में एक पुराण (दयो० ३१)
कूर्मिक (वि०) कच्छपा, कर्मठा (जयो० २४ / १६ ) कूर्मावतार (पुं०) विष्णु अवतार। कूर्मोन्नतः (पुं०) त्रिषष्टि शलाक । पुरुष
समान उन्नत ।
योनि ।
कछुए के