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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra कामपतिः www.kobatirth.org " कामपतिः (पुं०) रतिदेव कामदेव कामपरिवादम् (नपुं०) काम वासना से दूर विषयासक्ति से पृथक्। 'यस्य कामपरिवादसादुरो' (जयो० २/६८ ) कामणल: (पुं०) बलराम । काम पावकः (पुं०) स्मर- वह्नि, कामाग्नि विषयासक्ति की ज्वाला । 'हृदयस्ति कामपावकम्' (जयो० २१/७०) कामप्रवेदनं (नपुं०) कामना का कथन, इच्छा निरूपण । कामप्रश्न: (पुं०) मुक्त प्रश्न, इच्छित प्रश्न | कामप्रसूः (स्त्री०) वाञ्छिकर्त्री, कामजिती, कामजन्मदात्री। (जयो० १९ / ३८) 'कामप्रसूः सम्प्रति लोकमातः ' 'कामजित: कामहरणास्यार्हतो भगवता प्रियापि कामप्रसूः कामजन्मदात्रीति विरोधे त्वं कामसूत्रीति परिहारः।' (जयो० ० ९/३८) वृ० , कामप्रिया (स्त्री०) रति कामदेव की भार्या (जयो० ५/८७) कामफल (नपुं०) एक वृक्ष के फल की जाति, आम्रवृक्ष की जाति । | कामभाव: (पुं०) वासनाभाव, आसक्ति परिणाम । कामभावना (स्त्री०) इच्छा की भावना, भोग जन्य कार्यों के प्रति भाव । कामभोग: (पुं०) विषयभोग, इन्द्रिय भोग, इन्द्रियासक्ति । कामम् (अव्य) [ कम्+ णिङ्+अम् ] इच्छा के अनुसार, सहमति पूर्वक। प्रसन्नता के साथ। कामबाण: (पुं०) कामशर (सुद० १०७) काममखं (नपुं०) कामयज्ञ, स्मरयज्ञ, रतीशयज्ञ (जयो ० २ / ६) 'काममखं सा विदधे' (जयो० २४/१३३ ) काम मङ्गलविधिः (स्त्री०) भोग के सभी साधन 'स्वस्थानाङ्कित- काममङ्गलविधौ ' निर्जल्पतल्प' (जयो० २/१२३) काममहः (पुं०) कामोत्सव चैत्रमास में मनाया जाने वाला उत्सवा काम माता (स्त्री०) कामदेव की माता लक्ष्मी रतिरिव रूपवती या जाता जगन्मोहिनीय काममाता' (सुद० १ / १४१ ) काममूह (वि०) कामासक्त, विषयासक्त इन्द्रियासक्ति जन्य काममोदनं (नपुं०) कामोत्पादक हर्ष (जयो० १२ / १११ ) कामस्य रतिपरिणामस्य मोदनं परिवर्द्धनञ्च प्रतियच्छन्तु (जयो० वृ० १२/१११) काममोह (पुं०) कामासक्त! काममोहित (वि०) इन्द्रिय विषय में आसक्त हुआ। कामरस: (पुं०) वासना राग, प्रेमभाव । २७९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कामविधा- विधातु कामरसिक (वि०) कामासक्त हुआ। कामरागः (पुं०) प्रिया के प्रति अनुराग । कामरागः प्रियप्रमदादि विषय साधनवस्तुगोचर: (जैन०ल० ३३५) कामरामा ( स्त्री०) रतिदेवी । विमर्दयामास कुचाङ्कमस्याः स कामरामासुषुमैकमष्याः (जयो० १७/५९) कामरूप (वि०) कामदेव के रूप वाला। रतिराहित्यमद्यासीत् कामरूपे सुदर्शने (सुद० ३/३) कामरूप: (पुं०) कामरूप ऋद्धि विशेष । नानारूपों को धारण करने वाली तेजोलेश्या विशेष । 'जुगवं बहुरूवाणिं जं विरयदि कामरूवरिद्धी सा' (ति०प०४/१०३) 'इच्छिरूवगहणसत्ती' ( धव० ९/७६) । २. कामरूप नामक देश (जयो० वृ० ६ / २८ ) । ३. कामरूप नामक राजा । (जयो० वृ० ६ / २८) कामरूपाधिपः (पुं०) कामरूप नामक एक अधिपति / राजा । स्मररूपाधिक एषोऽस्ति कामरूपाधिपोऽथ सुमनोज्ञा (जयो० ६/२८) कामरूपाधिप (वि०) कामदेव के रूप से भी अधिक रूपवान्। कामरूपित्व (वि०) नाना रूपों का धारण करने वाली शक्ति, युगपद / एक साथ अनेक रूपों का धारण करने वाली शक्ति 'युगपदनेकरूपविकरणशक्तिः कामरूपित्वमिति' (त० वा० ३/३६) कामरेखा (स्त्री०) वेश्या, गणिका । कामलता ( स्त्री०) लिंग, पुरुष की जननेन्द्रिय, कामरूपी लता। 'कामलतामिति गच्छत्यभितः' (सुद० १०४ ) कामवरः (पुं०) इच्छानुसार चयनित, उपहार प्रदत्त काम - वल्लभः (पुं०) १. वसन्त ऋतु। २. आम्रतरु। कामवश (वि०) प्रेमासक्त, प्रेमावद्ध, प्रेम के वशीभूत । कामवश: (पुं०) कामाभिभूत। कामवश्यः (वि० ) प्रेमासक्ति । कामवाद (वि०) इच्छित-कथत, स्वेच्छापूर्वक विचार व्यक्त करना। काम वासना (स्त्री०) विषयासक्ति, प्रेमाभिभाव (वीरो० २१/१४) काम वासनातुरः (पुं०) कामपीडित आश्रितकाम (जयो० २३/६२) For Private and Personal Use Only कामविधा ( स्त्री०) काम-वासना। (जयो० १/७८) कामविधा- विधातु (वि०) काम की वासना को स्वीकार करने वाला। 'कामो मनोऽभिलषितं रतिपतिश्च तस्य विधा प्रकार विशेष २. मैथुनान्ते सातिरेक चुम्बनादि चेष्टा ।
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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