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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करिबन्धः २५९ कर्णन्दुः करिबन्धः (पुं०) हस्तिबन्ध, हाथी के बांधने का साधन। करुणान्वित (वि०) दया सहित। (जयो० २१/३२) करिमत्तः (पुं०) हस्ति उन्माद। करुणामय (वि०) कृपाशील, दयालु। करिमाचलः (पुं०) सिंह। करुणापरायणं (नपुं०) करुणाशील। (वीरो० १९/२३) करिमुखः (पुं०) गजमुख, गणपति, गणेश। करुणाविमुख (वि०) कृपा रहित, दया रहित। करिराद्र (पुं०) हस्तिराज, ऐरावत, हाथी। करुणापरत्व (वि०) करुणाशील (वीरो० २२/२५) करिराज (पुं०) हस्तिराज, उत्तम हाथी, करिवर, श्रेष्ठगज। करुणासु-परायणः (पुं०) करुणा में तत्पर। (जयो० १३/४७) ___ 'करिराडिव पूरयन्महीमपि' (सुद० ३/६) करुणैकशाण: (नपुं०) ०दयापरक, ०दयायुक्त। पुनः प्रतिप्रातरिदं करिवरः (पु०) उत्तम हाथी, ऐरावत इन्द्र, हस्ति। बुवाणः, बभूव भद्रः करुणैकशाण:।' (समु० ३/३३) करिवरेन्द्रः (नपुं०) ऐरावत हाथी। करेटः (पुं०) [करे+अट्+अच्] नाखून, नख-अंगुली का नख। करिवाहनं (नपुं०) १. हस्ति वाहन। हाथी पर सवार। २. सूर्य। | करेणुः (पुं०) ०हस्ति, गज, हाथी, करि। कृ+एणु+करेणु___ 'करिवाहनं नाम सूर्यमेव' (जयो० वृ० २०/४८) के-मस्तके रेणुं प्रक्षेपते। करि-वैजयन्ती (स्त्री०) हस्ति ध्वज, हस्ति पर लगा ध्वज। 'परः वरेणात्मनि रेणुभारं भूयः क्षिपन् सङ्कलितादरेण। करिस्कंध: (पुं०) हस्ति यूथ, हाथियों का झुण्ड, करि-समूह। निरुक्तवान् सम्यगिहेभराजः, करेणुरित्याह्वयमात्मनीनम्।' करिष्णु (वि०) सम्पादयत्री, करने वाली, (जयो० ३/१०१) (जयो० १३/१०३) करीन्द्रः (पुं०) ऐरावत, गजराज। 'करणेस्तु बसायां स्त्री कर्णिकारेभयो, पमान इति विश्वलोचनं, करीरः (पुं०) [कृ+ईरन्] कैर वृक्ष, कांटेदार वृक्ष, १. अंकुर। (जयो० १३/१०३) करीशः (पुं०) हस्ति, गजराज, ऐरावत। (जयो० ८/४१) करेणुः (स्त्री०) हथिनी। करीश्वरः (पुं०) गजरात, ऐरावत हस्ति। करेणुजानि (पुं०) हस्ति, हाथी। मन्दबिन्दुपदेन कारणानि करीषः (पुं०) [कृ+ ईषन्] कंडा, सूखा गोबर, उपले। द्विषतां दुर्यशसे करेणुजानिम्। (जयो० १२।८०) करीषकषा (स्त्री०) [करीष कष्। खच्] तेज वायु, प्रचण्ड करेणुभूः (पुं०) हस्ति विज्ञान प्रवर्तक। पवन, तीव्र हवा। करोटं (नपुं०) [क+रुट्+अच्] १. खोपड़ी, मस्तक, खप्पर। करीषिणी (स्त्री०) [करीष इनि+ङीप्] लक्ष्मी, सम्पदाधिका- २. कपाल, कटोरा, पात्र। रिणी देवी। करोटिः (स्त्री०) कपाल, खोपड़ी, कटोरा, पात्र, भिक्षापात्र। करुण (वि०) दयनीय, मार्मिक, चिन्तनीय, विचारणीय। 'करोति | करोपलब्धिः (स्त्री०) पाणिग्रहण, विवाह। (जयो०१२/५७) मनः आनुकूल्याय, कृ+उनन् करुणा । करोपलब्धिकालः (पुं०) विवाह समय। 'करोपलब्धिकालो करुणः (पुं०) १. दया, कृपा, अनुकम्पा। २. रसवृक्ष, वनखण्ड विवाहसमयः सम्यक् शोभनोऽभूत्' (जयो० वृ० १२/५७) (जयो० वृ० २१/३२) 'करुणस्तु रसे वृक्षे' इति (जयो० करोपलम्भनश्चक्रबन्धः (पुं०) विवाह-वर्णन करने वाला वृ० २१/९२) ३. करुण-शोक, रंज, विलाप। चक्रबन्ध/सर्ग/अध्याय। (जयो० वृ० १२/१४७) करुणरसः (पुं०) नौ रसों में एक रस, जिसमें इष्ट-वियोग, कर्कः (पुं०) [कृ+क] १. केंकड़ा, २. अग्नि, ३. जलकुम्भ, बन्धन, वध, व्याधि, मरण और परावर्तन का भय रहता ४. दर्पण, ५. श्वेत अश्व, ६. कर्कराशि विशेष। (जयो० है, इसमें शोक, विलाप, म्लालना और रुदन का समावेश १७/५६) होता है। कर्कटः (पुं०) [कट कट्+इन्] ककड़ी। १. केंकड़ा। (वीरो० करुणा (स्त्री०) दया, अनुकम्पा, कृपा, कोमलभाव, मैत्रीभाव, ७/११) सामञ्जस्य जिसमें दूसरे के दु:ख-शान्त करने का भाव कर्कटी (स्त्री०) [कर+कट्'डीप्] ककड़ी। रहता है। (सम्य० ७७) कर्णन्दुः (स्त्री०) १. बन्धुवर्ग, २. कमल। 'कर्कन्दुः साक्षरे करुणाकर (वि०) अनुकम्पा करने वाला, दयाशील। शके वारिजाते गुदामये। करुणाधर (वि०) दयादृष्टि धारक। कुमुदं कैरवे क्लीबं कृपणे कुमुदन्यवदिति कोषा। (जयो० करुणानिधिः (स्त्री०) दया का सागर। वृ०६/९६) For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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