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कररूहः
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करिपोतः
कररूहः (नपुं०) नख, नाखून। करवारः (पुं०) १. तलवार, आस, खङ्ग। 'कुरुते करवार
एतस्य' (जयो० ६/६८) २. कर एव वारो-बालकः (जयो०
वृ०६/६८) कर-वारिरुह (पुं०) हस्त-कमल, पद्म सदृश कर/हस्त। 'कर
एव वारिरुह तस्मिन् करकमले( (जयो० वृ० १२/५५) करवालः (पुं०) तलवार, असि (जयो० ६/८०) 'कर
वालवारिधारा यमुनास्य' (जयो० ६/१०७) करवालजालः (पुं०) १. असिवर, २. किरण समूह। (जयो०
१५/६६) करवीरः (पुं०) असि, तलवार। कर-व्यापारः (पुं०) १. कृत कर्म, २. हस्त-व्यापार, हाथ
बढ़ाना। क्षणादुदीरयन्नेवं करव्यापारमादरात् (सुद० ७८) | करशाखा (स्त्री०) अंगुली, करशिखा। (जयो० १८/९४) करशिखः (पुं०) कर शिखा, अंगुली। (जयो० १८/९४) करशीकर: (पुं०) १. जलबिन्दु, २. हस्तिसुंड पर प्रवाहित जलकण। करशूकः (पुं०) नख, नाखून। कर-सन्निपातः (पुं०) १. हस्तप्रयोग, हाथ का स्पर्श, २.
रश्मिसंसर्ग। (जयो० १७/८९) ३. कर-निर्धारण, राजस्व निर्धारण। 'बभूव राज्ञा कर-सन्निपातः' (जयो० १७/८९) कर-संयोजनं (पुं०) १. पाणिग्रहण, विवाह। समयात् स
महायशाः स्थितिं करसंयोजन-कालिकीमिति। (जयो०
१०/५) २. कर निर्धारण। कर-संयोजन-कालिकी (स्त्री०) पाणिग्रहण समयोचिता,
विवाहकालिक। (जयो० १०/५) कर सम्पर्कः (पुं०) १. हस्तग्रहण, हथलेवा, २. किरण संसर्ग।
(जयो० १२/६२) करसादः (पुं०) क्षीणप्रभा, हतकिरण, क्षतकान्ति। करसूत्रं (नपुं०) कंगन, विवाह सूत्र। करस्थ (वि०) हाथ में स्थित। (जयो० २/१४०) करस्थ-कझं (नपुं०) हस्तस्थित क्रीड़ा कमल! 'करस्थं यत्कझं' |
(जयो० वृ० २/१४०) करस्वामिन् (पुं०) १. किरण/तेज युक्त शिव। करस्वनः (पुं०) तालियां, करताल शब्द, करतलध्वनि। करहाट: (पुं०) [कर+हट+णिच्+आ] शल्यद्रुम, कमलकन्द ।
करहाटोऽजकन्देऽपि शल्यद्रौ कुसुमान्तरे' इति वि० कराग्र (वि०) कर में अग्रभाग। (जयो० २१/२६) (वीरो०
८/६)
कराधिकत्व (वि.) १. प्रबल रूपत्व, रूप की अधिकता। २.
रश्मिरूप, किरण प्रभालता। ३. हस्त प्रबलता। 'कराधिकत्वेन यथोत्तरं तराम्' (जयो० ३/९३) 'कराणां रश्मीनां हस्तानां
चाधिकत्वेन प्रबलरूपत्वेन' (जयो० वृ० ५/९३) कराधराङ्घिः (स्त्री०) कर, अधर एवं चरण। (जयो० ५/८८)
'करौ चाधरौ च अघी च' (जयो० वृ० ५/८८) कराम्बुरुहः (पुं०) हस्त कमल, पद्म सदृश हाथ। 'मुकुलितात्मक
राम्बुरुहद्वयः' कराल (वि०) [कर+आ+ला+क] भीषण, भयावह, भयंकर,
भयदायक, सुभैरवैः सैन्यरवैः, २. उत्तुंग, उन्नत, ऊँचा।
कराल-वाचाल-वौरिव पूच्चकार' (जयो०८/६) कराल-वाचाल: (पुं०) भयंकर आक्रमण। करालम्बः (पुं०) हस्ताधार, हाथ का सहारा। (वीरो० ५/३७)
'करालानि भयदायकानि च वाचालानि वाग्बहुलानि' (जयो०
वृ०८/६) करालिकः (पुं०) १. वृक्ष. तरु, २. असि। 'कराणां करसदृश
शाखानां आलिः श्रेणी यत्र' करावलम्बार्थ (वि०) हस्तावलम्बन देने के लिए, हाथ के
आधारभूत बनने के लिए। (जयो० १४/५७) 'करावलम्बार्थ
मिहायातां' कराशी (स्त्री०) अधिभार की आशा, अंश भाग की अभिलाषा।
'करस्य नाम पृथिव्याः षष्ठांशस्या शीर्षस्य स कराशी'
(जयो० २२/९०) करिका (स्त्री०) [कर अच्ङीप् कन्+टाप्] खरोंच। करिणी (स्त्री) [कर+इनिङीप्] हथिनी। करिणी (वि०) करने वाली। (सुद०) करिन् (पुं०) [कर इनि] हस्ति, गज, हाथी। (जयो० ६/२४) करिकुंभः (पुं०) हस्ति, मस्तक, हस्तिकुम्भ। करिकुलं (नपुं०) हस्ति समूह, गजवुल। करिकुल-परिहरणं (नपुं०) गजकूल को पराजित करना।
'कारिकुलं हस्तिसमूहस्तस्य परिहरणे' (जयो० १२/१०७) करि-वार्जनं (नपुं०) हस्ति गर्जन, गज चिंघाड़। करि दंत: (पुं०) हाथी दांत। करिदंष्ट्रः (पुं०) हस्ति दंत। करिपः (पुं०) महावत, हस्ति संचालक। करिपुरं (नपुं०) हस्तिनापुर नगर विशेष। करिपुर के राजा
जयकुमार। (जयो० ९/४९) करिपोतः (पुं०) हस्तिशाव, हस्तिशावक, छोटा हाथी।
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