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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra कण्ठः कण्ठः (पुं०) गला, गर्दन। (सुद० १ / ३४) कण्ठकंदल (पुं०) सद् गलनाल (जयो० ५/५२) कण्ठ-कम्बु (वि०) कण्ठ सुशोभित हुआ। (जयो० १२ / १४) कण्ठ-कूणिका (स्त्री०) बीणा । कण्ठगत (वि०) गले में स्थित, गले में आने वाला। कण्ठतः (अव्य०) [कण्ठ+तसिल्] गले से, कण्ठ से, स्पष्टता । कण्ठतट (पुं०) गले का भाग। कण्ठतटं (नपुं०) गले तक, गले का पार्श्व कण्ठतटी (स्त्री०) गर्दन तक की। कण्ठदध्न (स्त्री०) गले तक पहुंचने वाला कण्ठनाल (पुं०) गलकन्दन, हार (जयो० ११ / ४७ ) कण्ठनीडक: (पुं०) गृद्ध, चील पक्षी । कण्ठनीलकः (पुं०) मशाल, बड़ा दीपक । कण्ठपथं (नपुं०) कण्ठमार्ग । www.kobatirth.org रज्जू कण्ठपाशकः (पुं०) हस्ति पाश, हस्ति के कण्ठ की कण्ठपार्श्वः (पुं०) गले का भाग कण्ठभाग । कण्ठभूषा (स्त्री०) कंठी, गले का छोटा हार कण्ठमणि: (स्त्री०) गल कंठी, मलि युक्त कंठी। कण्ठलता ( स्त्री०) १. पट्टा, गले का पट्टा । २. लगाम, अश्वारोधक पट्ट्य । कण्ठवर्तिन् (वि०) कण्ठगत, गले से सम्बन्धित । कण्ठशोष: (पुं०) गले का सूखना । कण्ठसूत्रं (नपुं०) १. गले का धारा । २. आलिंगन । कण्ठस्थ (वि०) १. याद होना, रट जाना। २. कण्ठ में होने वाला। कण्ठाभरणं (नपुं०) गले का आभूषण, कण्ठाभूषण, हार। (जयो० पृ० ३ / ९०४ ) कण्ठालः (पुं० ) [ कण्ठ् + आलच्] १. फावड़ा, कुदाली । २. ऊँट, ३. युद्ध। कण्ठाला (स्त्री०) दही बिलोने का पात्र । कण्ठिका (स्त्री० [कण्ठ्ठन्+टाप्] कंठी माला, एक लड़ी " का हार। कण्ठी (स्त्री० ) [ कण्ठ + डीष्] १. माला, एक लड़ी का हार । २. गलापट्ट । कण्ठीकृत (वि०) कण्ठस्थान में धारण की जाने वाली (वीरो० १/२४) कण्ठीरवः (पुं०) १. उन्मत्त हस्ति। २. कबूतर कण्ठीलः (पुं०) ऊँट | कण्ठेकालः (पुं०) शिव, महादेव, शंकर। २४८ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कण्ड्य (वि०) (कण्ठ+यत्] गले के लिए उचित, गले से सम्बन्धित कतमाल: कण्ठ्य-वर्णः (पुं०) कण्ठ स्थान वाले अक्षर-अ, आ, क, ख, ग, घ, इ और ह ङ् कण्ड्यस्वरः (पुं०) गले से सम्बन्धित स्वर । कण्ड् (अक० ) १. प्रसन्न होना, हर्षित होना, संतुष्ट होना, अहंकारी होना । कण्ड (सक० ) निकालना, बाहर करना, साफ करना, रक्षा करना, बचाना। कण्डकः (पुं०) समु दाय, उत्तरोत्तर अनन्त के भाग । कण्डनं (नपुं० ) [ कण्ड् + ल्युट् ] फटकना, साफ करना। 'तुषानां कण्डन' कण्डनं दूरीकरणं (जयो० वृ० २३/५४) कण्डनी (स्त्री० ) ओखली । कण्डरा ( स्त्री० ) [कण्ड + अरन्] नस। कण्डिका (स्त्री०) अनुच्छेद, छोटा गद्यांश। कण्डू (पुं०) १. खाल, खुजली, खर्जन। (जयो० ६ / ६१ ) कण्डू (स्त्री०) खुजलाना । कण्डूति: (स्त्री० ) [ कण्डू+यक् + क्तिन्] खर्जन, खाज, खुजली । 'करतल- कण्डूति मुद्धरति' (जयो० ६ / ६१ ) कण्डूय ( सक०) खुजलाना, मसलना । कण्डूयन्ते (समु० १९ / २२) 'कण्डूयन्ते यतः स्मैते' शरीरं हिरणादयः (समु० ९/२२) कण्डूयनं (नपुं०) खर्जन, खुजली, खाज, ददू। 'दद्रो खर्जन । कण्डयन" (जयो० वृ० २/४ ) कण्डूयनक (वि०) खर्जनोदपाक । कण्डूया (स्त्री० ) [ कण्डूयक्+अ+टाप्] ०खुजलाना, ०खर्जन खाज । कण्डूल (वि०) द्दू वाला, खर्जनशील कण्डोल : (पुं० ) [ कण्ड्+ओलच्] टोकरी, धान्यपात्र । कण्डोष: (पुं० ) [ कण्ड+ ओषन् ] वाद्य विशेष, झां झा । कण्वः (पं०) कण्वऋषि । कतः (पुं०) [कं जलं शुद्धं तनोति] निर्मली का पौधा, रीठा । कतकः (पुं०) निर्मली, रीठा। कतम (सर्व) कौन कौन सा । 'सुमुख कार्यचणः कतमो नरः' (जयो० १०/५९) कतर (सर्व०) कौन, दो में से कौन सा । For Private and Personal Use Only कतमाल: (पुं०) वह्नि, अग्नि, आग। 'कस्य जलस्य तमाय शोषणाय अलति पर्याप्नोति जल+अच् ।
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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