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उपास्वं
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उपास्वं (नपुं०) लघुशस्त्र छोटा आयुध उपासिका (स्त्री०) श्राविका श्रावक व्रतधारी स्त्री ' अहं प्रभोरेवमुपासिका वा' (वीरो० ५/२१) या पत्नी कदम्बराज कीर्तिदेवस्समालला (वीरो० १५/४२)
उपाहारः (पुं०) उपहार, स्वल्पाहार, नाश्ता ।
उपाहित भू० क० कृ०) [उप आघात] १. संधारित. धारण किया गया, समायोजित, जमा किया गया। २. सम्बद्ध, सम्मिलित |
उपूर्तिन् (वि०) पूर्ति करने वाला (सम्य० ५८ ) उपेक्ष ( सक०) उपेक्षा करना, अवहेलना करना, उदासीनता रखना। 'कृपके च रसकोऽप्युपेक्षते' (जयो० २ / १६) उपेक्षणं (नपुं०) (उप.ई.अ. ल्युट्] उपेक्षा, अवहेलना, उदासीनता ! 'उपेक्षणं तु चारितं तत्त्वार्थानां सुनिश्चितम्।'
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(सम्य० ८२)
उपेक्षणीय (वि०) उपेक्ष करने योग्य, अवहेलनीय त्यजनीय (हित१७)
उपेक्षा (स्त्री०) [उप-ईश्+अ+टाप्] उदासीनता, अवहेलना, घृणा । राग-द्वेषयोरप्रणिधानमुपेक्षा । (स०ति०१/१०) 'श्रद्धस्यत्वात्मनो हि याः' (सम्य० ८३ )
उपेक्षित (भू० क० कृ० ) [ उप + ईश्+अ+क्त] उपेक्षणीय, अवहेलित, घृणित निन्दनीय (सुद० वृ० ११२ ) उपेक्षित - संसार : ( वि०) संसार से उदासीन हुआ । इत्युपेक्षितसंसारो विनिवेद्य महीपतिम् (सुद० ० ११२) उपेक्ष्य (सं०कु० ) उपेक्षा करके ।
उपेत (भू० क० कृ० ) [ उप इक्त ] सन्निकट आया, पहुंचा, उपस्थित समागत, प्राप्तः 'निम्नगे सरसत्वमुपेता' (सुद०
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उपेत्य (सं०कृ०) प्राप्त करके, उपस्थित होकर, आकर। 'स्वयमिति यावदुपेत्य महाश:' (सुद० १०८ ) उपेन्द्रः (पुं० ) [ उपगत इन्द्रम् ] उपेन्द्र देव का भेद । उपेय (सं०कु० ) [ उप + इ + यत् ] पहुंचने योग्य प्राप्त करने योग्य।
उपोढ (भू० क० कृ० ) [ उप + वह् +क्त] १. संचित, एकत्रित, २. निकटस्था
उपोत्तम (वि०) अन्तिम से पूर्व उपोद्घातः (पु० ) [ उप-उद्-हन्+घञ्] १. प्रस्तावना, भूमिका, पुरोवाक्। २. उदाहरण, दृष्टान्त । ३. उद्दिष्ट वस्तु का बोध कराना। 'उपोदघातस्तु प्रायेण तदुद्दिष्ट' (जैन०ल० २८३ )
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उभयबन्धिनी
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उपोदबलक (वि०) [ उप+उद् + बल्ण्वुल्] पुष्ट करने वाला, शक्तिशाली बनाने वाला।
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उपोदयलनं (नपुं०) [ उप-उद्बल ल्युट् ] पुष्ट करना, शक्तिसम्पन्न बनाना।
उपोस्य (सं०कु०) उपवास करके (भक्ति० १०) उपोषण (नपुं० [उपवस्• ल्युट्] अनशन व्रत रखना, उपवास करना।
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उपोषित (वि०) [उप-वस्-क्त] उपवास करने वाला 'सा क्वचिदपि उपोषितस्य (सुद० ९१)
उप्तिः (स्त्री० ) [ वप्+क्तिन्] बीज बोना ।
उब्ज् (सक०) १. भींचना, दबाना, मसलना। २. सीधा करना । उम् (सक०) १. सीमित करना कम करना, २. आच्छादित करना, ऊचा बिछाना ।
उभ (सर्वनाम, विशेषण) [भूयक] उभय, दोनों उभय (सर्व०वि० ) [ उभ्+अयट् ] (जयो० ३/५६ ) दोनों एक साथ दो, दो वस्तुएं । 'दम्पत्योरुभयोर्व्यतीतिमुदगाद्' (सुद० ११६)
उभयचर (वि०) जल-स्थल में विचरण करने वाले। उभयक्षेत्रं (नपुं०) दोनों क्षेत्र 'उभयमुभय- जल निष्पाद्यशस्यम्' उभयतः (अव्य० ) [ उभय+तसिल्] दोनों ओर से दोनों ओर । दोनों पद्धतियों से, दोनों दृष्टियों से।
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उभयत्र (अव्य० ) [ उभय + त्रल्] दोनों स्थानों पर, दोनों ओर, दोनों आधारों पर
उभयथा (अव्य० ) [ उभय थाल्] दोनों पद्धतियों से दोनों विचार धाराओं से।
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उभयद्युः (अव्य०) (उभयस्] दोनों दिन आगमी दिन। उभयपक्ष: (पुं०) दोनों पक्ष (जयो० ३/५६) (जैन ल०२८३) उभयपद (नपुं०) दोनों चरण । उभयपदानुसारिबुद्धिः (स्त्री०) अतिशय बुद्धि धारक | उभयप्रायश्चित्तं (नपुं०) आलोचन एवं प्रतिक्रमण रूप
प्रायश्चित्त सगावराहं गुरुणमालोचिय गुरुसक्खिया अवराहादो पडिणियत्ती उभयं णाम पायच्छितं (धव० १३/६०)
उभयबन्धः (पुं०) विशिष्ट बन्ध, परस्परबन्ध, इतरेतरबन्ध। 'यः पुनः जीव कर्मपुद्गलोः परस्पर परिणाम-निमित्तमात्रत्वेन विशिष्टतरः परस्परमवगाहः स तदुभय-बन्धः ' (प्रव० सा० अमृत वृ० ३/८३) उभयबन्धिनी ( वि० ) उदय अनुदय रूप बन्ध वाली ।
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